स्पष्ट करें कि उत्तर प्रदेश में वास्तुकला प्राचीन काल से सम्मिश्र संस्कृति को प्रस्तुत करता रहा है।
उत्तर की संरचनाः
भूमिका
- संक्षेप में वास्तुकला को स्पष्ट करें और उत्तर प्रदेश की वास्तुकला में विभिन्न संस्कृतियों की झलक को बताएँ।
मुख्य भाग
- प्रदेश में वास्तुकला के विकास को बताएं।
- विभिन्न कालों में सम्मिश्र संस्कृति को स्पष्ट करें।
- रेखाचित्र/डायग्राम का प्रयोग कर उत्तर को प्रभावी बनाएं।
निष्कर्ष
- एक-दो पंक्तियों में सारगर्भित निष्कर्ष दें।
उत्तर
भूमिकाः
प्राचीन काल से ही उत्तर प्रदेश कला की विविध शैलियों का पोषक रहा है, जिसमें वास्तुकला की प्रधानता है। वास्तुकला, का तात्पर्य उपयोगिता, शक्ति एवं सौन्दर्य के दृष्टिकोण से उत्तम किस्म का भवन निर्माण करना है। जैसे मकान, मन्दिर, मस्जिद, स्तूप आदि। विभिन्न काल-खण्डों में उत्तर प्रदेश की वास्तुकला में हिन्दु, मुस्लिम, यूनानी और ग्रीक संस्कृति की झलक मिलती है।
मुख्य भागः
मौर्य काल _
उत्तर प्रदेश में वास्तुकला का आरम्भिक उदाहरण सारनाथ का स्तम्भ शीर्ष है। इस पर अंकित चार पशुओं-गज, अश्व, बैल तथा सिंह-एक तरफ जहाँ महात्मा बुद्ध के जीवन से जुड़ी चार महान घटनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं इन्हें वैदिक देवता इन्द्र, सूर्य, शिव तथा दुर्गा का भी प्रतीक माना गया है।
इस प्रकार यह स्तम्भ शीर्ष आस्तिक एवं नास्तिक सम्प्रदायों के बीच बेहतर समन्वय को प्रमाणित करते हैं।
गुप्तकाल
गुप्तकाल में मन्दिर निर्माण का आरम्भ होता है। इसके तहत वैष्णव, शैव आदि सम्प्रदायां क मन्दिर का निर्माण होता है इसके उत्कृष्ट उदाहरण देवगढ़ का दशावतार मंदिर (ललितपुर), भीतरगांव का मंदिर (कानपुर) आदि में मिलते हैं।
दुसरी ओर सारनाथ में ‘धमेख स्तूप’ का निर्माण शासकों की समन्वयवादी नीति का शानदार प्रमाण है।
मध्यकाल
भारत मे तुर्को की सत्ता स्थापित होने के बाद वास्तुकला की ‘इण्डो-इस्लामिक शैली’ का प्रचलन हुआ। इसका प्रभाव उत्तर प्रदेश पर भी पड़ा। फिरोज तुगलक ने जौनपुर नगर की स्थापना की।
पुनः जानपुर में जब शर्की वंश की सत्ता स्थापित हुई तो वहाँ ‘अटाला मस्जिद’ का निर्माण ‘इण्डो-इस्लामिक शैली’ महुआ। जिसमें मजबूती के लिए मेहराबी शैली (इस्लामिक) एवं सौन्दर्य बोध के लिए भारतीय शैली को अपनाया गया।
मुगल काल में अकबर ने फतेहपुर सीकरी नगर का निर्माण करवाया। यहाँ के भवनों के निर्माण में विभिन्न क्षेत्रीय शालया का भी प्रयोग किया गया। उदाहरणस्वरूप दीवाने-खास, जोधाबाई महल, बीरबल महल, अकबर का शयनकक्ष मार हिन्दू शला); सलीम चिश्ती का दरगाह, जामा मस्जिद (इस्लामिक शैली): पंचमहल (हवा महल) (बौद्ध शैली). मरियम महल (फारसी शैली); सुल्ताना महल (पंजाब की काष्ठ शैली) आदि है।
शाहजहा के समय आगरा में ताजमहल का निर्माण हुआ। इस दौर में इण्डो-इस्लामिक शैली के साथ यूरोपीय प्रभाव भी परिलक्षित होता है।
आधुनिक काल
आधुनिक काल में अवध के नवाबों ने लखनऊ को अपना राजधानी बनाया तथा उसे विभिन्न निर्माण कार्यों से सजाया। नवाब आसफुद्दौला ने बड़ा इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा और नवाब सआदत अली खान ने दिलकुशा, लाल बारादरी आदि भवनों का निर्माण करवाया।
उत्तर प्रदेश में ब्रिटिश सत्ता की स्थापना के बाद इण्डो-यूरोपीय शैली में भी विभिन्न भवनों का निर्माण हुआ जैसेउत्तर प्रदेश विधानसभा भवन, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद उच्च न्यायालय आदि।
निष्कर्षः
उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश वास्तुकला की समन्वयवादी संस्कृति का हृदय स्थल है।