वायु राशियाँ : स्थानीय जलवायु को प्रभावित करने में उनकी भूमिका
प्रश्न:वायु राशियाँ क्या हैं? स्थानीय जलवायु को प्रभावित करने में उनकी भूमिका पर प्रकाश डालिए।
दृष्टिकोण
- परिचय में वायु राशियों को परिभाषित करते हुए इनके निर्माण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- वायु राशियों के प्रकारों का भी उल्लेख कीजिए।
- तत्पश्चात चर्चा कीजिए कि विभिन्न वायु राशियाँ स्थानीय जलवायु को किस प्रकार प्रभावित करती हैं।
उत्तर
वायु राशियाँ: जब वायु किसी समांगी क्षेत्र पर पर्याप्त लंबे समय तक रहती है, तो यह उस क्षेत्र के गुणों को धारण कर लेती है। यह समांगी क्षेत्र विस्तृत महासागरीय सतह या विस्तृत मैदानी भाग हो सकता है। तापमान और आर्द्रता संबंधी विशिष्ट गुणों वाली यह वायु, वायु राशि (air mass) कहलाती है।
वह समांग धरातल जिन पर वायु राशियाँ बनती हैं, उन्हें वायुराशियों का उद्गम क्षेत्र कहा जाता है। वायु राशियों को उनके उद्गम क्षेत्र के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। उष्णकटिबंधीय वायु राशियाँ गर्म होती हैं और ध्रुवीय वायु राशियाँ ठंडी होती हैं। इनके पांच प्रमुख उद्गम क्षेत्र हैं। जो निम्नलिखित हैं:
- उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय महासागर
- उपोष्ण कटिबंधीय उष्ण मरुस्थल
- उच्च अक्षांशीय अपेक्षाकृत ठंडे महासागर
- उच्च अक्षांशीय अति शीत बर्फ आच्छादित महाद्वीपीय क्षेत्र
- स्थायी रूप से बर्फ आच्छादित महाद्वीप आर्कटिक और अंटार्कटिका।
उपर्युक्त के आधार पर निम्नलिखित प्रकार की वायु राशियाँ पाई जाती हैं:
- उष्णकटिबंधीय महासागरीय वायुराशि (mT)
- उष्णकटिबंधीय महाद्वीपीय (CT)
- ध्रुवीय महासागरीय (MP)
- ध्रुवीय महाद्वीपीय (cP)
- महाद्वीपीय आर्कटिक (CA)
वायु राशियाँ, निचले वायुमंडल की एक बड़ी इकाई होने के कारण महत्वपूर्ण जलवायवीय और मौसमी प्रभाव डालती हैं जैसे:
- स्थानीय मौसम में परिवर्तन: जैसे ही वायु राशियाँ नए भू-परिदृश्यों से प्रवाहित होती हैं, नवीन परिवर्तन होने प्रारंभ हो जाते हैं, जबकि उसी समय स्थानीय मौसम में परिवर्तन हेतु ये अपनी मूल स्थितियों को पर्याप्त स्तर पर बनाए भी रखती हैं। उदाहरण के लिए, एक ध्रुवीय महाद्वीपीय (CP) वायुराशि शीतकाल में दक्षिण की ओर स्थानांतरित होती है और संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य भाग में तापमान को कम करती है। अपने उद्गम क्षेत्र में शुष्क होने के कारण ये वायुराशियाँ प्रायः शीतकाल के आरंभ में ‘ग्रेट लेक्स’ को पार करने के दौरान पर्याप्त आर्द्रता ग्रहण करती हैं। इसके परिणामस्वरूप ये पवनविमुखी तट (leeward coasts) पर ‘लेक इफ़ेक्ट स्त्रो’ (lake effect snow)’ को उत्पन्न करती हैं।
- चक्रवात और प्रति चक्रवात: दो वायु राशियों के मिलने से वाताग्र (fronts) का निर्माण होता है। उदाहरण के लिए, जब ध्रुवीय और उष्णकटिबंधीय वायुराशियाँ मध्य-अक्षांशों पर आपस में मिलती हैं तो विद्यमान पश्चिमी पवनें निम्न और उच्च दाब वाले केंद्रों के साथ-साथ क्रमशः चक्रवात (cyclones)और प्रतिचक्रवात (anticyclones) का कारण बनती हैं।
- वर्षा: यह विभिन्न क्षेत्रों में वर्षा और तापमान में परिवर्तन का भी कारण बनती हैं। अटलांटिक महासागर, कैरेबियन सागर और मेक्सिको की खाड़ी के उष्ण जल स्रोतों से उष्णकटिबंधीय महासागरीय पवनें रॉकी पर्वत के पूर्व में उत्तरी अमेरिका के अधिकांश भाग में वर्षा में प्रमुख योगदान करती हैं।
- शीतलन प्रभाव: महासागरीय वायु राशियाँ तटीय तापमान पर एक मध्यम जलवायवीय प्रभाव उत्पन्न करती हैं, क्योंकि महासागर स्थल की तुलना में कम गति से गर्म और ठंडे होते हैं।
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