केस स्टडीज : विकास और पर्यावरणीय मुद्दों में परस्पर द्वंद्व

प्रश्न: आप एक पॉलिसी थिंक टैंक (नीतिगत विचार मंच) के प्रमुख हैं। देश की राजधानी में एक आवासीय कॉलोनी बनाने के लिए 10,000 से अधिक पेड़ों को काटने का एक प्रस्ताव है। इस शहर में देश की सबसे बड़ी बेघर आबादी में से एक रहती है और उनके लिए इस बसावट का उपयोग किया जाएगा। इस समाचार ने काफी सार्वजनिक वाद-विवाद को जन्म दिया है। जहाँ एक तरफ बढ़ती आबादी की मांगों को पूरा करने के लिए शहरी आधारभूत संरचना का विस्तार करने की आवश्यकता है, वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण संबंधी चिंताए भी हैं। पिछले दस वर्षों में, इस शहर ने अपना आधे से अधिक हरित आच्छादन को खो दिया है और चरम जलवायविक घटनाओं की आवृत्ति में वृद्धि देखी है। आपसे नीति निर्माताओं और संबंधित नागरिकों को एक व्याख्यान देने के लिए कहा जाता है, जिसमें आपको विशेष रूप से निम्नलिखित प्रश्नों से निपटना है:

(a) आपके विचार में ऐसी स्थितियां प्रथम दृष्टया उत्पन्न ही क्यों होती हैं जहां विकासात्मक गतिविधियां और पर्यावरणीय चिंताए अक्सर एक-दूसरे के द्वंद के रूप में सामने आती है?

(b) ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधान क्या होने चाहिए?

(c) नीति निर्माण और नियोजन प्रक्रिया में पर्यावरणीय चिंताओं को अंतर्निविष्ट करने के संभावित लाभ क्या हैं?

दृष्टिकोण

  • परिस्थिति से संबंधित तथ्यों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  • उन कारणों का परीक्षण कीजिए जिनसे विकास और पर्यावरणीय मुद्दों में परस्पर द्वंद्व होता है।
  • इस संघर्ष से निपटने के लिए अलग-अलग अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधान प्रदान कीजिए।
  • विकास के नियोजन की प्रक्रिया में पर्यावरणीय चिंताओं को अंतर्निविष्ट करने के लाभों का विश्लेषण कीजिए।

उत्तर

उपर्युक्त परिस्थिति विकास बनाम पर्यावरण से सम्बंधित एक विशिष्ट मामला है। इस मामले में, शहर की बेघर आबादी के आवास के लिए एक आवासीय कॉलोनी विकसित करने हेतु 10,000 पेड़ों को काटने का प्रस्ताव है। हालांकि, मुद्दा यह है कि शहर ने पहले से ही अपने आधे से अधिक हरित आच्छादन को खो दिया है और चरम जलवायविक घटनाओं से ग्रस्त है। इस संबंध में, पॉलिसी थिंक टैंक के प्रमुख से नीति निर्माताओं और नागरिकों की बेहतर समझ हेतु मामले को स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट किए जाने की अपेक्षा है। वह हितधारकों के लिए मुद्दों की पहचान करने में तथा उन्हें एक सूचित निर्णय लेने में भी सक्षम करने में समर्थ होना चाहिए।

(a). ऐसी स्थितियों के घटित होने के कारण हैं:

  • नियोजन का अभाव: नगर निगम के अधिकारियों द्वारा शहर के विकास के लिए योजनाओं को उचित रूप से तैयार नहीं किया जाता है।
  • जागरूकता का अभाव और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल परिणामों पर ध्यान न केंद्रित करना: सतत विकास और जलवायु परिवर्तन के परिणाम आदि अपेक्षाकृत आधुनिक समय की अवधारणाएं हैं। ये शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव और शहरी बाढ़ जैसे अप्रत्यक्ष परिणामों का सामना करने के पश्चात ही शहरी नियोजन में शामिल की जा रही हैं।
  • किसी शहर के कल्याण में पारिस्थितिकीय कारकों द्वारा निभाई गई भूमिका को समुचित प्रोत्साहन न दिया जाना।
  • अत्यधिक जनसंख्या का दबाव: देश भर में शहरों के एक समान विकास के लिए समष्टि स्तरीय प्रभावी योजना के अभाव के कारण शहर में अत्यधिक जनसंख्या दबाव उत्पन्न करता है, जो अन्य कम विकसित शहरी केंद्रों की तुलना में अवसरों के साथ-साथ व्यक्तियों की आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।
  • नवीन अवसंरचना का निर्माणः हरित आच्छादन की हानि की लागत पर शहर का विस्तार किया जाता है। उदाहरण के लिए, मेट्रो के परिचालन हेतु उससे संलग्न भूमि की बड़ी मात्रा की आवश्यकता होती है। ऐसे में शहरों के पहले से ही अत्यधिक भीड़-भाड़ युक्त होने के कारण, वनों को काटकर भूमि का अधिग्रहण परिपूर्ण किया जाता है।
  • जीवन स्तर: शहरों को जीवन स्तर में सुधार लाने वाले स्थान के रूप में देखा जा रहा है। अत: इसके लिए नई अवसंरचना के निर्माण की आवश्यकता होगी, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण पर और अधिक दबाव उत्पन्न होगा।

(b) अल्पकालिक समाधान:

  •  सभी कारकों पर उचित रूप से विचार करने के पश्चात् ही बसावट स्थल के चयन का निर्णय लिया जाना चाहिए। साथ ही उन वैकल्पिक स्थलों पर विचार किया जाना चाहिए जहां पर्यावरण के लिए न्यूनतम खतरा हो।
  • अस्थायी पुनर्वास: डॉर्मटॉरी जैसे अस्थायी आवासों का निर्माण करके बेघर लोगों का पुनर्वास किया जाना चाहिए।
  • शहरों के क्षैतिज विकास के स्थान पर ऊर्ध्वाधर विकास को प्रोत्साहित करने के लिए फ़्लोर स्पेस इंडेक्स के मानदंडों को अधिक उदार बनाना।
  • नगरपालिका प्राधिकरण और वन विभाग के मध्य समन्वय: उचित डिजाइन को क्रियान्वित करना ताकि जितना संभव हो उतने वृक्षों को बचाया जा सके, साथ ही कुछ वृक्षों को गिरने से बचाया जा सके।
  • CAMPA फंड का उपयोग करके क्षतिपूर्ति के रूप में वनरोपण: इसमें वृक्षों की उचित प्रजातियों का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • मॉडल टेनेंसी एक्ट के समान ही रेंट कंट्रोल एक्ट में सुधार करना।

दीर्घकालिक समाधान: 

  • समुचित नियोजन: इसके अंतर्गत भविष्य में जनसंख्या वृद्धि (प्रवृत्ति) की पहचान, उचित अवसंरचना की आवश्यकता, वित्तीयन के स्रोत इत्यादि शामिल हैं।
  • पर्यावरणीय लेखांकन प्रथाओं को लागू करना ताकि पर्यावरणीय विनाश के नकारात्मक प्रभावों का आकलन किया जा सके।
  • नष्ट हो चुके हरित आच्छादन की पुनः प्राप्ति के लिए विभिन्न सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की इकाइयों द्वारा अनिवार्य वनरोपण अभियानों का आरंभ किया जाना चाहिए।
  • सरकारी PSUs इत्यादि के द्वारा अधिग्रहित अतिरिक्त भूमि को मुक्त करना: इसकी अनुशंसा नीति अयोग द्वारा की गयी है। यह निर्धन लोगों के लिए कम लागत वाले आवासों का निर्माण करने में सहायता करेगा।
  • शहरी अवसंरचना के लिए बंजर भूमियों का विकास।
  • स्मार्ट सिटी परियोजना जैसी नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन, जिससे कि कुछ शहरी केंद्रों पर अवसरों और अवसंरचना के अभाव के कारण उत्पन्न जनसंख्या दबाव को नियंत्रित किया जा सके।
  • नीति निर्माताओं द्वारा जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक परिणामों को समझा जाना चाहिए और सतत विकास पर ध्यान – केंद्रित किया जाना चाहिए।
  • अनुषंगी नगरों (सैटेलाइट टाउन्स) का विकास: निकटवर्ती और उपनगरीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को सृजित किया  जाना चाहिए ताकि शहरों की ओर होने वाले प्रवास को कम किया जा सके।

(c). नीति निर्माण में पर्यावरणीय चिंताओं को सम्मिलित करने के संभावित लाभ

  • सतत विकास: भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए संसाधनों का उचित उपयोग करना।
  • चरम जलवायविक घटनाओं का शमन: जैसा कि विभिन्न शहरों में देखा जा रहा है। उदाहरण के लिए चेन्नई बाढ़ का कारण अव्यवस्थित शहरीकरण था।
  • आजीविका के लिए वनों/वृक्षावरण पर निर्भर समुदायों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को सीमित करना।
  • ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी: वन CO2 जैसी ग्रीन हाउस गैसों (GHG) के प्रमुख भंडार गृह हैं।
  • पर्यावरण से संबंधित विरोध-प्रदर्शनों की संख्या में कमी करना: स्थानीय निवासियों पर प्रतिकूल प्रभाव के कारण इनकी संख्या में वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए हाल ही में, राजधानी में एक कॉलोनी के निवासियों द्वारा विकास के लिए वृक्षों को काटने के सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया गया।
  • समृद्ध जैव-विविधता का संरक्षण जो पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में सहायता करती है।

शहरी डिजाइन समाधानों के द्वारा वृक्षों की रक्षा की जानी चाहिए। एक सामान्य कार्य प्रणाली को जारी रखने के बजाय नए डिजाइन सिद्धांतों को शामिल करते हुए एक एकीकृत संधारणीय प्रणाली को अपनाया जाना चाहिए।

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