I. काली मिट्टी
1. भारत की निम्न मिट्टियों में से कौन बेसाल्ट लावा के अपक्षय के कारण निर्मित हुई है?
(a) जलोढ़ मिट्टियां
(b) लेटराइट मिट्टियां
(c) लाल मिट्टियां
(d) रेगुर मिट्टियां
[U.P.P.C.S. Re. Exam (Pre) 2015, U.P. Lower Sub. (Pre) 2015]
उत्तर – (d) रेगुर मिट्टियां
- भारत में रेगुर मिट्टियों का निर्माण बेसाल्ट लावा के अपक्षय के कारण हुआ है।
- इसे काली मिट्टी भी कहते हैं।
- ये मिट्टियां दक्कन ट्रैप के ऊपरी भागों में विशेष रूप से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक में पाई जाती हैं।
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2. भारत में काली कपास मृदा की रचना, निम्नलिखित में से किसके अपक्षयण से हुई है?
(a) भूरी वन मृदा
(b) विदरी (फिशर) ज्वालामुखीय चट्टान
(c) ग्रेनाइट और शिस्ट
(d) शेल और चूना पत्थर
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर – (b) विदरी (फिशर) ज्वालामुखीय चट्टान
- भारत में काली कपास मृदा की रचना विवरी (फिशर) ज्वालामुखीय चट्टान के अपक्षयण से हुई है।
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3. ‘रेगुर’ (Regur) किसका नाम है?
(a) लाल मिट्टी
(b) जलोढ़ मिट्टी
(c) काली मिट्टी
(d) लैटेराइट मिट्टी
[M.P.P.C.S. (Pre) 2013, 44 B.P.S.C. (Pre) 2000, 1998]
उत्तर – (c) काली मिट्टी
- काली मिट्टी को स्थानीय रूप से रेगुर/रेगढ़ (Regur) या कपास मिट्टी या उष्णकटिबन्धीय चेर्नोजेम (Chernozem) आदि अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
- भारत में इस मिट्टी का विस्तार मुख्यतः महाराष्ट्र और साथ ही पश्चिमी मध्य प्रदेश, गुजरात आदि राज्यों के क्षेत्र पर मिलता है।
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4. कथन (A): दक्षिणी ट्रैप की रेगड़ मिट्टियां काली होती है।
कारण (R): उनमें ह्यूमस प्रचुर मात्रा में होता है। नीचे दिए हुए कूट से सही उत्तर चुनिए-
कूट :
(a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(b) (A) तथा (R) दोनों सही हैं, किंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, किंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, किंतु (R) सही है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (c) (A) सही है, किंतु (R) गलत है।
- दक्कन ट्रैप की काली मिट्टी को ‘रेगड’ या ‘रेगुर’ के नाम से भी जाना जाता है।
- यह कपास की खेती के लिए अत्यधिक उपयुक्त होती है।
- इनमें लोहा, चूना, कैल्शियम, पोटॉश, एल्युमीनियम एवं मैग्नीशियम कार्बोनेट की अधिकता और नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और जैविक पदार्थों (ह्यूमस) की कमी पाई जाती है।
- अतः कथन (A) सही है, जबकि कारण (R) गलत है।
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5. करेवा किस प्रकार की खेती के लिए प्रसिद्ध है?
(a) केला
(b) केसर
(c) आम
(d) अंगूर
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक
[67 B.P.S.C. Re. Exam (Pre) 2022]
उत्तर – (b) केसर
- करेवा (Karewa) हिमनद, चिकनी मिट्टी तथा दूसरे पदार्थों का हिमोद पर मोटी परत के रूप में जमाव है।
- करेवा, जाफरान (देशी केसर) की कृषि के लिए प्रसिद्ध है।
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6. कथन (A): काली मिट्टी कपास की खेती के लिए उपयुक्त है।
कारण (R): उनमें जैव तत्व प्रचुर मात्रा में होता है।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए –
कूट :
(a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(b) (A) तथा (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
- काली मिट्टी में तीव्र जलधारण की क्षमता पाई जाती है।
- यह भीगने पर ठोस और चिपचिपी हो जाती है और सूखने पर आकुंचित एवं दरारयुक्त हो जाती है।
- इसलिए इसे ‘स्वतः जुताई’ वाली मिट्टी कहा जाता है।
- यह मिट्टी कपास की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है।
- इस मिट्टी का रंग गहरा काला से हल्का काला और बेस्टनट की तरह होता है।
- सामान्यतया इसमें लोहा, चूना, कैल्शियम, पोटाश, एल्युमीनियम और मैग्नीशियम कार्बोनेट की प्रचुरता पाई जाती है, परंतु नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और जैव पदाथों (ह्यूमस) की कमी पाई जाती है।
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7. देश की निम्नलिखित मिट्टियों में से किसे ‘स्वतः कृष्य मिट्टी’ कहा जाता है?
(a) जलोद मिट्टी
(b) लैटेराइट मिट्टी
(c) कपास की काली मिट्टी
(d) मरुस्थलीय मिट्टी
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2009]
उत्तर – (c) कपास की काली मिट्टी
- यह भीगने पर ठोस और चिपचिपी हो जाती है और सूखने पर आकुंचित एवं दरारयुक्त हो जाती है।
- इसलिए इसे ‘स्वतः जुताई’ वाली मिट्टी कहा जाता है।
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8. लावा मिट्टियां पाई जाती है-
(a) छत्तीसगढ़ मैदान में
(b) सरयूपार मैदान में
(c) मालवा पठार में
(d) शिलांग पठार में
[U.P.P.C.S. (Pre) 1998]
उत्तर – (c) मालवा पठार में
- पश्चिमी भारत की काली मिट्टी का निर्माण लावा से हुआ है।
- इसलिए इसे लावा मिट्टी भी कहते हैं।
- मालवा का पठार इसी दक्कन ट्रैप की काली मिट्टी क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
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9. इस मृदा को सिंचाई की कम आवश्यकता होती है, क्योंकि वह नमी रोक कर रखती है। वह कौन-सी है?
(a) लाल
(b) काली
(c) लैटेराइट
(d) जलोद
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2003, U.P.P.C.S. (Pre) 2010]
उत्तर – (b) काली
- काली मिट्टियों (Black Soils) में तीव्र जल धारण क्षमता पाई जाती है।
- यह भीगने पर ठोस एवं चिपचिपी हो जाती है तथा सूखने पर आंकुचित एवं दरारयुक्त हो जाती है।
- इसीलिए इन्हें स्वतः जुताई वाली मिट्टी भी कहा जाता है।
- इन्हें सिंचाई की कम आवश्यकता पड़ती है।
- अतः उत्तर विकल्प (b) सही है।
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10. झारखंड में काली मिट्टी कहां पाई जाती है?
(a) दामोदर घाटी प्रदेश
(b) स्वर्णरेखा नदी घाटी प्रदेश
(c) राजमहल पहाड़ी प्रदेश
(d) पलामु प्रदेश
[Jharkhand P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर – (c) राजमहल पहाड़ी प्रदेश
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (NIDM) की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में काली मिट्टी, राजमहल क्षेत्र में पाई जाती है।
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11. निम्नलिखित कथनों में कौन सही नहीं है?
(a) काली मिट्टी को स्थानीय भाषा में ‘रेगुर’ कहा जाता है।
(b) क्रेब्स के अनुसार रेगुर मिट्टी अनिवार्य रूप से एक परिपक्व मिट्टी होती है।
(c) काली मिट्टी में आर्द्रता (नमी) धारण करने की उच्च क्षमता होती है।
(d) काली मिट्टी हिमालय क्षेत्र में पाई जाती है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर – (d) काली मिट्टी हिमालय क्षेत्र में पाई जाती है।
- काली मिट्टी भारत के दक्कन पठार में लगभग 5.46 लाख वर्ग किमी. में पाई जाती है।
- इसमें जल धारण की उच्च क्षमता होती है तथा इसमें लौहांश की मात्रा अधिक पाई जाती है।
- यह हिमालय क्षेत्र में नहीं पाई जाती है।
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II. लैटेराइट मिट्टी
1. भारत की लैटेराइट मिट्टियों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही है?
1. वे साधारणतः लाल रंग की होती हैं।
2. वे नाइट्रोजन और पोटाश से समृद्ध होती हैं।
3. उनका राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अच्छा विकास हुआ है।
4. इन मिट्टियों में टैपियोका और काजू की अच्छी उपज होती है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए –
कूट :
(a) 1, 2 और 3
(b) 2, 3 और 4
(c) 1 और 4
(d) केवल 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (c) 1 और 4
- लैटेराइट मिट्टी का लाल रंग लोहे के ऑक्साइड के कारण होता है।
- ये मिट्टियां सामान्यतः लौह तथा एल्युमीनियम में समृद्ध होती हैं, जबकि इनमें नाइट्रोजन, पोटाश, चूना तथा जैविक पदार्थों की कमी होती है।
- इस मृदा का सर्वाधिक विकास केरल, महाराष्ट्र एवं मेघालय में पाया जाता है।
- ये प्रायः कम उर्वरता वाली मिट्टियां है, किंतु उर्वरकों के प्रयोग से इनमें कपास, चावल, रागी, गन्ना, दाल, चाय, कहया, टैपियोका और काजू आदि की कृषि की जाती है।
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2. निम्न में से कौन-सा कथन भारत की लैटेराइट मृदा के संदर्भ में सत्य है?
1. लैटेराइट मृदा उच्च ताप व भारी वर्षा वाले क्षेत्र में विकसित होती है।
2. लैटेराइट मृदा जैविक (ह्यूमस) समृद्ध होती है व पश्चिम बंगाल, असम व ओडिशा में पाई जाती है।
(a) केवल 2 सत्य है।
(b) 1 व 2 दोनों सत्य हैं।
(c) 1 व 2 दोनों असत्य हैं।
(d) केवल 1 सत्य है।
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर – (d) केवल 1 सत्य है।
- लैटेराइट मृदा मानसून सदृश मौसमी वर्षा वाली उष्णकटिबंधीय जलवायु की विशिष्ट मृदा है।
- उष्णकटिबंधीय भारी वर्षा के कारण होने वाली तीव्र उपक्षालन क्रिया के परिणामस्वरूप लैटेराइट मृदा का निर्माण होता है, परंतु इस मृदा की उर्वरता कम होती है अर्थात इनमें ह्यूमस की कमी होती है।
- यह मृदा केरल, पूर्वी तमिलनाडु, ओडिशा, मेघालय, छोटा नागपुर पठार आदि क्षेत्रों में पाई जाती है।
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3. कथन (A): पश्चिम बंगाल की तुलना में आंध्र प्रदेश के शुद्ध रोपित क्षेत्र की उसके कुल क्षेत्रफल में प्रतिशतता कम है।
कारण (R): अधिकांश आंध्र प्रदेश की मृदा मखरला (लैटेराइट) प्रकार की है।
कूट :
(a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या
(b) (A) तथा (R) दोनों सही हैं, किंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, किंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, किंतु (R) सही है।
[I.A.S. (Pre) 2006]
उत्तर – (c) (A) सही है, किंतु (R) गलत है।
- प्रश्नकाल में प. बंगाल का शुद्ध रोपित क्षेत्र (Net Sown Area) लगभग 60 प्रतिशत था, जबकि आंध्र प्रदेश का रोपित क्षेत्र (Sown Area) 40 प्रतिशत था।
- अतः कथन (A) सही है।
- लैटेराइट मिट्टी (Laterite soil) भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में अपक्षालन (leaching) से निर्मित होती है।
- यह भारत में केरल, पूर्वी तमिलनाडु के छोटे से भाग में, ओडिशा, छोटानागपुर पठार, पूर्वोत्तर में मेघालय के उत्तरी भाग तथा पश्चिमी घाट पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
- आंध्र प्रदेश के अधिकांश भाग पर लाल एवं जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है।
- इस प्रकार कारण (R) सही नहीं है।
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4. लैटेराइट मिट्टी मिलती है-
(a) उत्तर प्रदेश में
(b) हिमाचल प्रदेश में
(c) पंजाब में
(d) महाराष्ट्र में
[U.P.U.D.A./LD.A. (Pre) 2006]
उत्तर – (d) महाराष्ट्र में
- लैटेराइट मिट्टी का सर्वाधिक विस्तार केरल राज्य (मालाबार तटीय प्रदेश) में और इसके बाद महाराष्ट्र में है।
- चूंकि विकल्प में केरल नहीं है, इसलिए अभीष्ट उत्तर महाराष्ट्र होगा।
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5. निम्नलिखित कथनों में कौन लैटेराइट मिट्टियों के लिए सही नहीं है?
(a) वे आर्द्र अपक्षालित प्रदेशों की मिट्टियां हैं।
(b) वे बहुत ही अपक्षालित मिट्टियां हैं।
(c) उनकी उर्वरता कम होती है।
(d) उनमें चूना प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2001]
उत्तर – (d) उनमें चूना प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
- लैटेराइट मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरिक अम्ल, पोटाश, चूना और कार्बनिक तत्वों की कमी पाई जाती है।
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6. भारत में निम्नलिखित में से कौन-सा मृदा प्रारूप लोहे का अतिरेक होने के कारण अनुर्वर होता जा रहा है?
(a) मरुस्थलीय बालू
(b) जलोद
(c) पॉडजोलिक
(d) लैटेराइट
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (d) लैटेराइट
- उपर्युक्त मिट्टियों में से केवल लैटेराइट में ही लौह ऑक्साइड पाया जाता है।
- स्पष्ट है कि लैटेराइट मृदा लोहे का अतिरेक होने के कारण अनुर्वर होती जा रही है।
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III. दोमट या जलोढ़ मिट्टी
1. जलोढ़ मिट्टी के संदर्भ में नीचे दिए गए चार कथनों में से सही कथन को चुनिए –
(a) यह मिट्टी भारत के कुल भू-भाग के करीब 14 प्रतिशत हिस्से में पाई जाती है।
(b) इस मिट्टी में फॉस्फोरिक एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
(c) यह मिट्टी रेह, थूर, चोपन जैसे नामों से भी जानी जाती है।
(d) यह मिट्टी उपजाऊ नहीं होती है।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर – (b) इस मिट्टी में फॉस्फोरिक एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
- जलोढ़ मिट्टी में पोटाश, फॉस्फोरिक एसिड, चूना और जैव पदार्थों की प्रचुरता पाई जाती है, परंतु इनमें नाइट्रोजन और ह्यूमस की कमी होती है।
- राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण एवं भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो के नवीनतम शोध के अनुसार, भारत के 33.5 प्रतिशत भाग पर जलोढ़ मिट्टी का विस्तार है।
- यह सर्वाधिक उपजाऊ मिट्टी है।
- अम्लीय मिट्टी को स्थानीय रूप से रेह, थूर, चोपन, ऊसर, कल्लर जैसे नामों से जाना जाता है।
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2. भारत में सबसे अधिक उपजाऊ मृदा कौन-सी है?
(a) लाल मृदा
(b) काली मृदा
(c) जलोढ़ मृदा
(d) चूनेदार मृदा
[U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2014]
उत्तर – (c) जलोढ़ मृदा
- जलोढ़ मृदा भारत की सबसे अधिक उपजाऊ मृदा है।
- इसमें नाइट्रोजन की मात्रा कम होती है।
- जलोढ़ मृदाएं मूलतः हिमालय के निक्षेपों से बनी हैं।
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3. निम्नलिखित में से कौन-सी मिट्टी नदियों द्वारा निर्मित है?
(a) लाल मिट्टी
(b) काली मिट्टी
(c) जलोद मिट्टी
(d) लेटराइट मिट्टी
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/ उपर्युक्त में से एक से अधिक
[63 B.P.S.C. (Pre) 2017]
उत्तर – (c) जलोद मिट्टी
- जलोद मिट्टी का निर्माण नदियों के छोड़े गए गाद द्वारा होता है।
- जलोद मिट्टियों को दो उपवर्गों में बांटा गया है-
(1) नवीन जलोद या खादर खादर का निर्माण नदी के बाढ़ के मैदानी क्षेत्र में होता है, जहां प्रतिवर्ष बाद के दौरान मिट्टी की नवीन परत का जमाव होता रहता है।
(2) प्राचीन जलोढ़ या बांगर मिट्टी की स्थिति बाढ़ की पहुंच से दूर कुछ ऊंचाई पर होती है।
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4. भारत में सबसे बड़ा मिट्टी का वर्ग है-
(a) लाल मिट्टी
(b) काली मिट्टी
(c) बलुई मिट्टी
(d) कछारी मिट्टी
[M.P.P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर – (d) कछारी मिट्टी
- कछारी मिट्टी (जलोढ़ मिट्टी) सर्वाधिक क्षेत्र में पाई जाने वाली मह त्वपूर्ण मिट्टी है।
- यह मिट्टी देश के 33.5 प्रतिशत भागों के लगभग 11 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र में विस्तृत है।
- यह मिट्टी पंजाब से असम तक के विशाल मैदानी भाग के साथ-साथ नर्मदा, ताप्ती, महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी घाटियों में फैली हुई है।
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5. गंगा के मैदान की पुरानी कछारी मिट्टी कहलाती है-
(a) भाबर
(b) बांगर
(c) खादर
(d) खोण्डोलाइट
[41 B.P.S.C. (Pre) 1996]
उत्तर – (b) बांगर
- गंगा के मैदान की पुरानी कछारी मिट्टी को बांगर (Bangar) कहा जाता है।
- इनकी स्थिति बाढ़ की पहुंच से परे कुछ ऊंचाई पर होती है।
- इन मिट्टियों का रंग पीला रक्ताम पूरा (Pale Reddish Brown) पाया जाता है।
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6. निम्नलिखित में से किस प्रकार की मृदा की जल-धारण क्षमता सबसे कम होती है?
(a) बलुई दोमट
(b) दोमट बालू
(c) मटियार दोमट
(d) दोमट
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2003]
उत्तर – (a) बलुई दोमट
- दोमट बलुई मिट्टी (Alluvial Sand Soil) की जलधारण क्षमता सबसे कम होती है, क्योंकि इसमें रवे भारी मात्रा में एवं बड़े होते हैं।
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7. दुम्मटी (लोम) मिट्टी में मिट्टी का कौन-सा कण मिलता है?
(a) बालू कण
(b) चिकना कण
(c) पांशु कण
(d) सभी प्रकार के कण
[53 to55 B.P.S.C. (Pre) 2011]
उत्तर – (d) सभी प्रकार के कण
- सामान्यतः दोमट मिट्टी (Loam Soil) में 40 प्रतिशत बालू के कण, 40 प्रतिशत मृत्तिका (Clay) कण एवं 20 प्रतिशत गाद के कण पाए जाते हैं।
- अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।
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IV. मिट्टी : विविध
1. सूची-1 को सूची-I से सुमेलित कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिए-
सूची-I (मिट्टी) |
सूची-II (राज्य) |
A. जलोद |
1. राजस्थान |
B. काली |
2. उत्तर प्रदेश |
C. लाल |
3. महाराष्ट्र |
D. मरुस्थलीय |
4. आंध्र प्रदेश |
कूट-
A, B, C, D
(a) 1, 4, 3, 2
(b) 2, 3, 4, 1
(c) 4, 2, 1, 3
(d) 3, 4, 2, 1
[UP. R.O./A.R.O. (Pre) 2021]
उत्तर – (b) 2, 3, 4, 1
- सही सुमेलन इस प्रकार है
(मिट्टी) |
(राज्य) |
जलोद |
उत्तर प्रदेश |
काली |
महाराष्ट्र |
लात |
आंध्र प्रदेश |
मरुस्थलीय |
राजस्थान |
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2. पश्चिमी राजस्थान की मिट्टी में किसकी मात्रा अधिक है?
(a) एल्युमीनियम
(b) कैल्सियम
(c) नाइट्रोजन
(d) फॉस्फोरस
[I.A.S. (Pre) 1993]
उत्तर – (b) कैल्सियम
- पश्चिमी राजस्थान के अंतर्गत जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर, जालौर, जोधपुर, गंगानगर, सिरोही, झुंझनू, पाली और सीकर जिले आते हैं।
- इन जिलों की मिट्टी चूना (कैल्शियम के लवण) आधारित क्षारीय एवं लवणीय प्रकार की होती है।
- अतः इस क्षेत्र की मिट्टी में कैल्शियम की अधिक मात्रा पाई जाती है।
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3. निम्नलिखित में से कौन-सी फसल मृदा को नाइट्रोजन से भरपूर कर देती है?
(a) आलू
(b) सोर्धम
(c) सूरजमुखीं
(d) मटर
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (d) मटर
- दलहनी फसलें वायुमंडलीय नाइट्रोजन स्थिरीकरण के द्वारा मृदा को नाइट्रोजन से भरपूर कर देती हैं।
- मिट्टी में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने वाली प्रमुख फसलें इस प्रकार हैं- अल्फाल्फा, ड्राई बीन्स, गारबेजों बीन्स, मटर, सोयाबीन, उड़द आदि।
- अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।
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4. भूमि की उर्वरता बढ़ाने के लिए निम्न में से कौन-सी फसल उगाई जाती है?
(a) गेहूं
(b) चावल
(c) उड़द
(d) गन्ना
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1996]
उत्तर – (c) उड़द
- उपर्युक्त फसलों में से भूमि की उर्वरता बढ़ाने के लिए उड़द की फसल उगाई जाती है।
- कभी-कभी इसका हरी खाद के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
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5. भारत के कुछ भागों में यात्रा करते हुए आप देखेंगे कि कहीं-कहीं लाल मिट्टी पाई जाती है। मिट्टी के इस रंग का प्रमुख कारण क्या है?
(a) मैग्नीशियम का बाहुल्य
(b) संचित ह्यूमस
(c) फेरिक ऑक्साइड की विद्यमानता
(d) फॉस्फेटों का बाहुल्य
[I.A.S. (Pre) 2010]
उत्तर – (c) फेरिक ऑक्साइड की विद्यमानता
- लाल मिट्टी का निर्माण जलवायविक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप रवेदार एवं कायान्तरित शैलों के विघटन एवं वियोजन से होता है।
- इस मिट्टी में सिलिका एवं आयरन की बहुलता होती है।
- इस मिट्टी का लाल रंग फेरिक ऑक्साइड की उपस्थिति के कारण होता है, लेकिन जलयोजित रूप में यह पीली दिखाई देती है।
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6. भारतीय मृदाओं में जिस सूक्ष्म तत्व की सर्वाधिक कमी है. वह है-
(a) तांबा
(b) लोहा
(c) मैंगनीज
(d) जस्ता
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004]
उत्तर – (d) जस्ता
- भारतीय मृदाओं में प्रश्नगत सूक्ष्म तत्त्वों में से जस्ता की सर्वाधिक कमी है।
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7. कथन (A): हिमालय की मिट्टियों में ‘ह्यूमस’ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
कारण (R): हिमालय में सर्वाधिक क्षेत्र वनाच्छादित है।
कूट :
(a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P. Lower Sub. (Spl.) (Pre) 2004]
उत्तर – (d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
- हिमालय की मिट्टियों में ह्यूमस’ का अभाव रहता है।
- जबकि हिमालय में सर्वाधिक क्षेत्र वनाच्छादित है।
- इस प्रकार कथन (A) गलत है, जबकि कारण (R) सही है।
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8. करेवास मृत्तिका जो जाफरान (केसर का एक स्थानीय प्रकार) के उत्पादन के लिए उपयोगी है, पाई जाती है-
(a) कश्मीर हिमालय में
(b) गढ़वाल हिमालय में
(c) नेपाल हिमालय में
(d) पूर्वी हिमालय में
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक
[B.P.S.C. (Pre) 2018]
उत्तर – (a) कश्मीर हिमालय में
- जाफरान (केसर) की खेती के लिए कश्मीर घाटी प्रसिद्ध है, जो करेवा मिट्टी (बूदुर) में उपजाई जाती है।
- यह ताजे जल द्वारा जमा की गई मिट्टी है।
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9. पौधों को सबसे अधिक पानी किस मिट्टी में मिलता है?
(a) चिकनी मिट्टी
(b) पांशु मिट्टी
(c) बलुई मिट्टी
(d) लोम मिट्टी
[53 to 55 B.P.S.C. (Pre) 2011]
उत्तर – (a) चिकनी मिट्टी
- चिकनी मिट्टी में जल धारण की क्षमता सबसे अधिक होती है।
- इसलिए पौधों को सबसे अधिक पानी इसी मिट्टी में मिलता है।
- चिकनी मिट्टी में 50% से कम गाद, 50% तक मृत्तिका व बालू की कुछ मात्रा पाई जाती है।
- इसमें वायु का आवागमन कम होता है, जिससे जलक्रांति हो जाती है।
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10. निम्नलिखित में से किस कण का व्यास 0.002 मि.मी. से कम होता है?
(a) मृत्तिका
(b) गाद
(c) महीन बालू
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2016]
उत्तर – (a) मृत्तिका
- मृत्तिका (Clay) का व्यास 0.002 मि.मी. से कम होता है।
- जबकि गाद का व्यास 0.002 मि.मी. से 0.06 मि.मी. के मध्य तथा महीन बालू या रेत का व्यास 0.06 मि.मी. से 2 मि.मी. के मध्य होता है।
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11. मटासी मिट्टी के बारे में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(a) यह मिट्टी अधिकांशतः भाटा मिट्टी की अपेक्षा अधिक तथा कन्हार मिट्टी की अपेक्षा कम ऊंचाई पर पाई जाती है।
(b) यह मिट्टी कन्हार मिट्टी से कम उपजाऊ होती है।
(c) इस मिट्टी में लोहे की मात्रा अधिक होती है।
(d) इस मिट्टी में रेत की मात्रा अधिक होती है।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर – (a) यह मिट्टी अधिकांशतः भाटा मिट्टी की अपेक्षा अधिक तथा कन्हार मिट्टी की अपेक्षा कम ऊंचाई पर पाई जाती है।
- मटासी मिट्टी को लाल-पीली मृदा भी कहा जाता है।
- यह मिट्टी छत्तीसगढ़ के अधिकांश भाग में फैली हुई है।
- इस प्रकार की मृदा छत्तीसगढ़ के लगभग आधे क्षेत्र में फैली हुई है।
- यह अधिक ऊंचाई पर और अधिक जल निकासी वाले स्थानों पर पाई जाती है।
- इस मृदा में आयरन ऑक्साइड सबसे प्रचुर तत्व है।
- फेरस ऑक्साइड (Fe,O) की उपस्थिति इसे लाल रंग, जबकि फेरिक ऑक्साइड (Fe,O,) इसे पीला रंग देता है।
- धान के उपयोग के लिए प्रमुख मृदा है।
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V. अम्लीय एवं क्षारीय मृदा
1. निम्नलिखित कथन ऊसर मिट्टी के संबंध में हैं-
1. चूने का प्रयोग कर इसे सुधारा जा सकता है।
2. इस मिट्टी का pH मान सात से अधिक होता है।
3. इस मिट्टी में धान की फसल उगाई जा सकती है। नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट :
(a) 1 और 2 सही हैं
(b) 2 और 3 सही हैं
(c) केवल 3 सही है
(d) केवल 1 सही है
[U.P. B.E.O. (Pre) 2019]
उत्तर – (b) 2 और 3 सही हैं
- ऊसर मिट्टी का pH मान 7 से अधिक होता है।
- इस मिट्टी में जीवांश, नत्रजन और जिंक की भारी कमी होती है।
- इसके उपचार के लिए पायराइट, जिप्सम और कैंचा की हरी खाद का उपयोग किया जाता है।
- इस प्रकार की भूमि पर ऊसर सहनशील धान की प्रजाति जैसे-नरेंद्र संकर ऊसर धान-1, ऊसर धान-2 आदि उगाया जाता है।
- चूने का प्रयोग ऊसर मिट्टी के उपचार की जगह अम्लीय मिट्टी के उपचार में प्रयुक्त होता है, अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।
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2. सामान्य फसलें उगाने के लिए उर्वर भूमि का pH मान कितना होने की संभावना है? W.PDI
(a) तीन
(b) चार
(c) छः से सात
(d) नौ से दस
[I.A.S. (Pre) 1993]
उत्तर – (c) छः से सात
- मिट्टी का pH मान कम होना मिट्टी की अम्लीयता को तथा pH मान अधिक होना मिट्टी की क्षारीयता को बताता है।
- अधिक अम्लीय या अधिक क्षारीय मिट्टी सामान्य फसलों के लिए उपयुक्त नहीं होती है।
- सामान्य फसलें उगाने वाली मिट्टी का pH मान 6.0-7.0 के मध्य होना आवश्यक होता है।
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3. तेजाबी मिट्टी को कृषि योग्य बनाने हेतु निम्नलिखित में से किसका उपयोग किया जा सकता है?
(a) लाइम
(b) जिप्सम
(c) कैल्शियम
(d) वेजिटेबल कॉम्पोस्ट
[M.P.P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर – (a) लाइम
- तेजाबी (Acidic) मिट्टी को कृषि योग्य बनाने के लिए सामान्यतः चूने (Lime) का प्रयोग किया जाता है।
- उल्लेखनीय है कि मिट्टी के अधिक अम्लीय या अधिक क्षारीय होने पर वह सामान्य फसलों की कृषि के लिए उपयुक्त नहीं रहती है।
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4. मिट्टी में खारापन एवं क्षारीयता की समस्या का समाधान है-
(a) शुष्क-कृषि विधि
(b) खेतों में जिप्सम का उपयोग
(c) वृक्षारोपण
(d) समोच्च रेखाओं के अनुसार कृषि
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1996]
उत्तर – (b) खेतों में जिप्सम का उपयोग
- मिट्टी की क्षारीयता को बदलने और उससे खारेपन को हटाने के लिए जिप्सम (कैल्शियम सल्फेट) का प्रयोग किया जाता है।
- साथ ही चूने की लीचिंग के लिए कम-से-कम एक फीट जल की भी आवश्यकता रहती है।
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5. भारत में सर्वाधिक क्षारीय क्षेत्र पाया जाता है-
(a) गुजरात राज्य में
(b) हरियाणा राज्य में
(c) पंजाब राज्य में
(d) उत्तर प्रदेश राज्य में
[U.P.P.C.S. (Mains) 2007]
उत्तर – (d) उत्तर प्रदेश राज्य में
- प्रश्नकाल में विकल्प (d) सही उत्तर था। भारत की बंजर भूमि एटलस, 2019 के अनुसार वर्ष 2015-16 में क्षारीयता/ लवणीयता (Alkalinity/ Salinity) से प्रभावित राज्यों का क्षेत्र (वर्ग किमी. में) इस प्रकार है-
राज्य |
क्षेत्र |
गुजरात |
763.52 |
हरियाणा |
65.62 |
पंजाब |
20.66 |
उत्तर प्रदेश |
2129.61 |
- परंतु इस एटलस में मध्यम एवं अधिक क्षारीयता / लवणीयता प्रभावित क्षेत्रों का उल्लेख है।
- भारत के मरुस्थलीकरण एवं भूमि निम्नीकरण एटलस, 2016 के अनुसार, वर्ष 2011-13 में लवणीयता से प्रभावित राज्यों में गुजरात (2645405 हेक्टेयर), हरियाणा (27841 हेक्टेयर) एवं उत्तर प्रदेश (307571 हेक्टेयर) के संबंधित आंकड़े दिए गए हैं।
- इसके अनुसार लवणीयता से सर्वाधिक प्रभावित राज्य गुजरात है।
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6. मृदा का लवणीभवन मृदा में एकत्रित सिंचित जल के वाष्पीकृत होने से पीछे छूटे नमक और खनिजों से उत्पन्न होता है। सिंचित भूमि पर लवणीभवन का क्या प्रभाव पड़ता है?
(a) यह फसलों के उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि लाता है
(b) यह कुछ मृदाओं को अपारगम्य बना देता है
(c) यह भौम जलस्तर को ऊपर ले जाता है
(d) यह मृदा के वायु अवकाशों को जल से S भर देता है
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर – (b) यह कुछ मृदाओं को अपारगम्य बना देता है
- मृदा का लवणीभवन (Saline Building) मृदा में एकत्रित सिंचित जल के वाष्पीकृत होने से पीछे छूटे नमक और खनिजों से उत्पन्न होता है।
- सिंचित भूमि पर लवणीभवन होने के कारण मृदाएं अपारगम्य बन जाती हैं।
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7. निम्नलिखित में कौन-सी मिट्टी चाय बागानों के लिए उपयुक्त है?
(a) अम्लीय
(b) क्षारीय
(c) जलोद (कछारी)
(d) रेगड़
[U.P.P.C.S. (Pre) 2002]
उत्तर – (a) अम्लीय
- चाय बागानों (Tea Plants) के लिए गहरी, अम्लीय और अच्छे जल निकास वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है।
- जल निकासी की पर्याप्त सुविधा के कारण ही इन बागानों को पर्वतीय ढलानों पर लगाया जाता है।
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VI. मृदा अपरदन एवं सुधार
1. भारत में निम्न में से किस क्षेत्र में मृदा अपरदन (Soil Erosion) की समस्या गम्भीर है?
(a) मालवा पठार
(b) शिवालिक पहाड़ियों के पाद क्षेत्र
(c) दण्डकारण्य
(d) मेघालय पठार
[U.P.P.C.S. (Pre) 2004]
उत्तर – (b) शिवालिक पहाड़ियों के पाद क्षेत्र
- दिए गए विकल्पों में शिवालिक पहाड़ियों के पाद क्षेत्र में मृदा अपरदन की समस्या गंभीर है।
- इसके अतिरिक्त भारत में मृदा अपरदन से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र क्रमशः इस प्रकार हैं-
1. चंबल एवं यमुना नदियों का उत्खात भूमि क्षेत्र
2. पश्चिमी हिमालय का गिरिपदीय क्षेत्र (शिवालिक पहाड़ियों के पाद क्षेत्र इसमें शामिल हैं)
3. छोटानागपुर का पठार
4. ताप्ती से साबरमती घाटी तक का क्षेत्र (मालवा पठार आदि)
5. महाराष्ट्र का काली मिट्टी क्षेत्र
6. हरियाणा, राजस्थान, गुजरात के शुष्क क्षेत्र
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2. निम्नलिखित में भारत का कौन-सा क्षेत्र मृदा अपरदन (इरोजन) से अत्यधिक प्रभावित है?
(a) मालवा पठार
(b) उ. प्र. तराई
(c) आंध्र तटीय क्षेत्र
(d) चंबल घाटी
[M.P.P.C.S. (Pre) 2006, U.P. Lower Sub. (Pre) 2004]
उत्तर – (d) चंबल घाटी
- दिए गए विकल्पों में चंबल घाटी मृदा अपरदन से अत्यधिक प्रभावित है।
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3. मध्य प्रदेश के निम्नलिखित में से किस जिले में मृदा अपरदन (मिट्टी का कटाव) की समस्या है?
(a) जबलपुर
(b) भोपाल
(c) मुरैना
(d) खंडवा
[M.P.P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर – (c) मुरैना
- म.प्र. में चंबल और अन्य नदियों द्वारा अवनालिका अपरदन के कारण मुरैना, भिंड एवं ग्वालियर जिलों की अधिकांश भूमि बीहड़ एवं बंजर हो गई है।
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4. चंबल घाटी के खोह-खड़ों के निर्माण का कारण निम्नलिखित में से किस प्रारूप का अपरदन है?
(a) आस्फालन
(b) चादरी
(c) क्षुद्र सरिता
(d) अवनालिका
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (d) अवनालिका
- भारत के मृदा अपरदन मानचित्र को देखने से यह स्पष्ट होता है, कि चंबल घाटी क्षेत्र में खोह-खड्डों का निर्माण अवनालिका अपरदन (Gully Erosion) के कारण हुआ है।
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5. निम्नलिखित में से मृदा अपरदन प्रक्रियाओं (Processes of Soil- Erosion) के सही क्रम को पहचानिए-
(a) आस्फाल अपरदन, परत अपरदन, रिल अपरदन, अवनालिका अपरदन
(b) परत अपरदन, आस्फाल अपरदन, अवनालिका अपरदन, रिल अपरदन
(c) रिल अपरदन, अवनालिका अपरदन, परत अपरदन, आस्फाल अपरदन
(d) अवनालिका अपरदन, रिल अपरदन, परत अपरदन, आस्फाल अपरदन
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर – (a) आस्फाल अपरदन, परत अपरदन, रिल अपरदन, अवनालिका अपरदन
- मृदा अपरदन प्रक्रियाओं का क्रमिक अनुक्रम इस प्रकार है-
- आस्फाल अपरदन (Splash Erosion)-वर्षा की बूंदों के मिट्टी पर आधात से मृदा कणों के पृथक्करण को आस्फाल या बौछार या बूंदाघात अपरदन के नाम से जाना जाता है।
- परत अपरदन (Sheet Erosion) – जब मिट्टी जल के साथ बहने लग जाती है।
- रिल अपरदन (Rill Erosion)- जब मिट्टी में छोटी एवं कम गहरी नालियां बन जाती है।
- अवनालिका अपरदन (Gully Erosion)- जब रिल अपरदन की नालियां बड़ी एवं विस्तृत हो जाती हैं।
- धारा चैनल अपरदन (Stream Channel Erosion)-जब जल एक मोटी धारा के रूप में प्रवाहित होने लगता है और चैनल को तब तक अपरदित करता है, जब तक कि वह स्थिर ढाल प्राप्त नहीं कर लेता है।
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6. कृष्य भूमि में किसके पौधे उगाने से भूमि का अपरदन अधिकतम तीव्रता से होता है?
(a) सोर्धम
(b) आलू
(c) गेहूं
(d) क्लोवर
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (a) सोर्धम
- विश्व वन्यजीव कोष के एक विश्लेषण के अनुसार सोर्घम (ज्वार) किसी अन्य फसल की तुलना में भूमि अपरदन के लिए अधिक उत्तरदायी है, प्रश्नगत फसलों में क्लोवर (Clover) से सबसे कम भूमि अपरदन होता है।
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7. कौन-सा तरीका मिट्टी की उर्वरता प्राप्त करने का नहीं है?
(a) फसल चक्र
(b) मिश्रित खेती
(c) बीज संशोधन
(d) बहुफसली खेती
[M.P. P.C.S. (Pre) 1991]
उत्तर – (c) बीज संशोधन
- बीज संशोधन की विधि से उपज पर प्रभाव पड़ेगा, किंतु मृदा की उर्वरता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- जबकि फसल चक्र, मिश्रित खेती और बहुफसली खेती के द्वारा मृदा की उर्वरता को पोषित किया जा सकता है।
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8. फसल चक्र आवश्यक है-
(a) पादपों में प्रोटीन वृद्धि हेतु
(b) विभिन्न फसलों की प्राप्ति हेतु
(c) मृदा की उर्वरा शक्ति में वृद्धि हेतु
(d) मृदा की नमी को बनाए रखने हेतु
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2010]
उत्तर – (c) मृदा की उर्वरा शक्ति में वृद्धि हेतु
- किसी स्थान पर कई वर्षों तक लगातार एक ही फसल के बोने से वहां की मृदा में कुछ विशिष्ट पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
- फसल चक्र अर्थात फसलों में परिवर्तन के द्वारा मृदा की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है तथा साथ ही यह कीट नियंत्रण में भी मदद करता है।
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9. मृदा संरक्षण के संदर्भ में निम्नलिखित प्रचलित पद्धतियों पर विचार कीजिए-
1. शस्यावर्तन (फसलों का हेरफेर)
2. बालू की बाड़
3. वेदिका निर्माण (टैरेसिंग)
4. वायुरोध
भारत में मृदा संरक्षण के लिए उपर्युक्त में से कौन-सी विधियां उपयुक्त समझी जाती हैं?
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3, और 4
[I.A.S. (Pre) 2010]
उत्तर – (c) केवल 1, 3 और 4
- मृदा संरक्षण के संबंध में प्रचलित पद्धतियों में शस्यावर्तन, वेदिका निर्माण और वायुरोध को भारत में उपयुक्त माना जाता है।
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10. भारत में मृदा अपक्षय समस्या निम्नलिखित में से किससे/किनसे संबंधित है/हैं?
1. वेदिका कृषि
2. वनोन्मूलन
3. उष्णकटिबंधीय जलवायु
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2014]
उत्तर – (b) केवल 2
- भारत के जिन क्षेत्रों में वनोन्मूलन या वनस्पतियों का नाश किया गया है, वहां मृदा अपरदन बहुत ही अधिक हो रहा है, इसका कारण यह है कि पेड़-पौधों की जड़ें मिट्टी को जकड़े रखती हैं, जिससे जल तथा वायु मिट्टी का अपरदन आसानी से नहीं कर पाते, इसके अतिरिक्त पेड़ों के तने पानी के बहाव की गति को कम कर देते हैं।
- स्थानांतरण कृषि से वनों का नाश होता है और मिट्टी कट जाती है।
- वेदिका कृषि (Terrace Cultivation) मृदा अपक्षय की समस्या से संबंधित नहीं है।
- उष्णकटिबंधीय जलवायु भी मृदा अपरदन के लिए उत्तरदायी नहीं है।
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11. मृदा अपरदन रोका जा सकता है-
(a) अति चराई द्वारा
(b) वनस्पति के उन्मूलन द्वारा
(c) वृक्षारोपण द्वारा
(d) पक्षी-संख्या में वृद्धि करके
[40 B.P.S.C. (Pre) 1995]
उत्तर – (c) वृक्षारोपण द्वारा
- मृदा संरक्षण के अंतर्गत वे सभी उपाय सम्मिलित हैं, जो मिट्टी को अपरदन से बचाते हैं और उसकी उर्वरता को बनाए रखते हैं।
- मृदा अपरदन को रोकने के कुछ प्रभावी उपाय इस प्रकार हैं – वृक्षारोपण (यह सर्वाधिक सशक्त उपाय है),सोपानी अथवा समोच्चरेखीय कृषि,अति चारण एवं स्थानान्तरित कृषि पर रोक लगाना, मेड़बन्दी।
- अतः सही उत्तर विकल्प (c) है।
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12. निम्नलिखित पद्धतियों में से कौन-सी कृषि में जल संरक्षण में सहायता कर सकती है/हैं?
1. भूमि की कम या शून्य जुताई
2. खेत में सिंचाई के पूर्व जिप्सम का प्रयोग
3. फसल अवशेष को खेत में ही रहने देना
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर – (d) 1, 2 और 3
- भूमि की कम या शून्य जुताई, खेत में सिंचाई के पूर्व जिप्सम का प्रयोग फसल अवशेष को खेत में ही रहने देना ऐसी पद्धतियां हैं, जो कृषि में जल संरक्षण में सहायता कर सकती हैं।
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