चौथी औद्योगिक क्रांति : समावेशी विकास

प्रश्न: चौथी औद्योगिक क्रांति में सफल होने के लिए समावेशी विकास को प्रोत्साहित करने वाली नीति एवं संस्थागत परिवेश के सुदृढीकरण को शीर्ष नीतिगत प्राथमिकता बनाये जाने की आवश्यकता है। चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • चौथी औद्योगिक क्रांति को परिभाषित कीजिए।
  • चौथी औद्योगिक क्रांति समावेशी विकास को कैसे प्रभावित करती है?
  • चौथी औद्योगिक क्रांति में समावेशी विकास के लिए नीति और संस्थागत परिवेश को कैसे मजबूत किया जाना चाहिए, चर्चा कीजिए?

उत्तर

चौथी औद्योगिक क्रांति (4IR) को ऐसी प्रौद्योगिकियों के संलयन के रूप में चिन्हित किया जाता है जो भौतिक, डिजिटल और जैविक क्षेत्रों के बीच की रेखाओं को क्षीण करती हैं। इसे रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नैनो टेक्नोलॉजी, क्वांटम कंप्यूटिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), 3D प्रिंटिंग और स्वचालित वाहन आदि क्षेत्रों में प्रगति के रूप में चिह्नित किया गया है। पिछली क्रांति की भाँति, 4IR में भी वैश्विक आय स्तर को बढ़ाने तथा वैश्विक स्तर पर जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने की क्षमता है। हालांकि, इससे संबंधित मुख्य चिंता यह है कि यह समाज में अधिक असमानता उत्पन्न कर सकती है जिसके निम्नलिखित कारण हैं:

  •  ब्लू-कॉलर श्रम बाजारों में व्यवधान: तीव्र और बेहतर मशीनें, निम्न लागत तथा कम कुशल श्रम की प्रतिस्पर्धात्मकता को कम कर देंगी, जिससे उनको विस्थापन हो सकता है।
  • वहनीयता और सुगम्यता से संबंधित चुनौतियां: भारत जैसे देश में लिंग विभाजन, डिजिटल विभाजन, ग्रामीण-शहरी विभाजन एवं शैक्षिक अंतराल व्याप्त हैं। इसके कारण 4IR में जनसंख्या का एक बड़ा भाग शामिल नहीं हो पाएगा।
  • पूंजी की अपेक्षा उत्पादन के एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में प्रतिभा: इससे जॉब मार्केट का तेजी से “कम कौशल / कम वेतन” और “उच्च कौशल / उच्च वेतन” जैसे खंडों में विभाजन हो सकता है। इससे संभावित रूप से सामाजिक तनाव उत्पन्न हो सकता है।
  • मौजूदा उद्योग संरचनाओं में व्यवधान: छोटे और स्थानीय व्यवसायों, जो 4IR को अपनाने में असफल रहेंगे, को शीघ्र ही अभिनव प्रतिस्पर्धियों द्वारा हटा दिया जाएगा क्योंकि उनके पास अनुसंधान, विकास, विपणन, बिक्री और वितरण के लिए वैश्विक डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुंच की सुविधा होगी।

वहीं यदि सकारात्मक दृष्टि से देखा जाए तो 4IR, नागरिकों के एक दूसरे से जुड़ने, शिक्षा की पहुँच में सुधार, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल, बेहतर परिसंपत्ति प्रबंधन आदि के माध्यम से प्राकृतिक पर्यावरण के पुनर्जनन के लिए नए तरीकों के निर्माण आदि के द्वारा आर्थिक समावेशन को प्रोत्साहित करेगी।

तथापि 4IR से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए, नीतिगत और संस्थागत परिवेश के सुदृढ़ीकरण के लिए विभिन्न उपायों को क्रियान्वित किए जाने की आवश्यकता है। इसमें निम्नलिखित उपाय सम्मिलित हैं:

  • वहनीय गुणवत्तायुक्त शिक्षा व कौशल निर्माण तक समतामूलक पहुँच: लिंग अंतराल को कम करना, प्राथमिक, माध्यमिक, तृतीयक और व्यावसायिक क्षेत्र में नामांकन बढ़ाना।
  • विकासवादी विनियामक प्रणाली जो निरंतर स्वयं को, उपभोक्ताओं और श्रमिकों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए व्यापार और नागरिक समाज के साथ निकट सहयोग के माध्यम से नए, तेजी से परिवर्तित वातावरण के अनुकूल बनाती हो।
  • डेटा को स्थानांतरित, प्रोसेस और स्टोर करने की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने तथा निजता , बौद्धिक संपदा अधिकारों और संबंधित आयामों को बनाए रखने के लिए डेटा संरक्षण – जो 4IR की नींव को निर्मित करता है।
  • क्षेत्रीय स्तर पर अपेक्षाकृत बड़े प्रतिद्वंदियों से पिछड़ जाने के जोखिम को दूर करने के लिए बैंकों, भुगतान फर्मों, ऑनलाइन बाजारों, लॉजिस्टिक्स प्रदाताओं आदि की सेवाओं को सुविधाजनक बनाने हेतु सुसंगत और अंतःक्रियात्मक व्यावसायिक वातावरण निर्मित करना।
  • राजकोषीय नीति पर पुनर्विचार – चूंकि अब उत्पाद वर्चुअल हो रहे हैं और सेवाएँ ऑनलाइन हो रही हैं तथा दूरस्थ रूप से वितरित की जाने लगी हैं अतः ऐसे में कर अपवंचन की भली-भांति निगरानी किए जाने की आवश्यकता है।

4IR को अधिकांशतः निजी भागीदारों द्वारा संचालित किया जा रहा है। अतः दीर्घकालिक सतत विकास प्राप्त करने के लिए, नीतियों के माध्यम से यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी हितधारक इससे लाभान्वित हो रहे हैं।

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