जेट स्ट्रीम की परिभाषा : दक्षिण-पश्चिम मॉनसून, पश्चिमी विक्षोभ तथा चक्रवात में जेट स्ट्रीम की भूमिका
प्रश्न: जेट स्ट्रीम क्या है? वे भारत में वर्षा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
दृष्टिकोण
- जेट स्ट्रीम की परिभाषा दीजिए और इसकी विशेषताओं को सूचीबद्ध कीजिए।
- दक्षिण-पश्चिम मॉनसून, पश्चिमी विक्षोभ तथा चक्रवात में जेट स्ट्रीम की भूमिका को रेखांकित कीजिए।
- व्याख्या हेतु चित्रों का निर्माण कीजिए।
उत्तर
क्षोभमंडल की ऊपरी सीमा में संकीर्ण पट्टी में तीव्रता से विसर्पण करने वाले वायु संचरण को जेट स्ट्रीम कहा जाता है। यह वैश्विक मौसमी परिघटनाओं को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। इसके तीन मुख्य प्रकार हैं:
- ध्रुवीय जेट स्ट्रीम: यह फैरल तथा पोलर सेल (Ferrel and Polar cells) के मध्य प्रवाहित होती है।
- उपोष्णकटिबंधीय जेट स्ट्रीम: यह हेडली तथा फैरल सेल के मध्य प्रवाहित होती है।
- अस्थायी जेट स्ट्रीम: जैसे- सोमाली जेट स्ट्रीम, उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट स्ट्रीम।
विशेषताएँ
- भूविक्षेपी पवनें (Geostrophic winds)कोरियोलिस बल के कारण, ये पवनें दाब प्रवणता बल (pressure gradient force) की लंबवत दिशा में प्रवाहित होती हैं।
- परिध्रुवीय (Circumpolar): ये पवनें पृथ्वी के चारों ओर ध्रुव को केंद्र में रखते हुए परिसंचरित होती हैं।
- पछुआ पवनें (Westerlies): ये पवनें पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर प्रवाहित होती है।
- घुमावदार पथ के कारण रॉस्बी तरंग (Rossby Waves) प्रवाहित होती हैं।
- उच्च वेग – 150-250 किमी प्रति घंटा
- ऊपरी वायुमंडलीय वायु परिसंचरण – ये क्षोभसीमा (ट्रोपोपोज) के ठीक नीचे संचरण करती हैं।
मौसम परिघटना में जेट स्ट्रीम की भूमिका
- वायु के वृहदस्तरीय आदान-प्रदान द्वारा अक्षांशीय ऊष्मा संतुलन को बनाए रखने में सहायता करना।
- समशीतोष्ण चक्रवात के मार्ग तथा वर्षा वितरण को प्रभावित कर मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों के मौसम को प्रभावित करना।
- वायु राशियों (Air masses) के संचलन को प्रभावित करना, जो दीर्घावधि तक सूखा अथवा बाढ़ के प्रमुख कारण बन सकते हैं। उदाहरण के लिए, 2014 की शीत ऋतु में उत्तरी अमेरिका में ध्रुवीय भंवर (polar vortex) शीत लहर का प्रभाव।
भारत में वर्षण में जेट स्ट्रीम की भूमिका
उपोष्णकटिबंधीय जेट स्ट्रीम और कुछ अस्थायी जेट स्ट्रीम संयुक्त रूप से भारतीय मॉनसून के प्रतिरूप, शीतकालीन वर्षा और उष्णकटिबंधीय चक्रवात को प्रभावित करती हैं।
- शीतकालीन वर्षा: उपोष्णकटिबंधीय पछुआ जेट स्ट्रीम भूमध्य सागर के ऊपर उत्पन्न होने वाले पश्चिमी विक्षोभ (समशीतोष्ण चक्रवात) को अपने साथ प्रवाहित करती है, जिसके कारण भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों- पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश इत्यादि में वर्षा होती है।
- दक्षिण-पश्चिम मानसून: उपोष्णकटिबंधीय जेट स्ट्रीम और पूर्वी जेट स्ट्रीम भारत की मानसून प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- हिमालय के दक्षिण से उपोष्णकटिबंधीय जेट स्ट्रीम की वापसी भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून के आगमन को इंगित करती है।
- पूर्वी जेट स्ट्रीम भारत में उष्णकटिबंधीय अवदाब को संचारित करती है, जो दक्षिण-पश्चिम मानसून की अवधि के दौरान वर्षा के वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात- पूर्वी जेट स्ट्रीम प्रशांत महासागर से उष्णकटिबंधीय अवदाब तथा चक्रवातों को हिंद महासागर क्षेत्र की ओर प्रवाहित करती है, जिसके कारण मुख्यतः पूर्वी तटीय क्षेत्रों में वर्षा होती है। उदाहरणार्थ 2017 में मोरा चक्रवात।
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