भारत के नागर विमानन : विमानन क्षेत्रक के विकास हेतु आवश्यक उपाय

प्रश्न: भारत में नागर विमानन क्षेत्रक द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों को रेखांकित कीजिए। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं?

दृष्टिकोण:

  • भारत के नागर विमानन क्षेत्रक का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। 
  • नागर विमानन क्षेत्रक द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को रेखांकित कीजिए।
  • इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख कीजिए।
  • विमानन क्षेत्रक के विकास हेतु आवश्यक कुछ अतिरिक्त उपायों के साथ निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर:

भारत विगत एक दशक में लगभग 16% हवाई यात्री यातायात में वृद्धि के साथ विश्व का तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बन गया है। हालांकि विमानन क्षेत्रक अभी भी अत्यधिक पूंजीगत व्यय की आवश्यकता और निम्न लाभ मार्जिन के साथ एक जोखिमपूर्ण व्यवसाय बना हुआ है।

भारत में नागर विमानन क्षेत्रक द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियां:

  • अपर्याप्त अवसंरचना: भारत के नागर विमानन क्षेत्रक के तीव्र विस्तार के कारण, आगामी कुछ वर्षों में एयरस्पेस, पार्किंग बे और रनवे स्लॉटों की उपलब्धता में तेजी से कमी आएगी। उदाहरण के लिए, मुंबई और चेन्नई में भूमि की अनुपलब्धता के कारण इन विमानपत्तनों का और अधिक विस्तार नहीं किया जा सकता है।
  • कुशल श्रमिकों का अभाव: इस क्षेत्र के विस्तार को बनाए रखने हेतु, आगामी 10 वर्षों में लगभग 0.25 मिलियन व्यक्तियों को कुशल बनाने की आवश्यकता है। हालांकि, प्रशिक्षकों की कमी, प्रशिक्षण हेतु प्रयुक्त हवाई जहाजों में विमानन गैसोलीन ईंधन की सुनिश्चित आपूर्ति की कमी आदि के कारण प्रशिक्षण प्रदान करने की प्रक्रिया बाधित हुई है।
  • विमानन सुरक्षा: अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन जैसे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्राधिकरणों ने भारत में अनुपालन किए जाने वाले विमानन सुरक्षा उपायों पर चिंता व्यक्त की है।
  • रुपये में उतार-चढ़ाव: भारतीय रुपये का मूल्यह्रास एयरलाइन कैरियरों (संचालकों) को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है। विमान पट्टे (लीज) के किराए, ग्राउंड हैंडलिंग की रखरखाव (मेंटेनेंस) लागत, विदेशों में पार्किंग शुल्क इत्यादि के रूप में इनकी लागत के लगभग 25-30% का भुगतान डॉलर में ही किया जाता है।
  • एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) पर उच्च कर: इसकी कीमतों में विद्यमान क्षेत्रीय भिन्नताओं के साथ उच्च ATF लागत, कैरियरों (संचालकों) के व्यय में वृद्धि करती है। इसके अतिरिक्त, महंगे ATF के परिणामस्वरूप दुबई और सिंगापुर जैसे विमानन केंद्रों (जिनके द्वारा अपेक्षाकृत अत्यंत निम्न दरें वसूली जाती हैं) के साथ प्रतिस्पर्धा करना कठिन हो जाता है।
  • निम्न लाभ: विमान के इंजनों और कलपुर्जी पर 5-28% की दर से वस्तु एवं सेवा कर (GST) आरोपित किए जाने के कारण उच्च लागत, अत्यधिक घरेलू प्रतिस्पर्धा और किराये के उतार-चढाव के प्रति यात्रियों की संवेदनशीलता के कारण प्रतिफल में वृद्धि करना कठिन हो जाता है।
  • घरेलू एयर कार्गो की निम्न वृद्धि: अंतरराष्ट्रीय कार्गो (जिसमें देश के कुल एयर कार्गो का 60% शामिल है) में 15.6% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि घरेलू कार्गों में केवल 8% की वृद्धि दर्ज की गयी।

इस संबंध में सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों में निम्नलिखित सम्मिलित हैं:

  • नेशनल एयर कार्गो पॉलिसी, 2019: इसके तहत आगामी दशक के अंत तक भारतीय एयर कार्गो और लॉजिस्टिक्स को विश्व स्तर पर सर्वाधिक दक्ष, समेकित और लागत प्रभावी बनाने की परिकल्पना की गई है।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना: अधिसूचित वायु परिवहन सेवा, क्षेत्रीय वायु परिवहन सेवा और घरेलू अधिसूचित यात्री एयरलाइन क्षेत्र में स्वचालित मार्ग के तहत 49 प्रतिशत तक के विदेशी निवेश की अनुमति प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने निजी सार्वजनिक भागीदारी (PPP) के तहत कई विमानपत्तनों के प्रबंधन कार्य को भी स्वीकृति प्रदान की है।
  • क्षेत्रीय संपर्कता (कनेक्टिविटी): उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक: UDAN) योजना के माध्यम से सरकार ने भारतीय विमानन सर्किट में कई लघु विमानपत्तनों को शामिल किया है, इस क्षेत्रक के विकास को बढ़ावा देते हुए सिक्किम के प्रथम हवाई अड्डे का निर्माण किया है, आदि।
  • घरेलू विनिर्माण: सरकार विमानों के घरेलू विनिर्माण और उनके वित्तपोषण को प्रोत्साहित करने हेतु एक योजना (ब्लूप्रिंट) पर कार्य कर रही है।
  • सेवा (सर्विस) और आतिथ्य (हॉस्पिटैलिटी) में सुधार: प्रोजेक्ट दिशा {DISHA: Driving Improvements in Service and Hospitality at Airports (हवाई अड्डों पर सेवा और आतिथ्य में सुधार करना)} के माध्यम से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, परिचालन क्षमता को बढ़ाने के लिए मौजूदा विमानपत्तनों को अपग्रेड करने की योजना बना रहा है।
  • सुरक्षा उपाय: इसमें अनधिकृत हथियारों एवं निषिद्ध वस्तुओं के संचलन पर अंकुश लगाने तथा आकस्मिक निरीक्षण करने आदि के संबंध में नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो द्वारा विमानपत्तनों को विस्तृत निर्देश जारी करना शामिल है।

इन कदमों के साथ ही सरकार को इस क्षेत्रक में वित्तीय निवेश में वृद्धि करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, घरेलू एयरलाइनों को ऋण को प्रबंधनीय अनुपात में संतुलित रखने हेतु प्रोत्साहित करना चाहिए तथा इस क्षेत्रक की पूर्ण क्षमता को साकारित करने हेतु इनके मध्य निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना चाहिए।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.