सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग) प्रौद्योगिकी का संक्षिप्त परिचय

प्रश्न: कृषि क्षेत्रक में सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी की भूमिका का सविस्तार वर्णन कीजिए। साथ ही, भारत में कृषि की निगरानी करने के लिए सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने हेतु सरकार द्वारा आरम्भ किए गए विभिन्न कार्यक्रमों को भी सूचीबद्ध कीजिए।

दृष्टिकोण

  • सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग) प्रौद्योगिकी का संक्षिप्त परिचय दीजिए तथा कृषि क्षेत्रक में इसके अनुप्रयोगों का उल्लेख कीजिए।
  • इस सन्दर्भ में भारत सरकार द्वारा आरम्भ किए गए कार्यक्रमों को सूचीबद्ध कीजिए।

उत्तर

सुदूर संवेदन का आशय किसी वस्तु के साथ बिना किसी भौतिक सम्पर्क के उस वस्तु या परिघटना से संबंधित सूचनाओं को प्राप्त करने की पद्धति से है। कृषि क्षेत्रक में सुदूर संवेदन के अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं:

  • फसल क्षेत्रफल एवं उत्पादन आकलन: फसल उत्पादन का अनुमान, फसल क्षेत्रफल आकलन तथा एक दिए गए क्षेत्र में अनुमानित उपज का पूर्वानुमान करने में।
  • फसल वृद्धि तथा फसल क्षति का मूल्यांकन: फसल क्षति से संबंधित वास्तविक क्षेत्रफल का निर्धारण करने तथा खेत में शेष फसल की प्रोग्रेस-रिपोर्ट उपलब्ध करवाने में।
  • फसल प्रणाली की स्थिति का विश्लेषण: अर्थात् फसल वृद्धि चक्र के दौरान नियमित अंतरालों पर फसलों की निगरानी करना।
  • फसल रोपण और कटाई की तिथियों की पहचान: मौसम प्रतिरूपों तथा मृदा प्रकारों जैसे कारकों के पर्यवेक्षण के आधार पर प्रत्येक फसल के रोपण और कटाई अवधियों का पूर्वानुमान करना।
  • फसल में पोषक तत्वों की कमी का पता लगाना: पोषक तत्वों की कमी के कारण पौधों में होने वाले आकारिकी सम्बन्धी परिवर्तनों (morphological changes) यथा रंग, नमी की मात्रा तथा पत्तियों की आंतरिक संरचना में परिवर्तन की निगरानी रखना।
  • कीट एवं रोग संक्रमण की पहचान: उचित कीट नियंत्रण तन्त्र को अपनाने से सम्बंधित आँकड़े प्रदान करना।
  • अन्य प्रयोगों में शामिल हैं– मृदा आर्द्रता आकलन, सिंचाई निगरानी एवं प्रबंधन, मृदा मानचित्रण, सूखे की निगरानी, भूनिम्नीकरण तथा मानचित्रण, समस्याग्रस्त मृदा की पहचान इत्यादि।

इस प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार द्वारा निम्नलिखित कार्यक्रम आरंभ किए गए हैं:

  • अंतरिक्ष, कृषि-मौसम विज्ञान और भूमि आधारित अवलोकनों के प्रयोग से कृषि उत्पादन का पूर्वानुमान (FASAL): इसने महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। इसका उद्देश्य मौसम के दौरान (in season) फसल पूर्वानुमान एवं फसल स्वास्थ्य स्थिति आदि के संबंध में सुदूर संवेदन के प्रचालनात्मक प्रयोग द्वारा सूचना उपलब्ध कराना है।
  • राष्ट्रीय कृषि सूखा आकलन और निगरानी प्रणाली (NADAMAS): यह कार्यक्रम देश के 13 सूखा सुभेद्य राज्यों को कवर करता है। इसके द्वारा राज्य, जिला और उप-जिला स्तर पर कृषि सूखे के प्रसार, स्थानिक विस्तार तथा प्रबलता के संबंध में सुदूर संवेदन आधारित रियल टाइम सूचना प्रदान की जाती है।
  • कोऑर्डिनेटर हॉर्टिकल्चर असेसमेंट एंड मैनेजमेंट यूजिंग जियोइंफॉर्मेटिक्स (CHAMAN): यह बागवानी विकास हेतु कार्य योजनाओं तथा डिजिटल इन्वेंट्री के निर्माण हेतु सुदूर संवेदी आंकड़ों के साथ भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) उपकरणों का उपयोग करता है।
  • सुदूर संवेदन और भौगोलिक सूचना प्रणाली के प्रयोग द्वारा चाय उत्पादक क्षेत्र का विकास और प्रबंधन: इसके अंतर्गत खण्डों के विवरण, छंटाई के प्रकार, छायादार वृक्षों के घनत्व आदि के साथ चाय बागानों के सटीक मानचित्रण हेतु मल्टीस्पेक्ट्रल तथा मल्टी-रिजॉल्यूशन उपग्रह डेटा का उपयोग किया जाता है।
  • राष्ट्रीय कृषि भूमि-उपयोग मानचित्रण: खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने हेतु संभावित क्षेत्रों की पहचान और योजना निर्माण हेतु निवल बुआई क्षेत्र और फसल आवृत्ति से संबंधित रियल टाइम भिन्नताओं की जानकारी उपलब्ध कराना।

इस प्रकार फसल उत्पादन सांख्यिकी से संबंधित अद्यतित जानकारी देने तथा संधारणीय कृषि के लिए आगत उपलब्ध कराने हेतु सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी का प्रभावशाली प्रयोग किया जा रहा है।

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