सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्कता

प्रश्न: सूचना के अधिकार अधिनियम का प्रभावी कार्यान्वयन एक सतर्कता का माहौल तैयार करेगा जिससे अधिक सहभागी लोकतंत्र के कार्यशील होने में सहायता मिलेगी। सविस्तार वर्णन कीजिए।

दृष्टिकोण

  • सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्कता के संबंध में संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • उल्लेख कीजिए कि यह किस प्रकार सतर्कता का माहौल तैयार करता है और सहभागी लोकतंत्र को सुविधाजनक बनाता है।

उत्तर

सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम एक अग्रणी कानून है जोकि गोपनीयता से पारदर्शिता की और प्रगति का संकेत देता है। RTI अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उचित रिकॉर्ड रखने, प्रभावी निगरानी तंत्र, PIOs का क्षमता निर्माण, लोगों (विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों) के मध्य जागरूकता उत्पन्न करने, सुदृढ़ शिकायत निवारण तंत्र, दुर्भावनापूर्ण अनुरोधों से निपटने, RTI याचिकाओं की अस्वीकृति को कम करने और विभिन्न विभागों द्वारा सूचना के स्वत: संज्ञान से प्रकटीकरण को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता होती है।

प्रभावी कार्यान्वयन निम्नलिखित प्रकार से सतर्कता का माहौल तैयार करता है:

  • खुलापन एक मानक बन चुका है जबकि निजता एवं गोपनीयता केवल अपवाद बनकर रह गए हैं।
  • लोक नीतियों तथा कार्यों से संबंधित सूचना की मांग एवं प्राप्ति से समाज के गरीब और कमजोर वर्गों का सशक्तिकरण होता है।
  • लोक अधिकारियों के कार्यों को अधिक वस्तुनिष्ठ बनाने के परिणामस्वरूप पूर्वानुमेयता में वृद्धि होती है।
  • RTI के माध्यम से लोगों द्वारा स्वयं ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली, निजीकरण संबंधी पहलों, पेंशन, सड़कों की मरम्मत, विद्युत कनेक्शन, दूरसंचार शिकायतों आदि जैसे शिकायतों को निपटाया जा रहा है।
  • विगत दशक में RTI द्वारा किए गए खुलासों के कारण असंख्य घोटालों के माध्यम से सतर्कता में हुई वृद्धि को देखा जा सकता है। इनमें आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला, 2 जी घोटाला, राष्ट्रमंडल खेल घोटाला इत्यादि शामिल हैं।

इस प्रकार सतर्कता के माहौल ने नागरिकों एवं सरकार के मध्य के अंतराल को कम किया है तथा स्वस्थ लोकतांत्रिक समाज के निर्माण हेतु आवश्यक सूचना के मुक्त प्रवाह की सुविधा प्रदान की है। इसने नागरिकों को उनके अधिकारों तथा पात्रता के सन्दर्भ में भलीभाँति सूचित किया है जोकि लोकतांत्रिक कार्य पद्धति के लिए महत्वपूर्ण है। जानने का अधिकार जोकि अनुच्छेद 19(1) और अनुच्छेद 21 में अंतर्निहित है, को RTI के माध्यम से ही कार्यान्वित किया गया है।

लोगों का ज्ञान द्वारा सशक्त बनने के साथ ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया अब अधिक सहभागी बन चुकी है। तथ्यों के साथ प्रतिनिधियों से प्रश्न पूछने और उन्हें एक सुविज्ञ विकल्प के साथ चुनने की क्षमता ने संपूर्ण प्रक्रिया को बेहतर बनाया है। अतः सूचना के अधिकार को सहभागी लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने तथा जन-केंद्रित शासन को संचालित करने की कुंजी के रूप में देखा गया है।

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