बजट की परिभाषा : भारत में इसके संवैधानिक प्रावधान

प्रश्न: बजट प्राप्तियों और व्यय के विभिन्न घटकों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • बजट की परिभाषा और भारत में इसके संवैधानिक प्रावधानों का परिचय देते हुए उत्तर आरंभ कीजिए।
  • बजट प्राप्तियों एवं बजट व्यय के विभिन्न घटकों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  • संक्षिप्त निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर:

सरकारी बजट एक वार्षिक वित्तीय विवरण होता है जो एक वित्तीय वर्ष के दौरान अपेक्षित राजस्व और प्रत्याशित व्यय के मदवार अनुमानों को दर्शाता है। भारत में संविधान के अनुच्छेद 112 के अंतर्गत संसद के समक्ष ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ प्रस्तुत करना एक संवैधानिक अनिवार्यता है, जो सरकार का मुख्य बजट दस्तावेज होता है। सरकारी बजट के विभिन्न घटकों को नीचे दर्शाया गया है:

बजट प्राप्तियों के घटक

राजस्व प्राप्तियां: राजस्व प्राप्तियां वे प्राप्तियां होती हैं जो न तो परिसंपत्तियों का सृजन करती हैं और न ही सरकार की देयताओं को कम करती हैं। उन्हें कर और गैर-कर राजस्व में विभाजित किया गया है।

  • कर राजस्व में व्यक्तिगत आयकर, निगम कर, संपत्ति कर, उपहार कर आदि प्रत्यक्ष करों और वस्तु एवं सेवा कर, सीमा शुल्क (भारत में आयातित व यहां से निर्यातित वस्तुओं पर आरोपित कर) जैसे अप्रत्यक्ष करों के रूप होने वाली प्राप्तियां सम्मिलित होती हैं।
  • केंद्र सरकार के गैर-कर राजस्व में मुख्य रूप से केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किए गए ऋण पर प्राप्त होने वाली ब्याज प्राप्तियां, सरकार द्वारा किए गए निवेश पर लाभांश एवं लाभ, सरकार द्वारा प्रदत्त सेवाओं के लिए शुल्क और अन्य प्राप्तियां सम्मिलित होती हैं। इसके अतिरिक्त विदेशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से प्राप्त नकद सहायता अनुदान भी इसमें सम्मिलित होते हैं।

पूँजीगत प्राप्तियां: सरकार की वे सभी प्राप्तियां जो देयताएं उत्पन्न करती हैं या वित्तीय परिसंपत्तियों को कम करती हैं, पूंजीगत प्राप्तियों के रूप में वर्णित की जाती हैं। इनमें ऋण की वसूली, विनिवेश, उधार आदि सम्मिलित होते हैं। ये प्राप्तियां ऋण सृजक या गैर-ऋण सृजक हो सकती हैं।

बजट व्यय के घटक

  • राजस्व व्यय: यह केंद्र सरकार की भौतिक या वित्तीय परिसंपत्तियों के सृजन को छोड़कर अन्य प्रयोजनों के लिए किया गया व्यय है। यह सरकारी विभागों और विभिन्न सेवाओं के सामान्य कार्य-संचालन, सरकार द्वारा ऋण के ब्याज भुगतान पर किए गए व्यय तथा राज्य सरकारों और अन्य दलों को दिए गए अनुदान हेतु किए गए व्ययों से संबंधित होता है (हालांकि कुछ अनुदान परिसंपत्तियों के सृजन के लिए हो सकते हैं)।
  • पूँजीगत व्यय: ये सरकार के ऐसे व्यय होते हैं जिनके परिणामस्वरूप भौतिक या वित्तीय परिसंपत्तियों का सृजन होता है या वित्तीय देयताओं में कमी होती है। इनमें भूमि के अधिग्रहण, भवन, मशीनरी, उपकरण, शेयरों में निवेश और केंद्र सरकार द्वारा राज्यों एवं संघ शासित प्रदेश की सरकारों/प्रशासन, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा अन्य पक्षों को दिए जाने वाले ऋण व अग्रिम संबंधी व्यय सम्मिलित हैं।

वर्ष 2017-18 में केंद्र सरकार ने भारतीय बजट में व्यय को योजना और गैर-योजना में विभाजित करने की प्रणाली को समाप्त कर दिया है। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2017-18 में रेल बजट का केंद्रीय बजट में विलय कर दिया गया था।

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