1. उन्नीसवीं शताब्दी के धर्म एवं समाज सुधार आंदोलनों ने जनसंख्या के किस वर्ग को मुख्यतः आकर्षित किया?
(i) बुद्धिजीवी
(ii) नगरीय उच्च जातियां
(iii) निर्धन सर्वसाधारण वर्ग
(iv) उदार राजवाड़े
अपने उत्तर का चयन निम्नांकित कूटों से करें-
(a) केवल (i)
(b) (i) एवं (ii)
(c) (i), (ii) एवं (iii)
(d) (i), (ii) एवं (iv)
[47th B.P.S.C. (Pre) 2005]
उत्तर- (d) (i), (ii) एवं (iv)
- 19वीं सदी में भारत में एक विशेष आंदोलन देखा गया जो धार्मिक और सामाजिक सुधारों पर केंद्रित था।
- इस आंदोलन का सबसे अधिक प्रभाव बुद्धिजीवियों, शहरों में रहने वाले उच्च वर्ग के लोगों और उदार राजकुमारों पर पड़ा, जबकि गरीब वर्गों को बड़े पैमाने पर बाहर रखा गया।
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2. निम्न वक्तव्यों पर विचार कीजिए-
कथन (A): 19वीं भारत का आधुनिकीकरण हुआ।
कारण (R): सामाजिक-धार्मिक आंदोलनों के मूल में बुद्धिवाद, वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा अन्य ऐसे विचार थे, जो आधुनिकता के आधार माने जाते हैं।
निम्न कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट :
(a) (R) सही है, किंतु (A) गलत है।
(b) (A) व (R) दोनों सही हैं और (A) की सही व्याख्या (R) है।
(c) (A) सही है, किंतु (R) गलत है।
(d) (A) व (R) दोनों सही हैं, किंतु (A) की सही व्याख्या (R) नहीं करता।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (b) (A) व (R) दोनों सही हैं और (A) की सही व्याख्या (R) है।
- 1900 के दशक में, सभी धार्मिक पृष्ठभूमि के लोग आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देकर और बुरी आदतों से छुटकारा पाकर भारत को बेहतर बनाना चाहते थे।
- उन्होंने लोगों को सामाजिक और धार्मिक विषयों को देखने के लिए तर्क और विज्ञान का उपयोग करने और भारत को आधुनिक बनाने की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।
- इसलिए, दोनों कथन सत्य हैं और दूसरा पहले की व्याख्या करता है।
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3. निम्न में से किस वर्ग को सर्वप्रथम पश्चिमी सभ्यता ने प्रभावित किया?
(a) कुलीन जर्नीदार
(b) नवीन धनवान व्यापारी
(c) शिक्षित हिंदू मध्यम वर्ग
(d) शिक्षित मुसलमान
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1996]
उत्तर- (c) शिक्षित हिंदू मध्यम वर्ग
- उच्च शिक्षा प्राप्त हिंदू मध्यम वर्ग पश्चिमी संस्कृति और विचारों से काफी प्रभावित था।
- पश्चिमी शिक्षा प्राप्त लोगों का यह नया समूह तर्कसंगत सोच, विज्ञान और मनुष्य को महत्वपूर्ण मानने से अत्यधिक प्रभावित था।
- भारत में लोग अपने समाज में सुधार करना चाहते थे, और हिंदू आस्था ज्ञानोदय से प्रेरित थी जिसने अंधविश्वास, तीर्थयात्रा और मूर्ति पूजा को अस्वीकार कर दिया था।
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4. निम्न महापुरुषों में से कौन ‘भारतीय जागृति’ का जनक कहलाता है?
(a) विवेकानंद
(b) राजा राममोहन राय
(c) रबींद्रनाथ टैगोर
(d) दयानंद सरस्वती
[U.P. P.C.S. (Pre) 1994]
उत्तर- (b) राजा राममोहन राय
- राजा राम मोहन राय एक भारतीय थे जिन्होंने अपने समय में भारत में प्रचलित बुरी प्रथाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
- उनके प्रगतिशील विचारों के परिणामस्वरूप, भारत में उन्नीसवीं सदी में सांस्कृतिक और सामाजिक पुनरुत्थान का दौर देखा गया।
- उनके कार्यों के लिए उन्हें ‘भारतीय पुनर्जागरण के जनक’, ‘भारतीय राष्ट्रवाद के पैगम्बर’, ‘अतीत और भविष्य के बीच सेतु’, ‘आधुनिक भारत के जनक’, ‘प्रथम आधुनिक मनुष्य’ और ‘युगदूत’ के उपनाम दिए गए।
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5. राजा राममोहन राय द्वारा स्थापित प्रथम संस्था थी-
(a) ब्रह्म समाज
(b) आत्मीय सभा
(c) ब्रह्म सभा
(d) तत्वबोधिनी सभा
[U.P. P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर- (b) आत्मीय सभा
- 1815 में, राजा राम मोहन राय ने हिंदू धर्म में एक ईश्वर में विश्वास को बढ़ावा देने के लिए आत्मीय सभा की स्थापना की।
- यह समूह समाज और धर्म को बदलना चाहता था।
- उन्होंने 1828 में ब्रह्म सभा की भी शुरुआत की, जिसे बाद में ब्रह्म समाज के नाम से जाना गया।
- राजा राम मोहन राय के विचारों को फैलाने के लिए देवेन्द्रनाथ टैगोर ने 1839 में तत्वबोधिनी सभा की स्थापना की।
- आत्मीय सभा राजा राम मोहन राय द्वारा बनाई गई पहली संस्था थी।
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6. ब्रह्म समाज की स्थापना हुई थी, वर्ष-
(a) 1827
(b) 1828
(c) 1831
(d) 1843
[41st B.P.S.C. (Pre) 1996]
उत्तर- (b) 1828
- राजा राम मोहन राय ने 20 अगस्त, 1828 को ब्रह्म सभा की शुरुआत की, जिसे बाद में ब्रह्म समाज नाम दिया गया।
- यह समाज मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करता था और सिखाता था कि सभी को एक ईश्वर की पूजा करनी चाहिए।
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7. ब्रह्म समाज की स्थापना की-
(a) दयानंद सरस्वती
(b) स्वामी विवेकानंद
(c) केशवचंद्र सेन
(d) राममोहन राय
[M.P. P.C.S. (Pre) 1992]
उत्तर- (d) राममोहन राय
- राजा राम मोहन राय और द्वारकानाथ टैगोर ने 20 अगस्त, 1828 को कलकत्ता में ब्रह्म समाज की स्थापना की।
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8. राममोहन राय को राजा उपाधि किसने दी थी?
(a) लॉर्ड विलियम बेंटिक ने
(b) अकबर II ने
(c) ब्रह्म समाज के अनुयायियों ने
(d) सती प्रथा का विरोध करने वाले बुद्धिजीवियों ने
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (b) अकबर II ने
- 1830 में, राम मोहन राय को मुगल सम्राट अकबर द्वितीय द्वारा ‘राजा’ की उपाधि दी गई थी।
- वह अपनी पेंशन और अन्य लाभ मांगने के लिए सम्राट के राजदूत के रूप में ब्रिटेन गए।
- दुःख की बात है कि राजा राम मोहन राय की 27 सितंबर, 1833 को ब्रिस्टल के पास स्टेपलटन में मेनिनजाइटिस से मृत्यु हो गई।
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9. निम्नलिखित पर विचार कीजिए-
1. कलकत्ता यूनिटेरियन कमेटी
2. टेबरनेकल ऑफ न्यू डिस्पेंसेशन
3. इंडियन रिफॉर्म एसोसिएशन
केशवचंद्र सेन का संबंध उपर्युक्त में से किसकी/किनकी स्थापना से है?
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (b) केवल 2 और 3
- राजा राम मोहन राय, द्वारकानाथ टैगोर और विलियम एडम ने कलकत्ता यूनिटेरियन कमेटी की स्थापना की और केशव चंद्र सेन ने “टैबरनेकल ऑफ न्यू डिस्पेंसेशन” नामक मंदिर की स्थापना की।
- 29 अक्टूबर, 1870 को केशव चन्द्र सेन भारत सुधार संघ के अध्यक्ष बने।
- इस प्रकार, केशव चंद्र सेन ‘टेबरनेकल ऑफ न्यू डिस्पेंसेशन’ और ‘इंडिया रिफॉर्म एसोसिएशन’ के निर्माण से जुड़े थे।
- इसलिए, विकल्प (b) सही उत्तर है।
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10. भारतीय ब्रह्म समाज के संस्थापक थे-
(a) देवेंद्रनाथ टैगोर
(b) ईश्वरचंद्र विद्यासागर
(c) केशवचंद्र सेन
(d) राजा राममोहन राय
[U.P. P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008, U.P. U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Pre) 2010, U.P. U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Mains) 2010]
उत्तर- (c) केशवचंद्र सेन
- केशव चन्द्र सेन ने ‘भारत के ब्रह्म समाज’ की स्थापना की।
- 1865 में देवेन्द्र नाथ टैगोर ने केशव चन्द्र से ‘आचार्य’ की उपाधि छीन ली और इसलिए केशव चन्द्र ने मूल ब्रह्म समाज छोड़ दिया और देवेन्द्र नाथ के प्रभाव में आने वाले समूह ने खुद को ‘आदि ब्रह्म समाज’ कहा।
- केशव चंद्र सेन के नेतृत्व में समूह को ‘भारतीय ब्रह्म समाज’ या ‘नव ब्रह्म समाज’ के नाम से जाना जाता था।
- 1878 में, केशव चंद्र द्वारा अपनी 13 वर्षीय बेटी की शादी बिहार के कूच के राजा से करने के निर्णय के कारण ‘नवीन ब्रह्म समाज’ और अधिक विभाजित हो गया।
- इसके विरोध में आनंद मोहन बोस और शिवनाथ शास्त्री ने ‘साधारण ब्रह्म समाज’ का गठन किया।
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11. ब्रह्म समाज का सिद्धांत आधारित है-
(a) नास्तिकता पर
(b) अद्वैतवाद पर
(c) एकदेववाद पर
(d) बहुदेववाद पर
[U.P. P.C.S. (Pre) 1999, U.P. P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर- (c) एकदेववाद पर
- राजा राम मोहन राय ने 1828 में ब्रह्म समाज की शुरुआत की।
- समाज का उद्देश्य एक ईश्वर की पूजा करना था, न कि मूर्तियों की, और न ही ईश्वर को मानव के समान समझना।
- ब्रह्म समाज चाहता था कि सभी लोग एक ही ईश्वर से प्रेम करें और उसकी पूजा करें।
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12. राजा राममोहन राय ने निम्न में किसका विरोध नहीं किया था?
(a) बाल विवाह
(b) सती प्रथा
(c) पाश्चात्य शिक्षा
(d) मूर्ति पूजा
[U.P. P.C.S. (Pre) 1992]
उत्तर- (c) पाश्चात्य शिक्षा
- राम मोहन अंग्रेजी के माध्यम से पढ़ाई जाने वाली पश्चिमी शिक्षा के उत्साही समर्थक थे।
- 11 दिसंबर, 1823 को लॉर्ड एमहर्स्ट को भेजे गए एक पत्र में उन्होंने कहा कि हिंदू पंडितों द्वारा खोला गया संस्कृत स्कूल व्यावहारिक नहीं था और यह भारत को केवल अंधेरे में रखेगा।
- उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को प्रस्तावित धन का उपयोग गणित, प्राकृतिक दर्शन, रसायन विज्ञान और शरीर रचना विज्ञान जैसे उपयोगी विज्ञान पढ़ाने के लिए कुछ शिक्षित यूरोपीय लोगों को नियुक्त करने और किताबें, उपकरण और तंत्र जैसे आवश्यक संसाधन प्रदान करने के लिए करना चाहिए।
- उन्होंने मूर्तिपूजा, बाल विवाह और सती प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी बात की।
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13. निम्न में से किसे राममोहन राय के धार्मिक/सामाजिक विचारों के विरोध में प्रारंभ किया गया?
(a) दिग्दर्शन
(b) समाचार चन्द्रिका
(c) संवाद कौमुदी
(d) बंगाल गजट
[U.P. P.C.S. (Mains) 2017]
उत्तर- (b) समाचार चन्द्रिका
- भवानी चरण बंद्योपाध्याय 19वीं सदी के बंगाल पुनर्जागरण में एक प्रमुख व्यक्ति थे।
- उन्होंने राजा राम मोहन राय के धार्मिक और सामाजिक विचारों का विरोध करने के लिए 1822 में ‘समाचार चंद्रिका’ का प्रकाशन किया।
- इससे पहले वह ‘संवाद कौमुदी’ के संपादक रह चुके हैं।
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14. ब्रह्म समाज के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है हैं?
1. इसने मूर्ति पूजा का विरोध किया।
2. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या के लिए इसने पुरोहित वर्ग को अस्वीकारा।
3. इसने इस सिद्धांत का प्रचार किया कि वेद त्रुटिहीन है।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए-
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (b) केवल 1 और 2
- राजा राम मोहन राय ने 1828 में ब्रह्म समाज की स्थापना की।
- इसके सिद्धांतों में एक ईश्वर में विश्वास करना और हिंदू धर्म में बुरे तत्वों से छुटकारा पाना, मूर्तियों और पुजारियों की पूजा न करना और महिलाओं की स्थिति में सुधार न करना शामिल था।
- इसके बजाय स्वामी दयानंद सरस्वती ने सिखाया कि वेद परिपूर्ण थे।
- ब्रह्म समाज के संबंध में कथन 3 सत्य नहीं है।
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15. उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में ‘नव हिंदूवाद’ (Neo- Hinduism) के सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि थे-
(a) रामकृष्ण परमहंस
(b) स्वामी विवेकानंद
(c) बंकिमचंद्र चटर्जी
(d) राजा राममोहन राय
[41st B.P.S.C. (Pre) 1996]
उत्तर- (b) स्वामी विवेकानंद
- स्वामी विवेकानन्द (1863-1902) रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं को सरल तरीके से समझाने के लिए जाने जाते थे।
- उन्होंने नव-हिंदू धर्म के समर्थक के रूप में काम किया।
- 1893 में, वह शिकागो गए और ‘विश्व धर्म संसद’ में हिंदू धर्म का परिचय देते हुए और “हिंदू धर्म का अर्थ” विषय पर भाषण दिया।
- इसके बाद उन्होंने हिंदू धर्म का संदेश फैलाने के लिए अमेरिका और इंग्लैंड की यात्रा की।
- जिस तरह से शक्तिशाली लोग गरीबों का शोषण कर रहे थे, उससे वह नाखुश थे और अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से नई पीढ़ी के बीच आत्म-सम्मान का विचार फैलाना चाहते थे।
- वह एक मजबूत देशभक्त थे, सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें बंगाल में ‘आधुनिक राष्ट्रवादी आंदोलन का आध्यात्मिक पिता’ बताया था।
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16. व्यावहारिक वेदांत के प्रतिपादक कौन हैं?
(a) दयानंद
(b) राजा राममोहन राय
(c) गांधी
(d) विवेकानंद
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre), 2019]
उत्तर- (d) विवेकानंद
- व्यावहारिक वेदांत (Practical Vedanta) के प्रतिपादक स्वामी विवेकानंद थे।
- विवेकानंद के अनुसार, एक धर्म के रूप में वेदांत को गहन रूप से व्यावहारिक होना चाहिए ताकि हम अपने जीवन के प्रत्येक भाग में इसका पालन करने में सक्षम हो सका विवेकानंद ने व्यावहारिक वेदांत पर सर्वप्रथम अपना भाषण 10 नवंबर, 1896 को लंदन में दिया था।
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17. इनमें से किस प्रख्यात समाज सुधारक ने ज्ञानयोग, कर्मयोग तथा राजयोग नामक पुस्तकें लिखी?
(a) स्वामी विवेकानंद
(b) रानाडे
(c) राजा राममोहन राय
(d) रामकृष्ण परमहंस
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2015]
उत्तर- (a) स्वामी विवेकानंद
- स्वामी विवेकानन्द को एक असाधारण बुद्धिमान आध्यात्मिक नेता के रूप में दुनिया भर में व्यापक रूप से सराहा जाता है।
- उन्होंने एक बार कहा था, “सच्चाई को व्यक्त करने के कई तरीके हैं और वे सभी मान्य हैं।”
- उन्होंने राज योग, कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग जैसे विषयों पर विभिन्न पुस्तकें लिखीं।
- उन्हें भारत का ‘संरक्षक संत’ माना जाता है।
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18. रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसने की थी?
(a) रामकृष्ण परमहंस
(b) एम.एन. दासगुप्ता
(c) स्वामी विवेकानंद
(d) स्वामी रंगनाथनंद
[M.P. P.C.S. (Pre) 1996, U.P. P.C.S. (Mains) 2004]
उत्तर- (c) स्वामी विवेकानंद
- रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1897 में श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानन्द ने की थी।
- मिशन का मुख्य लक्ष्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ावा देना और दुनिया को लाभ पहुंचाना था।
- इसका मुख्यालय भारत के बेलूर और खत्यारी, अल्मोडा में है और इसकी शाखाएँ पूरी दुनिया में हैं।
- यह सभी धर्मों, संस्कृतियों और राष्ट्रीयताओं का सम्मान करते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबों के कल्याण, राहत और पुनर्वास, कला और संस्कृति, नैतिकता, नैतिकता और आध्यात्मिकता पर केंद्रित है।
- यह 19वीं सदी का एक प्रसिद्ध धार्मिक आंदोलन था जिसने विभिन्न धर्मों, पूर्व और पश्चिम, प्राचीन और आधुनिक के बीच सद्भाव लाने और आध्यात्मिक पूर्ति, मानव विकास, सामाजिक समानता और शांति को बढ़ावा देने के लिए काम किया।
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19. शारदामणि कौन थीं?
(a) राजा राममोहन राय की पत्नी
(b) रामकृष्ण परमहंस की पत्नी
(c) विवेकानंद की मां
(d) केशवचंद्र सेन की पुत्री
[47th B.P.S.C. (Pre) 2005]
उत्तर- (b) रामकृष्ण परमहंस की पत्नी
- शरदमणि मुखोपाध्याय, जिन्हें शारदा देवी के नाम से भी जाना जाता है, का विवाह रामकृष्ण परमहंस से तब हुआ जब वह 1859 में केवल पाँच वर्ष की थीं।
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20. “ईश्वर के बारे में सोचने के लिए मेरे पास वक्त नहीं है, क्योंकि अभी इस धरती पर ही बहुत काम किया जाना है,” उपर्युक्त कथन किसका है?
(a) स्वामी विवेकानंद
(b) स्वामी दयानंद सरस्वती
(c) स्वामी रामकृष्ण परमहंस
(d) स्वामी ईश्वरचंद्र विद्यासागर
[U.P. R.O./A.R.O. (Re-Exam) (Pre) 2016]
उत्तर- (d) स्वामी ईश्वरचंद्र विद्यासागर
- जब किसी ने उनसे पूछा कि क्या ईश्वर का अस्तित्व है, तो ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने कहा कि उनके पास इस पर विचार करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है क्योंकि पृथ्वी पर करने के लिए बहुत कुछ है।
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21. ‘ब्रिटिश साम्राज्य पूरी तरह से सड़ चुका है. हर तरह से भ्रष्ट, अत्याचारी व हीन है।’ यह कथन किनके द्वारा किया गया था?
(a) सिस्टर निवेदिता
(b) सावित्रीबाई फुले
(c) एनी बेसेंट
(d) बाल गंगाधर तिलक
[M.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (a) सिस्टर निवेदिता
- सिस्टर निवेदिता (विवेकानंद की शिष्या) ने कहा था कि ‘ब्रिटिश साम्राज्य पूरी तरह से भ्रष्ट, अत्याचारी व हीन है।’
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22. दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित है-
(a) ब्रह्म समाज
(b) आर्य समाज
(c) प्रार्थना समाज
(d) बहुजन समाज
[43rd B.P.S.C. (Pre) 1999]
उत्तर- (b) आर्य समाज
- स्वामी दयानंद सरस्वती ने सभी के लिए मान्य आदर्शों को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ 7 अप्रैल, 1875 को मुंबई में आर्य समाज संगठन बनाया।
- 1877 में मुख्यालय लाहौर में स्थापित किया गया।
- आर्य समाज शांतिपूर्ण और प्रगतिशील जीवन को प्रोत्साहित करता है।
- स्वामी ने संगठन का उपयोग हिंदू समाज में मौजूद सामाजिक अन्याय के खिलाफ अभियान चलाने के लिए किया।
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23. वेदों के पुनरुत्थान का श्रेय किसे है?
(a) रामकृष्ण परमहंस
(b) रामानुज
(c) स्वामी दयानंद सरस्वती
(d) स्वामी विवेकानंद
[U.P. P.C.S. (Pre) 1995]
उत्तर- (c) स्वामी दयानंद सरस्वती
- स्वामी दयानंद सरस्वती आर्य समाज के संस्थापक थे और वैदिक संस्कृति में विश्वास रखते थे।
- उन्होंने लोगों को वेदों की ओर वापस जाने के लिए प्रोत्साहित किया और सुझाव दिया कि वैदिक काल और अब के बीच की मान्यताएँ गलत थीं।
- उन्होंने अंधविश्वास और कुरीतियों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 1867 में गंगा नदी के तट पर एक विशेष समारोह आयोजित किया।
- उन्होंने पुराणों को मूर्ति पूजा के लिए जिम्मेदार मानते हुए उनकी वैधता को भी नकार दिया।
- एनी बेसेंट ने कहा कि स्वामी दयानंद पहले व्यक्ति थे जिन्होंने कहा था कि “भारत केवल भारतीयों के लिए है।”
- उनके धार्मिक सुधार प्रयासों के कारण उन्हें कभी-कभी “भारत का मार्टिन लूथर किंग” कहा जाता है।
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24. ‘सत्यार्थ प्रकाश’ की रचना की गई थी-
(a) राजा राममोहन राय द्वारा
(b) महात्मा गांधी द्वारा
(c) स्वामी विवेकानंद द्वारा
(d) स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा
[47 B.P.S.C. (Pre) 2005, Uttarakhand P.C.S. (Mains) 2006, U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2013]
उत्तर- (d) स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा
- स्वामी दयानंद सरस्वती (मूल रूप से मूल शंकर तिवारी) ने 1875 में अपनी उत्कृष्ट कृति सत्य का प्रकाश (सत्यार्थ प्रकाश) लिखी थी।
- लोग कभी-कभी इसे उनका मैग्नम ओपस भी कहते हैं।
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25. निम्नलिखित संगठनों में से किसने शुद्धि आंदोलन का समर्थन किया?
(a) आर्य समाज
(b) ब्रह्म समाज
(c) देव समाज
(d) प्रार्थना समाज
[U.P. P.C.S (Pre) 2010]
उत्तर- (a) आर्य समाज
- आर्य समाज, स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा 1875 में बॉम्बे में बनाया गया एक समूह, ने उन लोगों को वापस लाने के लिए शुद्धि आंदोलन शुरू किया, जो हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए थे।
|
26. नीचे दो कथन दिए गए है, एक को कथन (A) तथा दूसरे को कारण (R) के रूप में दिया गया है।
कथन (A): आर्य समाज आंदोलन ने हिंदुओं में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता प्रदान किया।
कारण (R): आर्य समाज आंदोलन ने श्वेत जाति की श्रेष्ठता में विश्वास की जड़ों को कमजोर किया।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही है और (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
(b) (A) और (R) दोनों सही है, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P. B.E.O. (Pre) 2019]
उत्तर- (b) (A) और (R) दोनों सही है, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
- स्वामी दयानंद सरस्वती ने अप्रैल 1875 में बम्बई में आर्य समाज की स्थापना की।
- इसका लक्ष्य वैदिक धर्म को उसके मूल, शुद्ध रूप में लौटाना और भारत को सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक रूप से एकजुट करना था।
- आर्य समाज भी हिंदुओं को सशक्त बनाना चाहता था और इस विचार को अस्वीकार करना चाहता था कि श्वेत जाति श्रेष्ठ थी।
- ये दोनों विचार सही हैं, लेकिन दिया गया कारण दावे को स्पष्ट नहीं करता है।
- इसलिए, विकल्प (b) सही है।
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27. निम्न में से किसने कहा था, “अच्छा शासन स्वशासन का स्थानापन्न नहीं है”?
(a) लोकमान्य तिलक
(b) स्वामी विवेकानंद
(c) स्वामी दयानंद
(d) रबींद्रनाथ टैगोर
[Uttaranchal P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर- (c) स्वामी दयानंद
- दयानंद सरस्वती एक सुधारक थे जो व्यावहारिकता में विश्वास करते थे।
- उन्होंने कई हिंदू रीति-रिवाजों जैसे मूर्ति पूजा, जन्म के आधार पर जाति, पशु बलि और महिलाओं को वेद पढ़ने से रोकने के खिलाफ बात की।
- दयानंद सरस्वती का विचार था कि एक अच्छी सरकार व्यक्तिगत नियंत्रण का स्थान नहीं ले सकती।
|
28. निम्न में से किस व्यक्ति ने सर्वप्रथम ‘स्वराज्य’ शब्द का प्रयोग किया और हिंदी को राष्ट्रभाषा माना?
(a) राजा राममोहन राय
(b) स्वामी दयानंद
(c) स्वामी विवेकानंद
(d) बाल गंगाधर तिलक
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1999]
उत्तर- (b) स्वामी दयानंद
- स्वामी दयानंद पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ‘स्वराज’ शब्द का प्रयोग किया और कहा कि हिंदी भारत की राजभाषा होनी चाहिए।
|
29. निम्नलिखित को कालानुक्रम में रखिए-
1. तुलसीदास
2. राजा राममोहन राय
3. स्वामी विवेकानंद
4. दयानंद सरस्वती
(a) 1, 2, 3, 4
(b) 1, 2, 4, 3
(c) 2, 1, 3, 4
(d) 2, 3, 4, 1
[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007]
उत्तर- (b) 1, 2, 4, 3
- तुलसीदास 1600 के दशक में रहते थे।
- राजा राम मोहन राय 1772-1833 के बीच में रहते थे।
- दयानंद सरस्वती 1824-1883 के बीच में रहते थे।
- 1863-1902 के बीच विवेकानन्द रहते थे।
|
30. निम्नलिखित में से किसने महाराष्ट्र में ‘प्रार्थना समाज’ की स्थापना की थी?
(a) आत्माराम पांडुरंग ने
(b) ज्योतिबा फुले ने
(c) एम.जी. चंद्राकर ने
(d) एम.जी. रानाडे ने
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Mains) 2010]
उत्तर- (a) आत्माराम पांडुरंग ने
- 1867 में आत्मा राम पांडुरंग ने केशव चन्द्र सेन की प्रेरणा से बम्बई में प्रार्थना समाज की स्थापना की।
- महादेव गोविंद रानाडे ब्रह्म समाज के समान महाराष्ट्र में धार्मिक और सामाजिक सुधार लाने के उद्देश्य से 1869 में समाज में शामिल हुए।
|
31. ‘देव समाज’ का संस्थापक निम्न में से कौन था?
(a) वल्लभभाई पटेल
(b) दादाभाई नौरोजी
(c) शिवनारायण अग्निहोत्री
(d) रामकृष्ण परमहंस
[U.P. P.C.S. (Pre) 2002, U.P. Lower Sub. (Pre) 2002, U.P. Lower Sub. (Pre) 2003]
उत्तर- (c) शिवनारायण अग्निहोत्री
- देव समाज, एक धार्मिक और सामाजिक सुधार समूह, फरवरी 1887 में लाहौर में पंडित शिव नारायण अग्निहोत्री (भगवान देवता) (1850-1929) द्वारा शुरू किया गया था।
- वह पहले ब्रह्म समाज का हिस्सा थे।
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32. किसने 1873 ई. में ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना की?
(a) गोपाल कृष्ण गोखले
(b) ज्योतिबा फुले
(c) शिवनाथ शास्त्री
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[40 B.P.S.C. (Pre) 1995, U.P. P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर- (b) ज्योतिबा फुले
- ज्योतिबा फुले ने 1873 में सत्यशोधक समाज की स्थापना की।
- उन्होंने गैर-ब्राह्मणों को उनके अधिकार दिलाने और उन्हें ब्राह्मणवादी ग्रंथों के नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए एक मजबूत आंदोलन शुरू किया।
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33. पिछड़े वर्गों का उत्थान किसका मुख्य कार्यक्रम था?
(a) प्रार्थना समाज
(b) सत्यशोधक समाज
(c) आर्य समाज
(d) रामकृष्ण मिशन
[I.A.S. (Pre) 1993]
उत्तर- (b) सत्यशोधक समाज
- ज्योतिबा फुले ने दलितों और अन्य निचली जातियों की मदद के लिए 1873 में सत्यशोधक समाज की शुरुआत की।
- उन्होंने वंचित लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के अपने प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए दो पुस्तकें, “सार्वजनिक सत्य धर्म पुस्तक” और “गुलामगिरी” लिखीं।
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34. सत्यशोधक समाज ने संगठित किया-
(a) बिहार में आदिवासियों के उन्नयन का एक आंदोलन
(b) गुजरात में मंदिर-प्रवेश का एक आंदोलन
(c) महाराष्ट्र में एक जाति-विरोधी आंदोलन
(d) पंजाब में एक किसान आंदोलन
[I.A.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (c) महाराष्ट्र में एक जाति-विरोधी आंदोलन
- सत्यशोधक संगठन का लक्ष्य शूद्रों और अतिशूद्रों को आर्य-ब्राह्मणों द्वारा शोषण से मुक्त कराना था।
- यह महाराष्ट्र में एक जाति-विरोधी आंदोलन था।
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35. वह बंगाली नेता कौन था, जिसने सामाजिक-धार्मिक सुधारों का विरोध किया और रूढ़िवादिता का समर्थन किया?
(a) राधाकांत देव
(b) नेमई साधन बोस
(c) हेमचंद्र विश्वास
(d) हेमचंद्र डे
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2008]
उत्तर- (a) राधाकांत देव
- राजा राधाकांत देब ने 1830 में बंगाल में ‘धर्म सभा’ की स्थापना की और समाज और धर्म में बदलाव का विरोध किया और रूढ़िवादिता का समर्थन किया।
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36. राधास्वामी सत्संग के संस्थापक कौन थे?
(a) हरिदास स्वामी
(b) शिवदयाल साहब
(c) शिवनारायण अग्निहोत्री
(d) स्वामी श्रद्धानंद
[U.P. P.C.S. (Pre) 2002]
उत्तर- (b) शिवदयाल साहब
- तुलसीराम, जिन्हें शिवदयाल साहब या स्वामीजी महाराज के नाम से भी जाना जाता है, ने 1861 में राधा स्वामी सत्संग की स्थापना की थी।
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37. महाराष्ट्र के किस सुधारक को ‘लोकहितवादी’ कहा जाता था?
(a) एम.जी. रानाडे
(b) गोपाल कृष्ण गोखले
(c) पंडिता रमाबाई
(d) गोपाल हरि देशमुख
[M.P. P.C.S. (Pre) 1995]
उत्तर- (d) गोपाल हरि देशमुख
- गोपाल हरि देशमुख का जन्म पुणे, भारत में हुआ था और वह एक समाज सुधारक और विचारक थे।
- उनका जन्म उपनाम शिधाये था। जब वे 25 वर्ष के थे, तब उन्होंने समाचार पत्र प्रभाकर में सामाजिक सुधार के बारे में 108 लेख लिखे, जो मराठी साहित्य में “लोकहितवादिन्ची शतपात्रे” के नाम से जाना गया।
- 1880 में वे गवर्नर जनरल काउंसिल का हिस्सा बने और खादी कपड़े पहनकर राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता के लिए अपना समर्थन दिखाया।
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38. महाराष्ट्र में विधवा पुनर्विवाह हेतु अभियान का नेतृत्व किया-
(a) विष्णु परशुराम पंडित ने
(b) बी.एम. मालाबारी ने
(c) गोपाल हरि देशमुख ने
(d) दादाभाई नौरोजी ने
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2013]
उत्तर- (a) विष्णु परशुराम पंडित ने
- विष्णु परशुराम पंडित ने 19वीं सदी के मध्य में महाराष्ट्र में विधवा पुनर्विवाह के अभियान का नेतृत्व किया।
- उन्होंने 1850 में विधवा पुनर्विवाह सोसायटी की स्थापना की और विधवा पुनर्विवाह आंदोलन शुरू किया।
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39. 19वीं सदी के महानतम पारसी समाज सुधारक थे-
(a) सर जमशेदजी
(b) सर रुस्तम बहरामजी
(c) नवलजी टाटा
(d) बहरामजी एम. मालाबारी
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2010]
उत्तर- (d) बहरामजी एम. मालाबारी
- बेहरामजी एम. मालाबारी 19वीं सदी के एक अविश्वसनीय रूप से प्रभावशाली पारसी समाज सुधारक थे।
- उनका जन्म 1853 में बड़ौदा में एक फ़ारसी परिवार में हुआ था।
- उन्होंने बाल विवाह के खिलाफ बोलने और विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए एक दस्तावेज़ बनाया।
- 1891 में सहमति आयु अधिनियम पारित करने में उनके प्रयास महत्वपूर्ण थे।
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40. उसका ‘प्रधान संबल’ (Principal Forte) था सामाजिक और धार्मिक सुधार, उसने सामाजिक बुराइयों के निराकरण के लिए विधान निर्माण का सहारा लिया और बाल विवाह, पर्दा प्रथा के उन्मूलन के लिए अविराम परिश्रम किया, सामाजिक समस्याओं पर राष्ट्रीय स्तर पर विचार-विमर्श को प्रोत्साहित करने हेतु उसने भारतीय राष्ट्रीय सामाजिक सम्मेलन का उद्घाटन किया जिसके अधिवेशन बहुत वर्षों तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ-साथ होते रहे।
इस उद्धरण में संकेतित व्यक्ति हैं-
(a) ईश्वरचंद्र विद्यासागर
(b) बहरामजी मेरवानजी मालाबारी
(c) महादेव गोविंद रानाडे
(d) बी.आर. अम्बेडकर
[I.A.S. (Pre) 1996]
उत्तर- (c) महादेव गोविंद रानाडे
- भारतीय राष्ट्रीय सामाजिक सम्मेलन की स्थापना 1887 में एमजी रानाडे और रघुनाथ राव द्वारा बहुविवाह, बाल विवाह और कुलीनतंत्र को रोकने के उद्देश्य से की गई थी।
- यह सम्मेलन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ मिलकर कई वर्षों तक चला।
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41. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है?
(संस्था) (प्रवर्तक)
(a) सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी – जी. के. गोखले
(b) सोशल सर्विस लीग – एन.एम. जोशी
(c) सेवा समिति – एच.एन. कुंजरू
(d) सोशल रिफॉर्म एसोसिएशन – श्रीराम बाजपेयी
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (d) सोशल रिफॉर्म एसोसिएशन – श्रीराम बाजपेयी
- सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी वर्ष 1905 में गोपाल कृष्ण गोखले द्वारा, सोशल सर्विस लीग वर्ष 1911 में नारायण मल्हार जोशी, चंदावरकर (पहले अध्यक्ष) द्वारा, सेवा समिति वर्ष 1914 में हृदय नाथ कुंजरू द्वारा तथा बॉम्बे प्रेसीडेंसी सोशल रिफॉर्म एसोसिएशन वर्ष 1903 में देश के तत्कालीन प्रमुख समाज सुधारकों (चंदावरकर, भंडारकर आदि) द्वारा।
- ज्ञातव्य है कि सोशल रिफॉर्म एसोसिएशन रानाडे के नेशनल कॉन्फ्रेंस (1887) द्वारा स्थापित की गई संस्था थी।
- इसके पूर्व 1878 ई. में वीरेशलिंगम ने राजमुंद्री सोशल रिफॉर्म एसोसिएशन की स्थापना की थी।
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42. विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 1871 ई. में राजमुंद्री सोशल रिफॉर्म एसोसिएशन स्थापित किया गया था-
(a) वीरेशलिंगम द्वारा
(b) के. रामकृष्ण पिल्लई द्वारा
(c) के.टी. तेलंग द्वारा
(d) गोपालाचारियार द्वारा
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (a) वीरेशलिंगम द्वारा
- राज बहादुर कंदुकुरी वीरेसलिंगम पंतुलु ने राजमुंदरी सोशल रिफॉर्म एसोसिएशन की स्थापना की।
- वह ब्रिटिश भारत में मद्रास प्रेसीडेंसी के एक प्रभावशाली समाज सुधारक थे और उन्हें तेलुगु पुनर्जागरण के नेता के रूप में देखा जाता है।
- एसोसिएशन के माध्यम से, उन्होंने लोगों को बदसूरत लड़कियों का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए काम किया और उन्होंने विधवा पुनर्विवाह के लिए लड़ाई लड़ी।
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43. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समय राष्ट्रीय सामाजिक सम्मेलन (नेशनल सोशल कॉन्फ्रेंस) का गठन किया गया था। इसके गठन के लिए उत्तरदायी कारण था-
(a) बंगाल क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक सुधार ग्रुप/संगठन किसी एक मंच पर एकत्रित होकर व्यापक हित मांग पत्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत करना चाहते थे।
(b) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपने कार्यक्रम में सामाजिक सुधारों को नहीं रखना चाहती थी। इसीलिए प्रस्तुत उद्देश्य के लिए उसने अलग से संगठन बनाने का सुझाव दिया।
(c) बहरामजी मालाबारी और एम.जी. रानाडे ने यह निश्चय किया कि देश के समस्त सामाजिक सुधार ग्रुपों को एक संगठन के अंतर्गत लाया जाए।
(d) उपर्युक्त संदर्भ में विकल्प (a), (b) और (c) में दिए गए वक्तव्य में कोई भी सही नहीं है।
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (b) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपने कार्यक्रम में सामाजिक सुधारों को नहीं रखना चाहती थी। इसीलिए प्रस्तुत उद्देश्य के लिए उसने अलग से संगठन बनाने का सुझाव दिया।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सोचा कि उनकी राजनीतिक चर्चाओं में सामाजिक सुधार शामिल नहीं होने चाहिए।
- इसलिए, उन्होंने इन सुधारों से निपटने के लिए एक अलग समूह बनाया।
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44. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(1) आर्य समाज की स्थापना 1835 में हुई थी।
(2) लाला लाजपत राय ने आर्य समाज के उस आग्रह का विरोध किया था, जो उसके अपने समाज सुधार कार्यक्रमों के समर्थन में वेदों को आप्त प्रमाण मानने को लेकर था।
(3) केशवचंद्र सेन के नेतृत्व में ब्रह्म समाज ने नारी शिक्षा के लिए आंदोलन चलाया था।
(4) विनोबा भावे ने शरणार्थियों में काम करने के लिए सर्वोदय समाज की स्थापना की थी।
इन कथनों में कौन-कौन से कथन सही हैं?
(a) (1) और (2)
(b) (2) और (3)
(c) (2) और (4)
(d) (3) और (4)
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर- (d) (3) और (4)
- आर्य समाज की शुरुआत 7 अप्रैल, 1875 को दयानंद सरस्वती द्वारा बॉम्बे में की गई थी।
- कथन 1 गलत है।
- लाला लाजपत राय आर्य समाज का हिस्सा थे और उन्होंने आर्य समाज द्वारा अपनी सामाजिक सुधार योजना में वेदों के इस्तेमाल का विरोध नहीं किया।
- अतः कथन 2 भी सत्य नहीं है।
- ब्रह्म समाज ने केशव चंद्र सेन के माध्यम से समाज में महिलाओं को शिक्षित करने का आंदोलन शुरू किया।
- विनोबा भावे ने भारतीयों की जीवन स्थितियों में मदद करने और महात्मा गांधी की शिक्षाओं का पालन करने के साथ-साथ शरणार्थियों की मदद करने के लिए सर्वोदय समाज बनाया।
- ये दो कथन (3 और 4) सही हैं।
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45. पश्चिमी भारत के डी. के. कर्वे का नाम निम्नलिखित में से किस संदर्भ में आता है?
(a) सती प्रथा
(b) बाल (शिशु) हत्या
(c) स्त्री शिक्षा
(d) विधवा पुनर्विवाह
[U.P.P.C.S (Pre) 2016]
उत्तर- (c & d) स्त्री शिक्षा & विधवा पुनर्विवाह
- धोंडो केशव कर्वे एक भारतीय व्यक्ति थे जो महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करना चाहते थे।
- उन्होंने विधवाओं को पुनर्विवाह में मदद करने के लिए एक आंदोलन शुरू करने के लिए रानाडे के साथ काम किया।
- उन्होंने विधवाओं को शिक्षित होने में मदद की और उनके लिए आश्रय और स्कूल स्थापित किया।
- उन्होंने 1916 में भारत में महिलाओं के लिए पहला विश्वविद्यालय, साथ ही प्राथमिक शिक्षकों के लिए एक प्रशिक्षण महाविद्यालय और लड़कियों के लिए ‘कन्याशाला’ नामक एक स्कूल भी शुरू किया।
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46. निम्नलिखित में से किसने प्रमुख रूप से विधवा पुनर्विवाह के लिए संघर्ष किया और उसे कानूनी रूप से वैध बनाने में सफलता प्राप्त की?
(a) एनी बेसेंट
(b) ईश्वरचंद्र विद्यासागर
(c) एम.जी. रानाडे
(d) राजा राममोहन राय
[U.P. P.C.S. (Mains) 2012]
उत्तर- (b) ईश्वरचंद्र विद्यासागर
- 1856 का हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर के प्रयासों के कारण बनाया गया था।
- इस कानून ने यह सुनिश्चित किया कि जो हिंदू विधवा पुनर्विवाह करने का निर्णय लेती है, वह विरासत के कुछ अधिकार नहीं खोएगी।
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47. इनमें से कौन सेक्रेटरी के रूप में हिंदू फीमेल स्कूल से संबद्ध थे/थी?
(a) एनी बेसेंट
(b) देवेंद्रनाथ टैगोर
(c) ईश्वरचंद्र विद्यासागर
(d) सरोजिनी नायडू
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (c) ईश्वरचंद्र विद्यासागर
- ईश्वरचंद्र विद्यासागर बेथ्यून कॉलेज के पहले सेक्रेटरी (सचिव) थे।
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48. इनमें से कौन-सा कथन सही नहीं है?
(a) सन 1829 में विलियम बेंटिक ने सती प्रथा को कानून द्वारा अपराध घोषित कर दिया।
(b) सन 1856 में सरकार ने कानून बनाया जिसके अनुसार, हिंदू विधवाएं पुनर्विवाह कर सकती थीं।
(c) सन 1875 में स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा आर्य समाज की स्थापना की गई।
(d) राजा राममोहन राय सती प्रथा के समर्थक थे।
[M.P. P.C.S. (Pre) 1994]
उत्तर- (d) राजा राममोहन राय सती प्रथा के समर्थक थे।
- कथन (d) गलत है, राजा राम मोहन राय सती प्रथा के सख्त खिलाफ थे।
- उन्होंने उस समय बंगाल के गवर्नर विलियम बेंटिक से ब्रिटिश भारत में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा और 1829 के खंड 17 के तहत इसे प्रतिबंधित कर दिया गया।
- इसके बाद अदालत को निर्देश दिया गया कि इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और उन्हें गैर इरादतन हत्या के लिए दंडित किया जाए।
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49. 1843 के एक्ट V ने किस बात को गैर-कानूनी बना दिया?
(a) बाल विवाह
(b) शिशु हत्या
(c) सती
(d) गुलामी
[U.P. P.C.S. (Mains) 2007]
उत्तर- (d) गुलामी
- 1843 में, भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड एलेन बरो ने दास रखना अवैध बना दिया।
- यह 1833 के चार्टर में गुलामी को यथाशीघ्र समाप्त करने के अनुरोध के अनुरूप था।
- सभी दासों को मालिकों को मुआवजे के रूप में कोई पैसा दिए बिना मुक्त कर दिया गया।
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50. निम्नलिखित में से किसने 1872 में नेटिव मैरिज एक्ट को पारित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी?
(a) देवेंद्रनाथ टैगोर
(b) ईश्वरचंद्र विद्यासागर
(c) केशवचंद्र सेन
(d) श्यामचंद्र दास
[U.P. P.C.S. (Mains) 2011]
उत्तर- (c) केशवचंद्र सेन
- 1872 के मूलनिवासी विवाह अधिनियम पर केशव चन्द्र सेन का बड़ा प्रभाव था।
- इस कानून के तहत लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 14 साल और लड़कों के लिए 18 साल तय की गई।
- इस कानून को ब्रह्म विवाह अधिनियम भी कहा जाता है।
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51. बाल विवाह प्रथा को नियंत्रित करने हेतु 1872 के सिविल मैरिज एक्ट ने लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र निर्धारित किया-
(a) 14 वर्ष
(b) 18 वर्ष
(c) 16 वर्ष
(d) इनमें से कोई नहीं
[U.P. P.C.S. (Pre) 2000]
उत्तर- (a) 14 वर्ष
- 1872 में एक कानून बनाया गया जिसके तहत 14 साल से कम उम्र की लड़कियों और 18 साल के लड़कों की शादी को गैरकानूनी बना दिया गया और बहुविवाह से भी छुटकारा मिल गया।
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52. निम्नलिखित विवरण पर विचार कीजिए-
“1853 में जन्में ये पश्चिमी भारत के पारसी थे। ये ‘इंडियन स्पेक्टेटर’ तथा ‘वायस ऑफ इंडिया’ के संपादक थे। ये एक समाज सुधारक थे और सम्मति आयु अधिनियम, 1891 के पक्ष में प्रमुख संघर्षकर्ता थे।”
उपर्युक्त पैराग्राफ किसके विषय में है?
(a) दादाभाई नौरोजी
(b) बी.एम. मालाबारी
(c) बी.पी. वाडिया
(d) नौरोजी फरदौन जी
[U.P.R.O/A.R.O. (Pre) 2016]
उत्तर- (b) बी.एम. मालाबारी
- बेहरामजी एम. मालाबारी, एक पारसी पारसी, जो एक महत्वपूर्ण भारतीय कवि, लेखक और समाज सुधारक थे, का जन्म 18 मई 1853 को बड़ौदा, गुजरात में हुआ था।
- उन्होंने 1880 से इंडियन स्पेक्टेटर का संपादन किया जब तक यह वॉयस ऑफ इंडिया के साथ एक नहीं हो गया।
- वह सामाजिक परिवर्तन के प्रचारक थे और उनके कार्यों के कारण 1885 में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम और 1891 में सहमति की आयु अधिनियम लागू हुआ।
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53. शारदा अधिनियम के अंतर्गत लड़कियों एवं लड़कों के विवाह की न्यूनतम आयु क्रमशः कितनी निर्धारित की गई थी?
(a) 12 एवं 16
(b) 14 एवं 18
(c) 15 एवं 21
(d) 16 एवं 22
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012, U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2013]
उत्तर- (b) 14 एवं 18
- बाल विवाह निरोधक अधिनियम, जिसे शारदा अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है, 1929 में पारित किया गया था और लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 14 वर्ष और लड़कों के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गई थी।
- बाद में इसे लड़कियों के लिए 18 और लड़कों के लिए 21 कर दिया गया।
- इस अधिनियम का नाम हर बिलास शारदा के नाम पर रखा गया था, जो 1929 में बाल विवाह अधिनियम पेश करने के लिए प्रसिद्ध थे।
|
54. ‘थियोसोफिकल सोसाइटी’ की स्थापना किसने की?
(a) मैडम एच.पी. ब्लावाट्रकी
(b) राजा राममोहन राय
(c) महात्मा गांधी
(d) स्वामी विवेकानंद
[53rd to 55th B.P.S.C. (Pre) 2011]
उत्तर- (a) मैडम एच.पी. ब्लावाट्रकी
- 1875 में, एक रूसी रईस हेलेना पेत्रोव्ना ब्लावात्स्की ने अमेरिकी कर्नल हेनरी स्टील अल्कॉट, वकील विलियम क्वान जज और अन्य लोगों के साथ मिलकर न्यूयॉर्क शहर में थियोसोफिकल सोसाइटी की स्थापना की।
- चार साल बाद, ब्लावात्स्की और अल्कॉट भारत चले आए और सोसायटी का तेजी से विकास हुआ।
- 1882 में, उन्होंने मद्रास (अब चेन्नई) के पास अडयार में सोसायटी का अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय स्थापित किया।
|
55. भारत में थियोसोफिकल सोसाइटी की सफलता मुख्यतः थी-
(a) एनी बेसेंट के कारण
(b) कर्नल एच.एस. अल्काट के कारण
(c) सर विलियम क्रुक के कारण
(d) एम.एम. मालवीय के कारण
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Mains) 2010]
उत्तर- (a) एनी बेसेंट के कारण
- 1879 में, मैडम एचपी ब्लावात्स्की और कर्नल अल्कॉट भारत में स्थानांतरित हो गए, जहां थियोसोफिकल सोसायटी ने तेजी से लोकप्रियता हासिल की।
- 1882 में, मद्रास (अब चेन्नई) के एक जिले अड्यार में अंतर्राष्ट्रीय समाज के लिए एक आधार स्थापित किया गया था।
- एनी बेसेंट 1889 में संगठन में शामिल हुईं और 1893 में भारत पहुंचने के बाद, वह समाज में बहुत सक्रिय थीं।
- वह सोचती थी कि हिंदू धर्म एक बहुत ही आध्यात्मिक और गुप्त आस्था है, और वह पुनर्जन्म में विश्वास रखती थी।
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56. निम्नलिखित युग्मों में से कौन सुमेलित नहीं है?
(a) राजा राममोहन राय – ब्रह्म समाज
(b) स्वामी दयानंद सरस्वती – आर्य समाज
(c) स्वामी विवेकानंद – रामकृष्ण मिशन
(d) महादेव गोविंद रानाडे – थियोसोफिकल सोसाइटी
[U.P.P.C.S. (Mains) 2011]
उत्तर- (d) महादेव गोविंद रानाडे – थियोसोफिकल सोसाइटी
- राजा राम मोहन राय ने 20 अगस्त, 1828 को ब्रह्म सभा (जिसे बाद में ब्रह्म समाज कहा गया) की शुरुआत की।
- स्वामी दयानंद सरस्वती ने 7 अप्रैल, 1875 को मुंबई में आर्य समाज की शुरुआत की।
- स्वामी विवेकानन्द ने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
- आत्मा राम पांडुरंग ने केशव चंद्र सेन की प्रेरणा से 1867 में बंबई में प्रार्थना समाज शुरू किया, महादेव गोविंद रानाडे इस समूह का हिस्सा थे
|
57. निम्नलिखित में से कौन एक सुमेलित नहीं है?
(a) प्रार्थना समाज – डॉ. आत्माराम पांडुरंग
(b) आत्मीय सभा – देवेंद्रनाथ टैगोर
(c) भारतीय ब्रह्म समाज – केशवचंद्र सेन
(d) राधास्वामी सत्संग – तुलसीराम
[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर- (b) आत्मीय सभा – देवेंद्रनाथ टैगोर
- राजा राम मोहन राय ने 1815 में आत्मीय सभा की शुरुआत की।
- दो साल बाद आरजी भंडारकर और महादेव गोविंद रानाडे शामिल हुए।
|
58. सूची-I को सूची-II से सुमेल कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर का चयन कीजिए-
सूची-I |
सूची-II |
A. ब्रह्म समाज |
1. बंबई |
B. मानव धर्म सभा |
2. सूरत |
C. आर्य समाज |
3. कलकत्ता |
D. नदवा-उल-उल्मा |
4. लखनऊ |
कूट :
A B C D
(a) 4, 1, 3, 2
(b) 2, 4, 3, 1
(c) 3, 1, 4, 2
(d) 3, 2, 1, 4
[U.P. P.C.S. (Mains) 2003]
उत्तर- (d) 3, 2, 1, 4
- राजा राम मोहन राय ने 20 अगस्त, 1828 को कलकत्ता में ब्रह्म समाज की स्थापना की।
- मानव धर्म सभा की स्थापना सूरत में हुई।
- स्वामी दयानंद सरस्वती ने वैदिक धर्म को पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से 7 अप्रैल, 1875 को मुंबई में आर्य समाज की शुरुआत की।
- नदवा-उल-उलमा की शुरुआत लखनऊ में हुई थी।
|
59. निम्नलिखित में से किस समाज सुधारक ने 1826 के जूरी अधिनियम का घोर विरोध किया?
(a) ईश्वरचंद्र विद्यासागर
(b) राजा राममोहन राय
(c) महादेव गोविंद रानाडे
(d) राजनारायण बसू
[U.P. P.C.S. (Pre.) 2017]
उत्तर- (b) राजा राममोहन राय
- 1826 के जूरी अधिनियम में कहा गया कि हिंदू और मुस्लिम अपने धर्म के लोगों से जुड़े मुकदमों में जूरी सदस्य हो सकते हैं, लेकिन उन्हें ईसाइयों से जुड़े मामलों में जूरी सदस्य बनने की अनुमति नहीं थी।
- हालाँकि, ईसाई, हिंदुओं और मुसलमानों के मुकदमे के लिए जूरी सदस्य हो सकते हैं।
- राम मोहन राय ने इस अधिनियम पर आपत्ति जताई और तर्क दिया कि यह अनुचित है।
|
60. सुमेलित कीजिए-
A. प्रार्थना समाज |
1. स्वामी विवेकानंद |
B. रामकृष्ण मिशन |
2. महादेव गोविंद रानाडे |
C. सत्यशोधक समाज |
3. सर सैयद अहमद खां |
D. मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज, अलीगढ़ |
4. ज्योतिबा फुले |
कूट:
A B C D
(a) 1, 4, 3, 2
(b) 4, 3, 2, 1
(c) 2, 1, 4, 3
(d) 4, 2, 3, 1
[M.P. P.C.S. (Pre) 1994]
उत्तर- (c) 2, 1, 4, 3
प्रार्थना समाज |
महादेव गोविंद रानाडे |
रामकृष्ण मिशन |
स्वामी विवेकानन्द |
सत्यशोधक समाज |
ज्योतिबा फुले |
मुहम्मद-एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज अलीगढ़ |
सर सैयद अहमद खान |
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61. ‘पूना सार्वजनिक सभा’ की स्थापना की थी-
(a) 1858 ई. में महादेव गोविंद रानाडे ने
(b) 1870 ई. में महादेव गोविंद रानाडे ने
(c) 1870 ई. में पंडिता रमाबाई रानाडे ने
(d) 1870 ई. में सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
[66th B.P.S.C. (Pre) (Re-Exam) 2020]
उत्तर- (b) 1870 ई. में महादेव गोविंद रानाडे ने
- ‘पूना सार्वजनिक सभा’ की स्थापना अप्रैल, 1870 में महादेव गोविंद रानाडे ने की थी।
- इस संस्था के अन्य सदस्यों में बाल गंगाधर तिलक, अरविंद केलकर, गोपाल हरिदेशमुख तथा जीवी जोशी शामिल थे।
- यह संस्था सरकार एवं जनता के बीच मध्यस्थता कायम करने के लिए स्थापित की गई थी।
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62. निम्नलिखित में से कौन एक सही सुमेलित है?
(a) भारतीय ब्रह्म समाज – राजा राममोहन राय
(b) तत्वबोधिनी सभा – केशवचंद्र सेन
(c) सत्यशोधक समाज – देवेंद्रनाथ टैगोर
(d) दि सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी – गोपाल कृष्ण गोखले
[U.P. P.C.S. (Spl) (Mains) 2004]
उत्तर- (d) दि सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी – गोपाल कृष्ण गोखले
- गोपाल कृष्ण गोखले ने समुदाय की मदद के लिए विभिन्न धर्मों और पृष्ठभूमि के लोगों को एक साथ लाने के लिए 1905 में सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की।
- वह 1905 में बनारस में 21वीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे और उन्हें महात्मा गांधी के राजनीतिक शिक्षक के रूप में जाना जाता था।
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63. एम.सी. सीतलवाड़, बी.एन. राव तथा अल्लादि कृष्णस्वामी अय्यर प्रख्यात सदस्य थे-
(a) स्वराज पार्टी के
(b) ऑल इंडियन नेशनल लिबरल फेडरेशन के
(c) मद्रास लेबर यूनियन के
(d) सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी के
[I.A.S. (Pre) 1997]
उत्तर- (d) सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी के
- गोपाल कृष्ण गोखले ने 1905 में भारतीय लोगों की वैध तरीकों से मदद करने के लिए लोगों को प्रशिक्षित करने के लक्ष्य के साथ ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ की शुरुआत की।
- वी. श्रीनिवास शास्त्री, जीके देवधर, एनएम जोशी और पंडित हृदयनाथ कुंजुरु ऐसे कुछ लोग हैं जो इसी समाज से आए थे। एमसी शीतलवाड, बीएन राव और अल्लादी कृष्णा स्वामी अयेर भी समाज के महत्वपूर्ण सदस्य थे।
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64. ‘बहुजन समाज’ का संस्थापक कौन था?
(a) श्री नारायन गुरु
(b) मुकुंदराव पाटिल
(c) डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
(d) बी.आर. शिंदे
[U.P. Lower Sub. (Spl.) (Pre) 2010]
उत्तर- (b) मुकुंदराव पाटिल
- मुकुंद राव पाटिल और शंकर राव जाधव ने 1910 में महाराष्ट्र के सतारा में ब्राह्मण, साहूकार और जमींदारों सहित उच्च जाति के लोगों द्वारा निचली जाति के लोगों के साथ अनुचित व्यवहार के खिलाफ लड़ने के लिए बहुजन समाज की शुरुआत की।
- यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से भी असहमत था।
- अंततः इसने ब्रिटिश सरकार का समर्थन किया।
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65. किसके द्वारा मंदिरों में प्रवेश के अधिकार की मांग की प्रस्तुति के कारण 1899 ई. में तिरुनेलवेली में भयंकर दंगे हुए थे?
(a) ओकालिंग
(b) नाडार
(c) महार
(d) पाली
[40th B.P.S.C. (Pre) 1995]
उत्तर- (b) नाडार
- 1899 में, नाडारों ने मंदिरों में जाने की अनुमति मांगी, जिससे तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में भारी अशांति फैल गई।
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66. किसने कहा कि “यदि भगवान अस्पृश्यता को सहन करते हैं, तो मैं उन्हें कभी भगवान नहीं मानूंगा”?
(a) बी. आर. अम्बेडकर
(b) बाल गंगाधर तिलक
(c) लाला लाजपत राय
(d) महात्मा गांधी
[U.P. P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004]
उत्तर- (b) बाल गंगाधर तिलक
- 1918 में, तिलक ने लोनावाला जिले में एक सम्मेलन में अस्पृश्यता के मुद्दे पर वीआर शिंदे के साथ बातचीत की।
- तिलक किसी भी तरह से मदद करने के लिए तैयार हो गए।
- पहला दलित वर्ग सम्मेलन 24 और 25 मार्च को फ्रेंच ब्रिज के पास बॉम्बे में आयोजित किया गया था।
- सम्मेलन को संबोधित करते हुए तिलक ने कहा कि अस्पृश्यता को समाप्त किया जाना चाहिए।
- उन्होंने कहा कि सभी भारतीय एक ही देश का हिस्सा हैं और छुआछूत नैतिक और आध्यात्मिक रूप से गलत है।
- उनके शब्द सशक्त थे जब उन्होंने कहा – “यदि भगवान अस्पृश्यता को सहन करते हैं, तो मैं उन्हें कभी भगवान नहीं मानूंगा।”
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67. सूची-1 का सूची-II से सुमेल कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर का चयन कीजिए-
सूची-I |
सूची-II |
A. राजा राममोहन राय |
1. यह कहा कि ब्रह्मवाद को विश्व धर्म बनाना चाहिए |
B. केशवचंद्र सेन |
2. हिंदू धर्म की पहचान वेदों में संस्थापित धर्म से की |
C. दयानंद सरस्वती |
3. इस पर जोर दिया कि ईश्वर तक पहुंचने के कई मार्ग हो सकते हैं |
D. रामकृष्ण परमहंस |
4. यह कहा कि हिंदू धर्म का शुद्धतम रूप उपनिषदों में निहित है |
कूट:
A B C D
(a) 1, 4, 2, 3
(b) 1, 4, 3, 2
(c) 4, 1, 3, 2
(d) 4, 1, 2, 3
[U.P. Lower Sub. (Pre) 1998]
उत्तर- (d) 4, 1, 2, 3
- राजा राम मोहन राय ने कहा कि हिंदू धर्म का सबसे शुद्ध संस्करण उपनिषदों में मिलता है।
- केशव चन्द्र सेन का मानना था कि ब्रह्मवाद ही विश्व का धर्म होना चाहिए।
- दयानंद सरस्वती ने कहा कि हिंदू धर्म वेदों की शिक्षाओं पर आधारित है।
- अंत में, रामकृष्ण परमहंस ने इस बात पर जोर दिया कि भगवान तक पहुंचने के कई रास्ते हैं।
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68. निम्नलिखित में से कौन-सा सुमेलित नहीं है?
(a) ए. पांडुरंग – प्रार्थना समाज
(b) दयानंद – आर्य समाज
(c) राजा राममोहन राय – आदि ब्रह्म समाज
(d) विवेकानंद – रामकृष्ण मिशन
[U.P. P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर- (c) राजा राममोहन राय – आदि ब्रह्म समाज
- राजा राम मोहन राय ने 20 अगस्त, 1828 को कलकत्ता में ब्रह्म समाज की स्थापना की।
- बाद में देवेन्द्र नाथ टैगोर ने इसका नाम बदलकर ‘आदि ब्रह्म समाज’ कर दिया।
- 1866 में, समाज को दो भागों में विभाजित किया गया – टैगोर के नेतृत्व में ‘आदि ब्रह्म समाज’ और केशव चंद्र सेन के नेतृत्व में ‘भारतीय ब्रह्म समाज’।
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69. निम्नलिखित में से कौन-सा सही सुमेलित नहीं है?
संगठन व्यक्ति
(a) यंग बंगाल आंदोलन – हेनरी विवियन डेरोजियो
(b) बहिष्कृत हितकारिणी – ज्योतिबा फुले
(c) थियोसोफिकल सोसाइटी – कर्नल अल्काट
(d) यूनाइटेड इंडियन पेट्रियोटिक – सैयद अहमद खान एसोसिएशन
[U.P. R.O.JA.R.O. (Re-Exam) (Pre) 2016]
उत्तर- (b) बहिष्कृत हितकारिणी – ज्योतिबा फुले
- बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने बहिष्कृत हितकारिणी सभा की शुरुआत की।
- अन्य विकल्प सही हैं।
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70. प्रार्थना समाज, यंग इंडिया, लोकहितवादी, सत्यशोधक समाज, रहनुमाई मजदायसन समा के लिए निम्न विकल्पों में से सही संयोजन पहचानिए-
(a) गोपाल हरि देशमुख, आत्माराम पांडुरंग, मोहनदास करमचंद गांधी, ज्योतिबा फुले, नौरोजी फुरदोनजी
(b) आत्माराम पांडुरंग, मोहनदास करमचंद गांधी, गोपाल हरि देशमुख, ज्योतिबा फुले, नौरोजी फुरदोनजी
(c) आत्माराम पांडुरंग, ज्योतिबा फुले, मोहनदास करमचंद गांधी, गोपाल हरि देशमुख, नौरोजी फुरदोनजी
(d) नौरोजी फुरदोनजी, आत्माराम पांडुरंग, मोहनदास करमचंद गांधी, गोपाल हरि देशमुख, ज्योतिबा फुले
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक
[64th B.P.S.C. (Pre) 2018]
उत्तर- (b) आत्माराम पांडुरंग, मोहनदास करमचंद गांधी, गोपाल हरि देशमुख, ज्योतिबा फुले, नौरोजी फुरदोनजी
- प्रार्थना समाज पिछले आंदोलनों से प्रेरित होकर धार्मिक और सामाजिक सुधार के लिए बॉम्बे में बनाया गया एक आंदोलन था, जिसकी स्थापना 1867 में आत्माराम पांडुरंग ने की थी।
- मोहनदास करमचंद गांधी ने 1919 से 1931 तक यंग इंडिया नामक अंग्रेजी समाचार पत्र प्रकाशित किया।
- गोपाल हरि देशमुख महाराष्ट्र के एक भारतीय कार्यकर्ता, लेखक और समाज सुधारक थे, जिन्हें लोकहितवादी के नाम से जाना जाता था।
- ज्योतिबा फुले ने 24 सितंबर 1873 को पुणे में सत्य शोधक समाज की स्थापना की।
- नौरोजी फुरदोनजी और अन्य लोगों ने रहनुमाई मजदायासन सभा की स्थापना की।
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71. निम्नलिखित में से कौन एक सही सुमेलित है?
(a) भारत धर्म महामंडल – दिल्ली
(b) देव समाज – बनारस
(c) राधास्वामी सत्संग – लाहौर
(d) सनातन धर्म रक्षिणी सभा – कलकत्ता
[U.P.P.C.S. (Pre) 2022]
उत्तर- (d) सनातन धर्म रक्षिणी सभा – कलकत्ता
- विकल्पों का सही चयन है –
- भारत धर्म महामंडल – हरिद्वार
- देव समाज – लाहौर
- राधास्वामी सत्संग – आगरा
- सनातन धर्म रक्षिणी सभा – कलकत्ता
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72. निम्नलिखित समाज सुधारकों में से कौन संस्कृत भाषा में प्रवीणता के लिए जाना जाता है?
(a) दयानंद सरस्वती
(b) ईश्वरचंद्र विद्यासागर
(c) राजा राममोहन राय
(d) उपर्युक्त सभी
[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी
- दयानंद सरस्वती, ईश्वर चंद्र विद्यासागर और राजा राम मोहन रॉय ने उस समय भारत में बदलाव लाने के लिए बहुत मेहनत की जब यहां अंग्रेजों का शासन था।
- वे सभी संस्कृत जानते थे और हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के बुरे हिस्सों से छुटकारा पाना चाहते थे।
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73. निम्नलिखित कथनों को ध्यानपूर्वक पढ़िए-
1. ब्रह्म समाज एकेश्वरवाद का समर्थन करता था।
2. आर्य समाज ने शिक्षा के विकास में योगदान दिया।
3. रामकृष्ण मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानंद ने की।
उत्तर निम्न कूटों के आधार पर दीजिए-
(a) 1, 2 एवं 3 सही हैं।
(b) 1 एवं 2 सही हैं।
(c) 1 एवं 3 सही है।
(d) 2 एवं 3 सही हैं।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर- (a) 1, 2 एवं 3 सही हैं।
- राजा राम मोहन राय ने 20 अगस्त, 1828 को कलकत्ता में ब्रह्म समाज की स्थापना की।
- इस संगठन ने मूर्ति पूजा, देवताओं के मानव रूप होने की मान्यता और पुजारियों की शक्ति का विरोध किया।
- इसने सभी के द्वारा ईश्वर की पूजा की वकालत की।
- स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 में आर्य समाज की शुरुआत की और इसके अनुयायियों ने शिक्षा और ज्ञान की प्रगति में बहुत बड़ी भूमिका निभाई।
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74. भारत में नारी आंदोलन इनकी प्रेरणा से प्रारंभ हुआ-
(a) पद्माबाई रानाडे
(b) एनी बेसेंट
(c) सरोजिनी नायडू
(d) ज्योतिबा फुले
[48th to 52nd B.P.S.C. (Pre) 2008]
उत्तर- (d) ज्योतिबा फुले
- भारत में महिला आंदोलन की शुरुआत के पीछे मुख्य प्रभाव ज्योतिबा फुले का था।
- उनका मानना था कि सामाजिक मुद्दों को केवल महिलाओं और दलित समुदाय की मदद करके ही हल किया जा सकता है।
- 1848 में उन्होंने भारत में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला।
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75. ब्रह्म समाज, रामकृष्ण मिशन और आर्य समाज में क्या समानता थी?
(a) तीनों ही राजनैतिक उद्देश्यों के लिए नहीं बने, लेकिन तीनों ने ही देशभक्ति की भावना के विकास में सहायता दी।
(b) तीनों ही संगठनों का प्रादुभाव बंगाल में हुआ।
(c) तीनों ही संगठनों के संस्थापकों की शिक्षा इंग्लैंड में हुई।
(d) तीनों ही संगठनों के सस्थापकों ने राजनीति में सक्रिय भाग लिया।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2008]
उत्तर- (a) तीनों ही राजनैतिक उद्देश्यों के लिए नहीं बने, लेकिन तीनों ने ही देशभक्ति की भावना के विकास में सहायता दी।
- ब्रह्म समाज, रामकृष्ण और आर्य समाज सभी ने सामाजिक सुधार, शिक्षा और देशभक्ति में योगदान दिया।
- इनमें से किसी भी संगठन का कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं था, लेकिन उन्होंने अपने देश के प्रति वफादारी और प्रेम की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए काम किया।
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76. इनमें से कौन-सा कथन सही नहीं है?
(a) डॉ. एनी बेसेंट थियोसोफिस्ट थीं।
(b) थियोसोफिकल सोसाइटी का अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय मद्रास में है
(c) स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की।
(d) महात्मा गांधी का जन्म गांधीनगर में हुआ था।
[M.P. P.C.S. (Pre) 1995]
उत्तर- (d) महात्मा गांधी का जन्म गांधीनगर में हुआ था।
- महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, भारत में हुआ था।
- एनी बेसेंट 1889 में थियोसोफिकल सोसायटी की सदस्य बनीं और 1907 में कर्नल अल्कॉट की मृत्यु के बाद इसकी अध्यक्ष बनीं।
- सोसायटी की स्थापना 1882 में मैडम एचपी ब्लावात्स्की और कर्नल अल्कॉट द्वारा की गई थी और इसका अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय मद्रास के उपनगर अडयार में स्थापित किया गया था।
- स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 में बम्बई में आर्य समाज की स्थापना की।
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77. नव-बौद्धवाद के प्रतिपादक कौन हैं?
(a) राधाकृष्णन
(b) टैगोर
(c) अम्बेडकर
(d) विवेकानंद
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre), 2019]
उत्तर- (c) अम्बेडकर
- डॉ. बी.आर. अम्बेडकर द्वारा प्रारंभ दलित बौद्ध आंदोलन को ‘नव- बौद्धवाद’ (Neo-Buddhism) के नाम से भी जाना जाता है।
- इसके तहत बौद्ध धर्म की पुनर्व्याख्या करते हुए ‘नवायान’ नामक नए बौद्ध संप्रदाय की स्थापना भी की गई।
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78. ‘दार-उल-उलूम’ की स्थापना की थी-
(a) मौलाना शिब्ली नुमानी ने
(b) मौलाना हुसैन अहमद ने
(c) मौलवी अब्दुल्लाह चक्रलवी ने
(d) मौलाना अहमद रिजा खान ने
[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर- (a) मौलाना शिब्ली नुमानी ने
- दार-उल-उलूम नदवतुल उलमा, जिसे आमतौर पर दारउल-उलूम के नाम से जाना जाता है, की स्थापना 1898 में नदवतुल उलमा द्वारा लखनऊ में की गई थी।
- इससे पहले, मौलाना लुफ़तुल्लाह और मौलाना शिबली नुमानी ने 1893 में कानपुर में नदवतुल उलूम की स्थापना की थी, शिबली नुमानी उलूम में पढ़ाते थे।
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79. देवबंद आंदोलन, यू.पी. (संयुक्त प्रांत) में किस वर्ष में आरंभ हुआ था?
(a) 1900 ई.
(b) 1888 ई.
(c) 1885 ई.
(d) 1866 ई.
[U.P.P.C.S (Pre) 2016]
उत्तर- (d) 1866 ई.
- 1866 में, भारत से ब्रिटिश शासन को हटाने और इस्लामी शासन को वापस लाने के लक्ष्य के साथ, उत्तर प्रदेश के देवबंद में देवबंद आंदोलन शुरू हुआ।
- इसकी स्थापना मौलाना मुहम्मद कासिम नानोतवी, रशीद अहमद गंगोही, सैय्यद अहमद आबिद जुल्फी क़ार अली और अन्य ने की थी।
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80. ‘फरैजी आंदोलन’ की शुरुआत किसने की?
(a) हाजी शरियातुल्लाह
(b) सैयद अहमद
(c) सलीमुल्लाइ
(d) एम.ए. जिन्ना
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
[B.P.S.C. (Pre) 2018]
उत्तर- (a) हाजी शरियातुल्लाह
- हाजी शरीयतुल्ला ने ब्रिटिश शासन के जवाब में फ़राज़ी आंदोलन शुरू किया, जो मुसलमानों की अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता को सीमित कर रहा था और उनके अधिकारों को छीन रहा था।
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81. 1924 का बंगाल का ‘तारकेश्वर आंदोलन’ निम्न में से किसके विरुद्ध था?
(a) मंदिरों में भ्रष्टाचार
(b) हिंसा
(c) राजनैतिक नेताओं की गिरफ्तारी
(d) सांप्रदायिकता
[U.P. P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015]
उत्तर- (a) मंदिरों में भ्रष्टाचार
- 1924 में कलकत्ता (बंगाल) में तारकेश्वर शिव मंदिर के भ्रष्ट पुजारी (महंत) के विरोध में लोगों ने आंदोलन शुरू किया।
- लोगों ने पुजारी पर मंदिर के धन का दुरुपयोग करने और एक सरकारी कर्मचारी की पत्नी को धोखा देने का आरोप लगाया।
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82. ‘हाली पद्धति’ संबंधित थी-
(a) बंधुआ मजदूर से
(b) किसानों के शोषण से
(c) छुआछूत से
(d) अशिक्षा से
[U.P. P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (a) बंधुआ मजदूर से
- हाली प्रणाली लोगों को अमीर लोगों के लिए दास के रूप में काम करने के लिए मजबूर करने के बारे में थी।
- बारडोली में कपिलराज जनजाति को हाली प्रणाली के तहत अपने अमीर स्वामियों के लिए मजदूर बनने के लिए मजबूर किया गया था।
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83. निम्नलिखित नेताओं में किसने क्रांतिकारी संगठन, ‘अभिनव भारत समाज’ की स्थापना की?
(a) भगत सिंह
(b) विनायक दामोदर सावरकर
(c) बारींद्र कुमार घोष
(d) पुलिन बिहारी
[U.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (b) विनायक दामोदर सावरकर
- विनायक दामोदर सावरकर और उनके भाई गणेश दामोदर सावरकर ने ‘मित्र मेला’ नामक संगठन शुरू किया था, जिसे वर्ष 1904 में नासिक में वी.डी. सावरकर ने नाम परिवर्तित कर ‘अभिनव भारत समाज’ (Young India Society) नामक क्रांतिकारी संगठन के रूप में स्थापित कर दिया था।
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