अंतर्जनित बलों और बहिर्जनित बलों संबंधित से भू-आकृतियों की व्याख्या

प्रश्न: पृथ्वी की सतह पर विभिन्न प्रकार की भू-आकृतियाँ आंतरिक और बाह्य बलों का परिणाम हैं। चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • दोनों प्रक्रियाओं हेतु ऊर्जा के स्रोत का उल्लेख करते हुए उत्तर आरम्भ कीजिए।
  • अंतर्जनित बलों और संबंधित भू-आकृतियों की व्याख्या कीजिए।
  • बहिर्जनित बलों और संबंधित भू-आकृतियों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर

विभिन्न प्रकार के बलों द्वारा पृथ्वी की सतह पर भू-आकृतियां निरंतर निर्मित, परिवर्तित और विनष्ट होती रहती हैं। इन्हें मुख्य रूप से अंतर्जनित (जो पृथ्वी के आंतरिक भाग से उत्पन्न होते हैं) और बहिर्जनित (जो सतह पर/बाहर उत्पन्न होते हैं) बलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। आंतरिक (अंतर्जनित) बलों की प्रकृति मुख्य रूप से स्थलाकृतियों का निर्माण करने की होती है, जबकि बाह्य (बहिर्जनित) बल मुख्य रूप से भूमि का क्षय करने की प्रकृति के होते हैं।

अंतर्जनित प्रक्रियाएं

अंतर्जनित बल अधिकांशतः रेडियोधर्मी क्रियाओं, घूर्णन एवं ज्वारीय घर्षण तथा पृथ्वी की उत्पत्ति से जुड़ी ऊष्मा द्वारा उत्पन्न होता है। पृथ्वी की आंतरिक गतिविधियाँ किसी न किसी रूप में सतह पर प्रकट होती हैं जो नई भू-आकृतियों का निर्माण करती हैं। पटलविरूपण और ज्वालामुखीयता अंतर्जनित भू-आकारिकी प्रक्रियाएं हैं।

पटलविरूपण में वे सभी प्रक्रियाएं सम्मिलित होती हैं जो भू-पर्पटी को संचालित, उत्थापित या निर्मित करती हैं। जैसे:

  •  पर्वतनी प्रक्रियाएं जो क्षैतिज संचलन होती हैं, जिनसे पृथ्वी की भूपर्पटी के तीक्ष्ण वलयन के माध्यम से पर्वतों का निर्माण होता है उदाहरणार्थ- हिमालय और एंडीज जैसे वलित पर्वत ।
  • महाद्वीप रचना संबंधी प्रक्रियाओं में ऊर्ध्वाधर संचलन होता है जिनमें भूपर्पटी के बड़े भाग में उत्थापन या विकृति (मुड़ना/झुकना) संलग्न होता है। यह एक महाद्वीप निर्माण की प्रक्रिया है। उठे हुए समुद्र तट, समुद्र तट से ऊपर उठी हुई लहरों के आघातों से अपक्षयित होकर बनी वेदिकाएं, सागरीय कंदराएं और समुद्र स्तर से ऊपर स्थित जीवाश्म संस्तर उत्थापन के प्रमाण हैं एवं निमज्जित वन तथा घाटियाँ अवतलन का प्रमाण हैं।
  • इसमें अपेक्षाकृत छोटे स्थानीय संचलन के कारण उत्पन्न भूकंप एवं पर्पटी प्लेट के क्षैतिज संचलन करने में प्लेट विवर्तिनिकी की भूमिका भी शामिल होती है।

ज्वालामुखीयता के अंतर्गत पिघली हुई शैलों या लावा का भूतल की ओर संचलन एवं अनेक प्रकार के आंतरिक तथा बाह्य ज्वालामुखी स्वरूपों का निर्माण सम्मिलित होता है।

  • बहिर्वेधी भू-आकृतियों में मध्य-महासागरीय कटक, शील्ड ज्वालामुखी, मिश्रित ज्वालामुखी, काल्डेरा झील, सिंडर कोन आदि सम्मिलित हैं।
  • अंतर्वेधी भू-आकृतियों में महास्कंध (बैथोलिथ), लैकोलिथ, फैकोलिथ, लैपोलिथ, डाइक और सिल सम्मिलित हैं।

बहिर्जनित प्रक्रियाएं

मौसम के प्रभाव से अपक्षय, वृहद अपक्षय, अपरदन और निक्षेपण बहिर्जनित भू-आकारिकी प्रक्रियाएं हैं। ये प्रक्रियाएं पृथ्वी के पदार्थों में सूर्य के ताप से उत्पन्न होने वाले विभिन्न बलों के कारण प्रेरित प्रतिबल का प्रत्यक्ष परिणाम होती हैं।

  • अपक्षयण: इसे मौसम और जलवायु के कार्यों के माध्यम से शैलों के यांत्रिक विखंडन और रासायनिक अपघटन/वियोजन के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • वृहद अपक्षय: बृहत संचलन के अंतर्गत वे सभी संचलन आते हैं जिनमें शैलों का वृहत मलबा गुरुत्वाकर्षण के प्रत्यक्ष प्रभाव में ढाल के अनुरूप स्थानांतरित होता है।
  • अपरदन: यह एक प्रक्रिया है जिसमें मौसम के प्रभाव से अपक्षयित शैल सामग्री का पवन और अन्य कारकों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवहन होता है।
  • निक्षेपण: यह अपरदन का परिणाम होता है। ढाल में कमी के कारण जब अपरदन के कारकों के वेग में कमी आ जाती है तो परिणामतः अवसादों का निक्षेपण प्रारंभ हो जाता है। विभिन्न प्रकार के कारकों की गतिविधियों से होने वाली इन विभिन्न प्रक्रियाओं के कारण विविध प्रकार की भू-आकृतियों का निर्माण होता है, जैसे: प्रवाहित जल: V-आकार की घाटियाँ, कटे हुए या अधः कर्तित विसर्प या गभीरीभूत विसर्प, बाढ़ के मैदान, डेल्टा, गोखुर झील, विसर्प।
  • हिमनदियाँ (ग्लेशियर): U-आकार की घाटियां, सर्क, लटकती घाटियां, हिमोढ, एस्कर, हिमानी धौत मैदान और ड्रमलिन।
  • पवन: पदस्थली (पेडिपलेंस), अपवाहन गर्त, क्षत्रक टेबल, रेत के टिब्बे, लोएस।
  • लहरों की गतिविधि: उद्भावी और जलमग्न तट, भृगु (खड़ी चट्टान का पहलू ), वेदिकाएं, स्थूण (यूँठ), गुफाएं और स्टैक; रोधिका भित्तियाँ (बार स्पिट) और लैगून।

बहिर्जनित और अंतर्जनित दोनों बल एक साथ कार्य करते हैं। अंतर्जनित प्रक्रियाओं के कारण प्राथमिक स्थलाकृतियां अस्तित्व में आती हैं। ये स्थलाकृतियां परिवर्तित एवं विनष्ट होकर द्वितीयक स्थलाकृतियों का निर्माण करती हैं, जो अंतर्जनित और बहिर्जनित दोनों बलों का परिणाम होती हैं।

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