विभागों से सम्बद्ध स्थाई समितियों के संक्षिप्त परिचय
प्रश्न: विभागों से संबंद्ध स्थायी समितियों को भारत में मिनी-संसदों के रूप में संदर्भित किया गया है। लोकतान्त्रिक राजनीति में उनकी प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए और उदाहरणों सहित चर्चा कीजिए कि वे संसद की समग्र प्रभावकारिता का सुधार किस प्रकार करती हैं।
दृष्टिकोण
- विभागों से सम्बद्ध स्थाई समितियों के संक्षिप्त परिचय के साथ अपने उत्तर की शुरुआत कीजिए।
- लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में उनकी प्रासंगिकता और योगदान का उल्लेख कीजिए।
- उनकी कुछ कमियों को बताते हुए तथा उनकी दक्षता में सुधार के सुझाव देते हुए अपने उत्तर का समापन कीजिए।
उत्तर
विभागों से सम्बद्ध 24 स्थायी समितियों (DRSC) की एक पूर्ण प्रणाली अपने अधिकार क्षेत्र में भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों को सम्मलित करती है। प्रशासन पर संसदीय निगरानी का यह एक अति महत्त्वपूर्ण प्रयास है।
लोकतान्त्रिक राजनीति में प्रासंगिकता:
- समग्र रूप में संसद, अपने बड़े आकार और समय की कमी के कारण प्रत्येक विधेयक या अनुदान की सारी बारीकियों की पड़ताल नहीं कर सकती। यह कार्य DRSC की सहायता से किया जाता है। ये सांसदों के साथ मिलकर विधायी भूमिका निभाती हैं। इसलिए इन्हें लघु संसद भी कहा जाता है।
- ये भारतीय लोकतंत्र को वैधता प्रदान करती है ,क्योंकि समितियों के सदस्य निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं। विवादास्पद मुद्दों पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया प्राप्त करने और राजनीतिक सहमति बनाने में प्रभावी।
- इसके कार्य अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए- अनुदान मांगों पर विचार, राज्यसभा के सभापति या लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा संदर्भित विधेयकों का परीक्षण, वार्षिक रिपोर्टों पर विचार, सदन में प्रस्तुत और इन्हें संदर्भित राष्ट्रीय आधारभूत दीर्घकालिक नीति दस्तावेजों पर विचार आदि।
समग्र प्रभावकारिता में सुधार:
- ये वर्ष भर कार्य करती हैं और एक प्रकार से संसदीय समय के अभाव की क्षतिपूर्ति करती हैं। इनके द्वारा कार्यपालिका पर संसदीय नियन्त्रण अधिक विस्तृत, बारीक, नियमित, गहन और व्यापक हो जाता है।
- विधेयकों की सूक्ष्म पड़ताल के लिए इनके द्वारा प्राय: विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाता है। ये समितियां किसी भी राजनीतिक स्थिति-निर्धारण/लोकलुभावन राय (political positioning/populist opinion) से रहित होती हैं।
- इन समितिओं द्वारा विधेयकों की अनिवार्य संवीक्षा, विधायी कार्य का बेहतर नियोजन सुनिश्चित होता है। उदाहरण के लिए वाणिज्य विभाग सम्बद्ध स्थायी समिति ने ‘कारोबार करने की सुगमता’ पर उपयोगी अंतर्दृष्टि प्रदान की।
- प्रत्येक DRSC मंत्रालयों के एक समूह पर ध्यान केन्द्रित करती है, और इसके सदस्यों की उस क्षेत्रक में ज्ञान निर्माण में सहायता करती है।
हालाँकि,DRSC को विषय-आधारित समर्पित शोध सहायता उपलब्ध नहीं होती है। इसके अतिरिक्त, पारदर्शिता से सम्बन्धित मुद्दे भी हैं (समितियां बंद कमरों में बैठकें करती हैं और केवल उनकी अंतिम रिपोर्ट ही प्रकाशित की जाती है)। GST को सक्षम करने वाला महत्त्वपूर्ण संविधान संशोधन विधेयक DRSC को संदर्भित किये बिना लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। विधायी मुद्दों की विस्तृत संवीक्षा करने हेतु DRSC की क्षमता को और सुदृढ़ करना महत्त्वपूर्ण है। इस हेतु सुधारों में अन्य बातों के साथ-साथ (inter-alia), सभी विधेयकों का अनिवार्य परीक्षण, शोध दलों का गठन और DRSCs को दिए जाने वाले इनपुट/साक्ष्य/प्रस्तुति की पारदर्शिता में सुधार किया जाना शामिल है।
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- विभागों से संबद्ध स्थायी समितियों का संक्षिप्त विवरण : संसद की समग्र प्रभावकारिता में सुधार लाने में इनका महत्व
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