अनुनय और प्रभाव पदावली की परिभाषा : प्रभाव और अनुनय का पृथक-पृथक महत्त्व

प्रश्न: प्रभावकारी नेतृत्व के लिए प्रभाव और अनुनय, दोनों के महत्व का विश्लेषण कीजिए।

दृष्टिकोण

  • अनुनय और प्रभाव पदावली को परिभाषित कीजिए।
  • इनके महत्त्व को स्पष्ट करने से पूर्व इन दोनों के मध्य सूक्ष्म विभेद पर प्रकाश डालिए।
  • प्रभाव और अनुनय का पृथक-पृथक महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
  • निष्कर्ष में, इन दोनों के मध्य अंतर्संबंधों को रेखांकित कीजिए।

उत्तर

अनुनय और प्रभाव शब्द इतना अधिक परस्पर-संबंधित हैं कि सामान्य बोलचाल में इनका परस्पर एक-दूसरे के स्थान पर उपयोग कर लिया जाता है। हालांकि, नेतृत्व के परिप्रेक्ष्य में इन दोनों के मध्य अंतर महत्वपूर्ण हो सकता है।

  • अनुनय का अर्थ प्रकरण को इस प्रकार प्रस्तुत करना होता है कि वह दूसरों के मत को प्रभावित कर सके, लोगों का निश्चित सूचना पर विश्वास सृजन कर सके या उनके निर्णय को अभिप्रेरित कर सके।
  • वहीं दूसरी ओर प्रभाव किसी स्थिति या संगठन के लिए इष्टतम परिणाम की परिकल्पना करने को अपरिहार्य बनाता है और तत्पश्चात बल या अवपीड़न का उपयोग किए बिना लोगों की परिकल्पना को साकार करने हेतु उन्हें मिलकर कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।

अनुनय का वस्तुत: किसी की निष्ठावान प्रतिबद्धता अर्जित किये बिना उससे कुछ करवाने या निर्णय लेने हेतु प्रेरित करने के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि प्रभाव की स्थिति में किसी की प्रतिबद्धता प्राप्त करने के लिए समय समर्पित करना एक पूर्वापेक्षा है। अधिकांश नेतृत्वकर्ता उत्पादक साध्य हेतु साधन के रूप में प्रभाव का उपयोग करना पसंद करते हैं। हालांकि, इसका अर्थ यह नहीं है कि नेतृत्व के लिए अनुनय के महत्त्व को कम करके आंका जा सकता है।

प्रभाव का महत्व:

  • प्रभाव विश्वास और विश्वसनीयता की नींव पर आधारित होता है, जो समय के साथ घनीभूत हुआ है। जब नेतृत्वकर्ता, लोगों के प्रति प्रभावपूर्ण होते हैं तो वे उनसे अनुपालन कराने की बजाय उन्हें परिवर्तित कर देते हैं। इस प्रकार लाए गए परिवर्तन दीर्घ स्थायी होते हैं।
  • प्रभाव के माध्यम से, नेतृत्वकर्ता अपने अनुयायियों के साथ पहचान साझा करना आरंभ करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि नेतृत्वकर्ता अनुयायियों की विश्वास प्रणाली को परिवर्तित कर देते हैं और उन्हें नेतृत्वकर्ता के संदेश के प्रति पूर्णतया प्रतिबद्ध बना देते हैं।
  • चूंकि प्रभाव सुपोषित संबंधों से वृद्धि करता है, अतः सहकर्मियों/अनुयायियों के बीच नकारात्मक भावनाओं के उद्दीप्त होने की संभावना (जैसे उन्हें यह अनुभूति होना कि उनका चालाकी से उपयोग किया गया है) अत्यल्प होती है। इसलिए यह निम्नतम प्रतिरोध का मार्ग है।

अनुनय का महत्त्व:

  • ज्ञातव्य है कि प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किसी न किसी का पूर्ण विश्वास अर्जित करना लगभग असंभव होता है। इस प्रकार अनुपालन महत्वपूर्ण हो जाता है। अनुपालन के लिए लोगों से इस प्रकार से कार्य करवाने की आवश्यकता होती है कि जिससे आवश्यक नहीं है कि वे सहमत हों। इस प्रकार का अनुपालन प्रेरित करने के लिए अनुनय महत्वपूर्ण है।
  • अनुनय करिश्मा, प्रतिभा और तकनीक का संयोजन है तथा समय के प्रति संवेदनशील परिस्थितियों में सकारात्मक अनुनय तकनीकें परिणामों में शीघ्रता लाने के लिए पसंदीदा साधन हैं।
  • संचार की कला अनिवार्य रूप से कुल मिलाकर अनुनय है। लोगों से एक-साथ मिलकर कार्य करवाने और व्यापक सामूहिक उद्देश्य के पक्ष में व्यक्तिगत हितों को अलग रखवाने हेतु अनुनय महत्वपूर्ण है।

अनुनय और प्रभाव से एक साथ कार्य करवाया जा सकता है। वास्तव में अनुनय, अनुनयकर्ता के प्रभाव की मात्रा में विश्वास रखने वाले लोगों द्वारा सर्वोत्तम रीति से प्राप्त किया जाता है। विश्वास विद्यमान होने पर ही प्रभाव बढ़ता है और अनुनय सकारात्मक हो जाता है।

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