वर्साय की संधि और प्रथम विश्व युद्ध
प्रश्न: 1919 में संपन्न वर्साय की संधि अपने प्रयोजनों एवं परिणामों, दोनों ही दृष्टि में विफल रही थी। परीक्षण कीजिए।
दृष्टिकोण:
- एक संक्षिप्त विवरण देते हुए, 1919 की वर्साय संधि के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
- संधि के उद्देश्य और परिणामों का परीक्षण कीजिए, जिससे कारण यह विफल हुई।
उत्तरः
1919 में, प्रथम विश्व युद्ध (WW-I) की समाप्ति पर जर्मनी और मित्र राष्ट्रों के मध्य हस्ताक्षरित वर्साय की संधि सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण एवं प्रासंगिक शांति दस्तावेज थी।
संधि का उद्देश्य:
प्रथम विश्व युद्ध की भयावहताओं के उपरांत संघर्ष के कारणों का समाधान करने, जर्मनी की बढ़ती शक्ति को प्रतिबंधित करने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग स्थापित कर शांति बहाल करने की उम्मीद थी। हालांकि, व्यावहारिक रूप से वार्ताओं में मित्र राष्ट्रों विशेषकर फ्रांस और ब्रिटेन की शक्तियों का प्रभुत्व था जिन्होंने अपने अनुरूप वार्ता की शर्तों को निर्धारित किया। इस प्रकार इस संधि में परदे के पीछे की गयी वार्ताओं का स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित हुआ।
वर्साय की संधि द्वारा युद्ध के लिए जर्मनी को उत्तरदायी ठहराया गया जिसके लिए क्षतिपूर्ति का भुगतान करना आवश्यक था। अतः उस पर जुर्माना आरोपित किया गया, उसे औपनिवेशिक आधिपत्य से वंचित कर दिया गया और उसकी सेना, नौसेना क्षमता तथा रक्षा निर्माण को प्रतिबंधित कर दिया गया। इसके साथ ही इस संधि से राष्ट्र संघ के उद्भव का मार्ग प्रशस्त हुआ।
यद्यपि, संधि अपने उद्देश्यों और परिणामों में असफल रही है। इसे निम्नलिखित प्रकार से समझा जा सकता है:
उद्देश्य के सम्बन्ध में विफलता:
- संधि WW-I के मूल कारणों जैसे कट्टर राष्ट्रवाद (nationalistic jingoism) और साम्राज्यवादी प्रतिद्वंद्विताओं की पहचान करने में विफल रही।
- इसने WW-I में संलग्न मित्र देशों को उनकी भूमिका से पूर्णतः मुक्त कर दिया, जो बाद में यूरोप में नए तनाव का कारण बना।
- यह एक आरोपित शांति थी क्योंकि जर्मनी को संधि की शर्तों पर बातचीत करने की अनुमति नहीं थी।
- यह राष्ट्रपति विल्सन के चौदह सूत्रों और उनकी “न्यायोचित शांति” स्थापित करने की इच्छा तथा फ़्रांसीसी नेता क्लीमेन्शु की प्रतिशोध की भावना के मध्य एक समझौता था।
परिणामों के सम्बन्ध में विफलता:
- इसने जर्मनी पर विभिन्न प्रतिबंध लगाकर इसके वित्तीय स्रोतों को नष्ट कर दिया। इसके कारण आर्थिक मंदी और मुद्रास्फीति की स्थिति उत्पन्न हुई और अंततः एडॉल्फ हिटलर के उदय का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- संधि को लागू करने के लिए समुचित तंत्र तथा इस हेतु मित्र राष्ट्रों की इच्छाशक्ति में कमी थी।
- इसका लाभ उठाकर जर्मनी ने कई शर्तों का उल्लंघन किया। उदाहरण के लिए, जर्मनी ने 1936 में राइनलैंड में विसैन्यीकृत क्षेत्रों पर पुनः अधिकार कर लिया।
- लीग ऑफ नेशंस में महत्वपूर्ण देशों जैसे- अमेरिका, चीन और सोवियत संघ की भागीदारी में कमी थी। इस प्रकार यह संधि असफल रही।
- यह भविष्य में द्वितीय विश्व युद्ध को रोकने के अपने मूल उद्देश्य में विफल रही।
संक्षेप में, यह तर्क दिया जा सकता है कि वर्साय की संधि के मसौदे का निर्माण तथा उसका प्रवर्तन, न तो सदैव के लिए जर्मनी पर अंकुश लगाने हेतु अपेक्षित कठोरता लिए था और न ही इतना उदार था कि नई परिस्थितियों से समायोजन स्थापित करने के लिए सहायता प्रदान कर सके।
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