जीरो बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) की संक्षिप्त व्याख्या
प्रश्न: जीरो बजट प्राकृतिक खेती (जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग: ZBNF) क्या है? इसके द्वारा प्रदत्त संभावित लाभों का विवरण दीजिए।
दृष्टिकोण:
- जीरो बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) की संक्षिप्त व्याख्या करते हुए उत्तर आरंभ कीजिए।
- जीरो बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) के संभावित लाभों पर चर्चा कीजिए।
- उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
जीरो बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) एक प्राकृतिक कृषि तकनीक है जिसमें कृषि रसायनों और ऋण का उपयोग किए बिना तथा आगतों की खरीद पर धन व्यय किए बिना कृषि की जाती है। ZBNF में फसल सुरक्षा के लिए फसलों के आस-पास उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों जैसे केंचुओं, पौधों के अपशिष्ट, मानव उत्सर्जन आदि का उपयोग किए जाने के कारण इसमें उत्पादन लागत कम होती है। ZBNF मूलतः चार स्तम्भों पर आधारित है – बीज उपचार, मृदा की नमी को बनाए रखना, टॉपसाइल मल्चिंग (मृदा की ऊपरी परत को पौधों से प्राप्त अपशिष्टों से कवर करना) एवं सॉइल एयरेसन (मृदा को सुवातित बनाना) तथा किसी उर्वरक या कीटनाशक का प्रयोग न करना।
जीरो बजट प्राकृतिक खेती के लाभ:
- मृदा की उर्वरता का संरक्षण: अंतर-फसलीकरण, गाय के गोबर का उपयोग करने, मृदा के वातन को बढ़ावा देने, गहन जुताई को हतोत्साहित करने आदि कार्यों से मृदा में नमी बनी रहती है और साथ ही इससे मृदा के समग्र स्वास्थ्य में भी वृद्धि होती है।
- इनपुट लागत में कमी: चूंकि इसमें किसानों को कोई आगत (इनपुट) खरीदने की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए उत्पादन की लागत न्यूनतम हो जाती है। इससे किसानों के कर्ज के दुष्चक्र में फंसने की संभावना कम हो जाती है।
- उत्पादकता में वृद्धि: एक रिपोर्ट के अनुसार, आंध्र प्रदेश में मूंगफली और धान की खेती करने वाले किसानों ने गैर-ZBNF की तुलना में ZBNF के परिणामस्वरूप क्रमशः 23% और 6% अधिक उपज प्राप्त की है। अधिक उपज के साथ लागत में कमी से किसानों को बेहतर प्रतिफल एवं उच्च आय की प्राप्ति हो सकती है।
- संसाधनों का कुशल उपयोग: इसमें जल का न्यूनतम उपयोग और गहन सिंचाई को हतोत्साहित किया जाता है, जिससे तीव्रता से घट रहे जलस्तर पर दबाव में कमी होती है। इसके लिए रासायनिक और जैविक खेती के तहत प्रयोग किए जाने वाले कुल जल एवं कुल विद्युत की तुलना में 10 प्रतिशत जल एवं विद्युत की आवश्यकता होती है।
- बेहतर एग्रोनॉमिक (कृषि विज्ञानं सम्बन्धी) पद्धतियों को बढ़ावा: संसाधनों का कुशल उपयोग और रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों के प्रयोग की समाप्ति से किसानों के मध्य बेहतर एग्रोनॉमिक पद्धतियों को बढ़ावा मिलता है, जैसे- मल्चिंग, खेत पर तैयार खाद का उपयोग करना आदि।
- पर्यावरण संधारणीयता: यह एक जलवायु अनुकूल कृषि पद्धति है क्योंकि इसमें खरपतवारनाशकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके अतिरिक्त, विविध और बहु-स्तरीय फसल प्रणाली पारिस्थितिकी तंत्र का पुनरुद्धार करती है।
सरकार द्वारा ZBNF को 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने संबंधी दृष्टिकोण को प्राप्त करने हेतु एक महत्वपूर्ण साधन माना गया है। आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में यह उल्लेख किया गया था कि लगभग 1.6 लाख भारतीय किसानों द्वारा ZBNF का उपयोग किया जा रहा है। हालाँकि, पशु-पालन संबंधी व्यय का भार, पशुओं के गोबर एवं मूत्र को एकत्र करने में आने वाली श्रम लागत, सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने में अधिक समय लगना (चूंकि इसमें कार्बनिक उत्पादों का उपयोग किया जाता है), इसकी मापनीयता से संबंधित मुद्दे, विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में किसानों के लिए व्यवहार्यता इत्यादि के संदर्भ में कुछ चुनौतियाँ विद्यमान हैं। ZBNF को बढ़ावा देने के क्रम में सर्वप्रथम उपर्युक्त समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए।