“उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय प्रभावशाली स्थानीय संस्था के रूप में कार्यरत् हैं।” परीक्षण करें।

उत्तर की संरचनाः

भूमिका:

  • संक्षेप में उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय की स्थापना संरचना एवं संगठन को बताएं।

मुख्य भाग:

  • उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय द्वारा किए जा रहे कार्यों का का संक्षिप्त वर्णन करें।
  • कारण सहित नगरीय निकायों की सीमाओं को बताएं।
  • नगरीय निकायों में सुधार के लिए किए गए प्रयासों को बताएं।

निष्कर्ष:

  • संक्षेप में कुछ अन्य सुझाव के साथ नगरीय निकाय में सुधार की आवश्यकता को बताएं।

उत्तर

भूमिकाः

उत्तर प्रदेश में नगरीय निकायों की स्थापना सर्वप्रथम ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में हुई। वर्ष 1916 में नगर पालि नगर क्षेत्र और अधिसूचित क्षेत्र समितियों का गठन हुआ था, लेकिन प्रभावी नगरीय स्थानीय निकायों की स्थापना । संविधान संशोधन (1993)’ के बाद हआ। संविधान संशोधन के बाद उत्तर प्रदश स्थानीय स्वशासन के (संशोधन) अधिनियम 1994″ पारित किया गया। इसके तहत राज्य में निम्नलिखित तीन प्रकार के नगरीय निकाय स्थापित हुए-

  1. नगर निगम
  2.  नगर पालिका परिषद
  3. नगर पंचायत

मुख्य भागः

विगत 25 वर्षों में उत्तर प्रदेश में नगरीय निकायों द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों तथा गतिविधियों को कुशलतपूर्वक संपादित किया गया है। इस संदर्भ में निम्नलिखित सकारात्मक परिणाम उल्लेखनीय हैं:

  • लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरणः 74वां संविधान संशोधन के पश्चात् प्रदेश में स्थानीय निकायों का चुनाव नियमित रूप से राज्य निर्वाचन आयोग की देखरेख में संपन्न हो रहा है। इससे नगरीय प्रशासन में स्थानीय लोगों की भगीदारी से लोकतांत्रिक प्रक्रिया सुदृढ़ हुई है और लोकतंत्र का क्रमशः विकेंद्रीकरण हो रहा है।
  • सामाजिक परिवर्तन: नगरीय निकायों में महिला तथा वंचित समूहों के लिए सीटों का आरक्षण प्रदेश में सामाजिक शक्ति संरचना में परिवर्तन ला रहा है। महिलाओं की स्थिति में इस प्रावधान से सुधार आया है। साथ ही वंचित और पिछड़े समूहों की सत्ता और शासन में भागीदारी से उनका सामाजिक सशक्तिकरण हुआ है।
  • बेहतर नगरीय सुविधाएं: उत्तर प्रदेश में नगरीय स्थानीय निकायों द्वारा विभिन्न नगरीय सुविधाएं जैसे-स्वच्छता, सफाई, अपशिष्ट प्रबंधन, मलिन बस्ती सुधार इत्यादि सुविधाओं को उपलब्ध करवाया जाता है। स्थानीय लोगों की भागीदारी से पहले की तुलना में जहां इन कार्यों में अधिक सफलता दर्ज की जा रही है। वहीं सामाजिक लेखा परीक्षा के द्वारा उनका मूल्यांकन भी किया जा रहा है।
  • सेवाओं का द्वार पर वितरण (डोर स्टेप सर्विस डिलीवरी): प्रदेश में नगरीय निकायों द्वारा जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, विद्युत, पेयजल इत्यादि सशुल्क सेवाएं नागरिकों को उनके द्वार तक उपलब्ध करवाने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें वेब पोर्टल तथा मोबाइल वाहनों का प्रयोग किया जाता है।

लेकिन कई कारणों से उत्तर प्रदेश में नगरीय निकायों का प्रदर्शन अपेक्षा अनुरूप नहीं रहा है। उदाहरण के लिए स्वच्छता सर्वेक्षण 2017 के अनुसार उत्तर प्रदेश का गोण्डा देश का सबसे अस्वच्छ नगर रहा है। इसी प्रकार विभिन्न नगरीय सुविधाओं का वितरण संतोषजनक नहीं पाया गया है। प्रदेश में नगरीय निकाय निम्नलिखित कारणों से कम प्रभावी रहे हैं:

  • वित्त की कमी: नगरीय निकाय के वित्त के स्रोत सीमित हैं तथा अधिकांश निकाय राज्य वित्त पर निर्भर हैं।
  • कार्मिक समस्याः प्रदेश में नगरीय निकाय का कार्य संचालन राज्य सरकार द्वारा नियुक्त पदाधिकारियों द्वारा किया जाता है। इस संदर्भ में नगर निकाय में कार्मिकों की कमी की समस्या विद्यमान है।
  • विशेषज्ञता का अभावः नगरीय निकाय नगरीय विकास की नीतियों के निर्धारण और उसके क्रियान्वयन तथा मूल्यांकन हेतु अपेक्षित विशेषज्ञता का अभाव है। इन निकायों में विशेषज्ञों जैसे इंजीनियर, डिजाइनर तथ अकाउंटेंट इत्यादि का अभाव योजनाओं को दुष्प्रभावित करता है। (सुमित बोस समिति)
  • समानांतर अभिकरण (पैरा स्टेटस एजेंसी): नगरीय क्षेत्र में नगरीय स्थानीय निकायों के अतिरिक्त राज्य सरकार के अन्य अभिकरण कार्यरत हैं जो इन निकायों के प्रति उत्तरदायी नहीं होते हैं। इससे नगर में कार्य संचालन में बाधा उत्पन्न हो रही है।

निष्कर्ष:

नगरीय स्थानीय निकायों की आवश्यकता एवं उपलब्धियों को देखते हुए केंद्र तथा राज्य सरकार द्वारा कई प्रयास किए गए। 14वें वित्त आयोग में प्रदर्शन आधारित अनुदान को अपनाया है। राज्य सरकार द्वारा निगमों की स्वायत्तता और क्षमता में वद्धि के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त स्थानीय निकायों की वित्तीय क्षमता में सुधार के लिए म्युनिसिपल बॉन्ड तथा पूंजी बाजार तक पहुंच के अन्य प्रयास किए जाने चाहिए। कार्मिकों की नियुक्ति की शक्ति तथा आउटसोर्सिंग से कार्य, ‘इन निकायों में कार्मिकों की समस्या को हल कर सकते हैं।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.