‘ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस’ : सूचकांक में भारत की रैंकिंग को बेहतर बनाने में योगदान करने वाले सुधारों पर चर्चा 

प्रश्न: विश्व बैंक के ‘ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस’ सूचकांक में भारत की रैंकिंग को बेहतर बनाने में योगदान करने वाले सुधारों पर चर्चा करते हुए, व्यवसाय करने के समग्र वातावरण में अब भी विद्यमान चुनौतियों की पहचान कीजिए। भारत द्वारा इस सूचकांक पर अपने प्रदर्शन को और अधिक सुधारने के लिए उठाए जा सकने वाले कुछ ठोस कदम सुझाइए।

दृष्टिकोण

  • भारत की रैंकिंग संबंधी सुधार के विषय में एक संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • सुधार के लिए उत्तरदायी कारकों का उल्लेख कीजिए।
  • इससे संबंधित चुनौतियों का उल्लेख कीजिए तथा इसके और अधिक सुधार हेतु उठाए जा सकने वाले कदम सुझाइए।

उत्तर

विश्व बैंक के ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस इंडेक्स में भारत अपनी रैंकिंग में सुधार करते हुए 100वें स्थान पर पहुँच गया है, जिसके कारण यह सर्वाधिक सुधार करने वाले शीर्ष 10 देशों में से एक है। रैंकिंग में इस स्तर के सुधार के पीछे निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं:

  • 2016 में, आय गणना तथा प्रकटीकरण मानक (ICDS) के शुभारंभ ने ऑनलाइन करों के भुगतान और डेटा संग्रहण की प्रक्रिया को सरल बना दिया है।
  • भवन निर्माण परमिट हेतु आवेदन करने से पूर्व भवन निर्माण योजना प्रस्तुत करना सरल हो गया है।
  • व्यवसाय संस्थापन (बिज़नेस इंकॉर्पोरेशन) का नया फॉर्म जिसमें कटौती खाता संख्या (TAN) और स्थायी खाता संख्या (PAN), दोनों को शामिल किया गया है।
  • भविष्य निधि और राज्य बीमा आवेदनों को पूरा करने के लिए निर्धारित समय-सीमा में कमी की गई है।
  • दिवालियापन संबंधी मामलों को विनियमित करना और एक नयी दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता को अपनाया जाना।
  • मुंबई बंदरगाह की अवसरंचना में सुधार के साथ ही भारत ने बॉर्डर कंप्लायंस टाइम को कम किया है।
  • मर्चेट ओवरटाइम फीस को समाप्त किए जाने के पश्चात दिल्ली और मुंबई में आयात और निर्यात के बॉर्डर कंप्लायंस की लागत में कमी आई है।
  • SEBI द्वारा उठाए गए कदमों से अल्पसंख्यक निवेशकों की सुरक्षा, KYC मानदंडों को सुव्यवस्थित किया जाना, मध्यस्थता केंद्रों की संख्या में वृद्धि और FPI मानदंडों को सरल बनाया जाना।
  • विद्युत् आपूर्ति में सुधार।

हालाँकि, कुछ चुनौतियों का निवारण करना अभी भी शेष है:

  • निर्माण संबंधी अनुमति प्राप्त करना: राज्यों द्वारा सभी म्युनिसिपल परमिट आवेदनों को ऑनलाइन सिंगल विंडो क्लियरेन्स के माध्यम से शीघ्रता से निपटाया जाना चाहिए।
  • व्यवसाय आरम्भ करना: स्टार्टअप योजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन और सिंगल विंडो क्लियरेंस एवं स्व-प्रमाणीकरण सहित स्वीकृति प्रक्रिया को सरल बनाना।
  • अनुबंध को लागू करना: वाणिज्यिक न्यायालयों को स्थापित करना, मध्यस्थता जैसे वैकल्पिक विवाद समाधान को सशक्त करना, निवेशक-राज्य विवाद निपटान तंत्र को कम करने के लिए BIT मॉडल में संशोधन करना।
  • स्वीकृति संबंधित मुद्दे: EIA,SIA आदि का कठोर कार्यान्वयन जिससे इन परियोजनाओं में बाद में विलम्ब न हो सके।
  • कठोर श्रम नीतियाँ: कर्मचारियों द्वारा ओवरटाइम करने के लिए कारखाना (संशोधन) विधेयक जैसे श्रम कानून, कर्मचारियों के मुआवजे के लिए कर्मचारी प्रतिकार (संशोधन) विधेयक, 24X7 व्यवसाय के लिए मॉडल दुकान एवं प्रतिष्ठान (रोजगार एवं सेवा शर्तों का नियमन) विधेयक एवं भर्ती और बर्खास्त नीति (हायरिंग एंड फायरिंग पॉलिसी) को व्यवस्थित करने संबंधित अन्य सुधारों की आवश्यकता है।

भारत ने कठिन चुनौतियों से निपटने की अपनी क्षमता को प्रदर्शित किया है और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस में इसका प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा है। निर्माण परमिट जैसे उत्त क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर जहाँ सुधार की अधिक संभावना है तथा विनियामक प्रक्रिया से संबंधित प्रत्येक व्यक्ति के प्रयासों को समन्वित कर, भारत अपनी रैंकिंग में और अधिक सुधार कर सकता है।

Read More 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.