यद्यपि उत्तर प्रदेश ने डेयरी उद्योग में अतुलनीय प्रगति की है परन्तु फिर भी यह अपनी पूर्ण क्षमता को प्राप्त नहीं कर पाया है। इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश में डेयरी उद्योग के समक्ष उपस्थित चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर की संरचनाः
भूमिका:
- उत्तर प्रदेश में डेयरी उद्योग के कुछ आँकड़े दीजिए व इसकी प्रगति को बताइए।
मुख्य भाग:
- उत्तर प्रदेश में डेयरी विकास के समक्ष उन चुनौतियों को बताइये जो इसकी पूर्ण क्षमता को बाधित करते है।
निष्कर्ष:
- स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कुछ सुझाव देकर निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर
भूमिकाः
उत्तर प्रदेश में डेयरी उद्योग कृषिगत आय का लगभग 30% योगदान देती है। यह उत्तर प्रदेश को भारत में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक (भारत के कुल दूध उत्पादन का 18%) बनाता है। 2010-17 के बीच उत्तर प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में लगभग 20% प्रतिवर्ष की वृद्धि हुई, लेकिन फिर भी कुछ चुनौतियाँ इसकी पूर्ण क्षमता को बाधित करती हैं।
मुख्य भागः
मुख्य चुनौतियों में सम्मिलित हैं
- विकास गतिविधियों के लिए भूमि की आवश्यकता के कारण चारागाह घटते जा रहे हैं। इससे जानवरों को पर्याप्त व गुणवत्तापूर्ण भोजन नहीं मिल पाता है। इससे दुग्ध की मात्रा व गुणवत्ता गिरती है।
- यहाँ पशुओं की प्रजाति भी निम्नतर है जिससे वे प्रजनन हेतु देर से परिपक्व होते हैं तथा दूध भी देर से देना शुरू करते हैं। साफ-सफाई की निम्नतर स्थिति के कारण गर्भपात व अन्य बीमारियों के कारण भी दुग्ध उत्पादन कम होता
- उत्तर प्रदेश में किसान अधिकता 1 या 2 भैसों को पालते हैं जिससे मुख्यतः निर्वाह के लिए ही दुग्ध उत्पादन हो पाता है। इससे किसानों में व्यावसायिक दुग्ध उत्पादन हेतु निरन्तर दृष्टिकोण विकसित होता है।
- किसानों के अपने पशुओं के प्रति लगाव के कारण कई बार बड़ी मात्रा में अनुत्पादनीय पशुओं का संग्रहण होता है। इससे उत्पादनीय पशुओं के हिस्से का चारा अनुत्पादनीय पशुओं को देना पड़ता है।
- पशु चिकित्सा केन्द्र भी दूर-दूर स्थापित हैं। इससे पशुओं को सही समय पर उचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती है।
- उत्तर प्रदेश में किसानों में निम्नतर सामाजिक पूँजी (विश्वास, भाईचारा) के कारण, निम्नतर तकनीकी ज्ञान के कारण, निम्नतर साख निर्माण के कारण व राजनीतिक हस्ताक्षेप के कारण उत्तर प्रदेश में सहकारी दुग्ध उत्पादन भी कम हो पाता है।
- बड़ी संख्या में बिचौलियों के कारण व दुग्ध संग्रहण के लिए निम्न अवसंरचना के कारण किसानों को दुग्ध का उचित मूल्य भी नहीं मिल पाता है।
निष्कर्षः
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को रूपान्तरित करने के लिए डेयरी उद्योग वास्तव में संभावना रखता है। इन चुनौतिया से किसानों को प्रशिक्षण व साख प्रदान करके सैटेलाइट के माध्यम से ई-पशु चिकित्सकीय सविधाएं उपलब्ध कराके तथा डेयरी संग्रहण अवसंरचना को पुनर्गठित करके निपटा जा सकता है।