विकेन्द्रीकृत ऊर्जा प्रणालियों की अवधारणा
प्रश्न: विकेंद्रीकृत ऊर्जा प्रणालियों द्वारा प्रस्तुत अवसरों की चर्चा करते हुए, उनके पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक लाभों के साथ साथ उनके द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली संस्थागत, तकनीकी और वित्तीय चुनौतियों को भी सूचीबद्ध कीजिए।
दृष्टिकोण
- विकेन्द्रीकृत ऊर्जा प्रणालियों की अवधारणा और उनके द्वारा प्रस्तावित अवसरों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- इससे संबंधित पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक लाभों पर विस्तृत जानकारी दीजिए तथा संस्थागत, तकनीकी और वित्तीय चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
ऊर्जा उपभोग स्थल के समीप ऊर्जा उत्पादन सुविधाओं की अवस्थिति विकेन्द्रीकृत ऊर्जा प्रणाली की विशेषता है। यह उच्च वोल्टेज विद्युत् संचरण नेटवर्क अथवा गैस ग्रिड पर निर्भरता नहीं रखने वाली प्रौद्योगिकियों की विस्तृत श्रृंखला को संदर्भित करती है। इसमें सम्मिलित हो सकते हैं :
- भवन,औद्योगिक स्थल अथवा समुदाय को विद्युत् आपूर्ति करने वाले लघु स्तर के संयंत्र।
- गैर-गैसीय ताप स्रोतों से माइक्रोजेनरेशन, अर्थात् सौर पैनलों की लघु स्तर पर स्थापना ,पवन टरबाइन या बायोमास अपशिष्ट बर्नर (waste burner)।
- माइक्रो-कम्बाइंड हीट एंड पावर (CHP) संयंत्र (जिससे घरों इत्यादि में विद्युत् और ऊष्मा दोनों उत्पन्न किया जाता है) ने प्रभावी रूप से घरेलू बॉयलर को प्रतिस्थापित किया है।
संभावनाएं:
- इसे वर्तमान केंद्रीकृत ऊर्जा प्रणाली के अनुपूरक उपाय के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
- इसका उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को स्थानीय रूप से उपलब्ध कराने के साथ-साथ दूरस्थ समुदायों की स्वच्छ ऊर्जा सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए भी किया जा सकता है।
- यह या तो ऑफ-ग्रिड या मिनी-ग्रिड प्रणाली के माध्यम से ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए वितरित उत्पादन में सहायता कर सकती है।
लाभ
- पर्यावरण
- नवीकरणीय उर्जा का इष्टतम प्रयोग।
- कार्बन उदासीन अथवा निम्न कार्बन ईंधन का संवर्धन।
- आर्थिक
- रूपांतरण दक्षता में वृद्धि (उत्पादित ऊष्मा का अंतर्ग्रहण और प्रयोग करना, पारेषण क्षति को कम करना) पर्यावरण दक्षता को बढ़ाती है।
- बढ़ती प्रतिस्पर्धा कीमतों में कटौती को प्रोत्साहित करती है जैसा कि सौर ऊर्जा में देखा गया है।
- ऑफ-ग्रिड वितरित उत्पादन, अपव्ययी पारेषण और वितरण नेटवर्क प्रसार की आवश्यकता को कम कर सकता है।
- ऊर्जा क्षेत्र में नई नौकरियों का सृजन।
- सामाजिक
- यह विद्युत् और ऊष्मा के स्थानीय मांग प्रारूप से संबंधित उत्पादन को अधिक लचीलापन प्रदान करती है।
- सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव और ऊर्जा संसाधनों के अधिक दक्ष उपयोग के लिए सामुदाय आधारित ऊर्जा प्रणालियों के माध्यम से ऊर्जा सम्बन्धी मुद्दों के संदर्भ में अत्यधिक जागरूकता।
- राष्ट्रीय स्तर पर आपूर्ति की सुरक्षा बढ़ी है क्योंकि ग्राहकों को आपूर्ति साझा नहीं करनी पड़ती अथवा सापेक्षिक रूप से वृहत और दूरस्थ स्थित कुछ पावर स्टेशनों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है।
- ऑफ-ग्रिड अवस्थितियों को ऊर्जा प्रदान करना समावेशी विकास को बढ़ावा देता है।
चुनौतियां
- संस्थागत
- चूँकि विकेन्द्रीकृत ऊर्जा प्रणालियां असंख्य अभिकर्ताओं को विद्युत् उत्पादक बनने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, अतः यह राज्य नियंत्रित विद्युत् बाजारों में बाधा बन सकती हैं।
- ऑफ़-ग्रिड और मिनी-ग्रिड सेवाओं के लिए स्वामित्व योजनाएं और कीमत निर्धारण प्रणाली को स्थापित करना एक चुनौती बनी हुई है।
- तकनीकी
- वितरित उत्पादन में वृहत पैमाने पर प्रस्तरण के परिणामस्वरूप वोल्टेज प्रोफाइल में अस्थिरता हो सकती है।
- स्मार्ट ग्रिड, नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा भंडारण जैसे उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए संपूर्ण विद्युत प्रणाली के संचालन मानदंडों को पुनः डिजाइन और संशोधित करने की आवश्यकता होगी।
- मुख्य ग्रिड के साथ इन प्रणालियों को स्थापित, प्रबंधित और सिंक्रोनाइज़ करने के लिए अनुभवी श्रमिकों की कमी।
- वित्तीय
- बड़े केंद्रीय संयंत्रों की तुलना में वितरित उत्पादन के स्रोतों में प्रति किलोवाट की पूंजी लागत उच्च होती है।
यह देखते हुए कि भारत में अभी भी लगभग 300 मिलियन लोगों तक विद्युत् की पहुँच नहीं है, विकेन्द्रीकृत वितरित उत्पादन प्रौद्योगिकियां सतत ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इस तथ्य को स्वीकार करते हुए, नवीकरणीय ऊर्जा आधारित माइक्रो ग्रिड पर मसौदा नीति तैयार की गई है, जिसका उद्देश्य देश भर में कम से कम 10,000 नवीकरणीय उर्जा आधारित माइक्रो-और मिनी-ग्रिड परियोजनाओं को स्थापित करना है।
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