टाइम जोन: असम और पश्चिम बंगाल के मध्य की संकीर्ण सीमा

प्रश्न: वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के हालिया प्रस्ताव के आलोक में भारत में दो टाइम जोन लागू करने की व्यवहार्यता का मूल्यांकन कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • वर्तमान स्थिति और CSIR द्वारा दिए गए प्रस्ताव के बारे में संक्षेप में लिखिए।
  • भारत में दो टाइम जोन अपनाने के संभावित लाभों और समस्याओं को रेखांकित कीजिए।
  • उत्तर-पूर्व के लोगों की मांग को पूरा करने तथा उन्हें लाभ पहुँचाने के लिए आगे की राह सुझाइए।

उत्तर:

भारत का देशांतरीय विस्तार 68°7′ E से 97°25’E (लगभग 29° या लगभग 2 घंटे का विस्तार) के मध्य है तथा वर्तमान में 82°30′ पूर्वी देशांतर रेखा को भारतीय मानक समय (Indian Standard Time: IST) (यूनिवर्सल टाइम कोऑर्डिनेटेड: UTC + 5.30h) माना गया है। इस देशांतरीय विस्तार के कारण देश के सर्वाधिक पूर्वी भागों अर्थात् पूर्वोत्तर भारत में सूर्योदय शीघ्र होता है जबकि वहां कार्यालय और शैक्षणिक संस्थान काफी देर से खुलते हैं। इसके कारण पूर्वोत्तर में कार्यालयों या शैक्षणिक संस्थानों के लिए दिन के प्रकाश की अवधि (डेलाइट ऑवर्स) कम होती है। वहीं दूसरी ओर यहाँ सूर्यास्त शीघ्र होने कारण विद्युत के उपभोग में वृद्धि होती है।

हाल ही में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने अपनी रिपोर्ट में दो टाइम जोनों की आवश्यकता को रेखांकित किया है। इसने दूसरे टाइम जोन IST-II (UTC + 6.30 h) को 89°52′ E पर प्रस्तावित किया है, जो असम और पश्चिम बंगाल के मध्य की संकीर्ण सीमा है। इसके निम्नलिखित लाभ हैं:

  • कार्यालय समय और जैविक गतिविधियों को सूर्योदय एवं सूर्यास्त के साथ समकालिक बनाना।
  • यह दिन की अवधि (डेलाइट ऑवर्स) के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देगा और विद्युत उपभोग में कमी लाएगा।
  • यह लोगों की उत्पादकता में वृद्धि करेगा। 
  • सूर्य के प्रकाश के अधिक उपयोग से कृषि उत्पादन भी अधिक होगा। अतः इसके पर्यावरणीय और पारिस्थितिक लाभ भी हैं।

हालांकि कुछ समस्याएं भी हैं, जैसे:

  • दो टाइम जोन होने के कारण सीमा पर अव्यवस्था उत्पन्न होगी क्योंकि एक टाइम ज़ोन से दूसरे में जाने पर घड़ियों को पुनर्व्यवस्थित करना आवश्यक होगा। ऐसा न करने से भ्रम उत्पन्न होगा जो खतरनाक हो सकता है।
  • रेलवे समय के स्वचालित प्रबंधन के अभाव में एक टाइम ज़ोन से दूसरे टाइम ज़ोन में जाने पर दुर्घटनाएं हो सकती हैं।लोगों को स्वयं को विभिन्न टाइम जोनों से समायोजित करना पड़ेगा तथा इससे प्रशासनिक एकीकरण कठिन हो जाएगा।
  • बैंकिंग जैसी आवश्यक सेवाओं के सन्दर्भ में समय के समन्वय में कमी आएगी। साथ ही दो अलग-अलग जोनों में स्थित सरकारी कार्यालयों के लिए पारस्परिक पहुंच में नियमित आधार पर 25% की कमी आएगी।
  • यह पूर्वोत्तर के लोगों के मध्य राजनीतिक अलगाव को बढ़ावा दे सकता है।

इस परिदृश्य में IST में UTC+6.00 के रूप में आधे घंटे तक की वृद्धि दोनों पक्षों के लिए लाभदायक हो सकती है।

Read More

 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.