‘सोशल मीडिया’ : भारत में राजनीतिक (मतों और सामाजिक अभिवृत्तियों को प्रभावित करने में सोशल मीडिया द्वारा निभाई गई सकारात्मक/नकारात्मक भूमिका

प्रश्न: भारत में सोशल मीडिया ने राजनीतिक मतों और सामाजिक अभिवृत्तियों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है। टिप्पणी कीजिए।

दृष्टिकोण

  • ‘सोशल मीडिया’ शब्द को संक्षिप्त में परिभाषित कीजिए और दिन-प्रतिदिन के जीवन में इसकी वर्तमान प्रासंगिकता को समझाईए।
  • भारत में राजनीतिक (मतों और सामाजिक अभिवृत्तियों को प्रभावित करने में सोशल मीडिया द्वारा निभाई गई सकारात्मक/नकारात्मक भूमिका को रेखांकित कीजिए।
  • आगे की राह सुझाइए।

उत्तर

सोशल मीडिया इंटरनेट-आधारित एप्लिकेशन के एक समूह को इंगित करता है जो लोगों को आभासी समुदायों और नेटवर्क में सूचनाओं, करियर रुचियों, विचारों तथा चित्र/वीडियो के सृजन, आदान-प्रदान या साझा करने की अनुमति प्रदान करते हैं। फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्स को प्रिंट, टीवी, डिजिटल और रेडियो के बाद मीडिया के पांचवें स्तंभ के रूप में स्वीकार किया जा रहा है तथा वर्तमान में इनके द्वारा अधिकांश समाचार चैनलों की तुलना में अधिक तीव्रता से समाचार प्रदान किए जा रहे हैं।

राजनीतिक मतों को प्रभावित करने में सोशल मीडिया की भूमिका:

  • पहुंच (Outreach): सोशल मीडिया राजनेताओं और राजनीतिक दलों को कम लागत पर लोगों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ने और परंपरागत मीडिया की तुलना में अधिक पहुंच की सुविधा प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, 2014 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान दिल्ली में चुनाव के लिए 13 मिलियन पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 12.15 मिलियन ऑनलाइन थे। अतः डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए सबसे सक्रिय भागीदारी के साधन बने हैं।
  • संचार (Communication): यह नेताओं को नागरिकों से परस्पर संवाद करने, फीडबैक प्राप्त करने और जन मतों का रुझान प्राप्त करने में सहायता करता है। उदाहरण, ट्विटर ने राजनीतिक संगठनों को वैश्विक स्तर पर सूचनाओं को प्रसारित करने, किसी भी जारी वाद-विवाद और चर्चाओं में शामिल होने तथा राजनीतिक प्रक्रियाओं और अभियानों के दौरान जनता के साथ पारस्परिक वार्ता करने की क्षमता प्रदान की है।
  • अभियान प्रबंधन (Campaign management): राजनीतिक अभियान उन लोगों के बारे में सूचना की अधिकता या विश्लेषण का लाभ उठाते हैं जो सोशल मीडिया पर उनका अनुसरण कर रहे होते हैं। साथ ही ये उम्मीदवार की छवि को संतुलित करने हेतु चयनित लोगों के आधार पर अपने संदेशों को कस्टमाइज़ करते हैं। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष के आम चुनावों के दौरान भारत के 543 निर्वाचन क्षेत्रों में से 160 के चुनाव परिणामों पर फेसबुक का आश्चर्यजनक प्रभाव रहा था।
  • ध्रुवीकरण (Polarisation): सोशल मीडिया भी एक नई युद्धभूमि बन गया है, जहां राजनीतिक दल स्वयं के लाभ के लिए इन प्लेटफार्मों की विस्तृत होती प्रकृति का लाभ उठाते हैं। हेट कैम्पेन के प्रसार और सांप्रदायिक घटनाओं का समर्थन करने के लिए कई समाज विरोधी तत्व सोशल मीडिया पर अपनी गतिविधियों के संचालन के माध्यम से चुनावों का ध्रुवीकरण करते हैं।

भारत में सामाजिक अभिवृत्तियों को प्रभावित करने में सोशल मीडिया की भूमिका:

  • मत का निर्माण (Opinion building): इसने लोगों के मध्य स्थानिक अंतर को समाप्त कर दिया है और विभिन्न सामाजिकआर्थिक विषयों से संबंधित सूचनाओं के प्रवाह को अधिक तीव्र एवं न्यायसंगत बनाया है। उदाहरण के लिए, ‘फेसबुक रिपोर्टर्स’ की भूमिका- बांग्लादेश में भारतीय एन्क्लेव्स में रहने वाले लोगों के अपने अधिकारों हेतु संघर्ष में।
  • सामाजिक सुधार (Social Reforms) – स्वच्छ भारत के महत्व को प्रसारित करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से सुप्रसिद्ध व्यक्तित्वों ने स्वच्छ भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक नई क्रांति प्रारंभ की है। विभिन्न ऑनलाइन सर्वेक्षणों, ऑडियो-विजुअल कैम्पेन और विचारों ने लोगों के बीच नई ऊर्जा को प्रेरित किया और उनके दृष्टिकोण को आकार प्रदान किया है।
  • मानवतावादी अभियान (Humanitarian campaigns)- ट्विटर और फेसबुक आपदा राहत प्रयासों में शामिल लोगों के लिए बहुमूल्य सिद्ध हुए हैं। इनके माध्यम से सुनामी चेतावनी के संबंध में प्रत्येक मिनट की रिपोर्ट को पोस्ट करना, परिवर्तित ट्रेन कार्यक्रम, आपातकालीन नंबर और आश्रय स्थल की सूचना इत्यादि त्वरित रूप से दी जा सकती है। इसने लोगों की अभिवृत्ति को सकारात्मक रूप से परिवर्तित किया है और उत्त लोगों के मध्य बैंडवैगन प्रभाव (सूचनाओं को प्रेषित करने वाला) उत्पन्न किया जाता है जो प्रभावित लोगों तक पहुँचना चाहते हैं।
  • सोशल मीडिया का दुरुपयोग – दूसरी ओर, अनुचित लाभों को प्राप्त करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग एक साधन के रूप में किया गया है। गलत सूचना (उत्तर पूर्व के लोगों का बेंगलुरु से वृहद पैमाने पर पलायन), मिथ्या मत निर्माण, देशों के मध्य आभासी सूचना युद्ध, नफरत और धमकाने वाले अभियान आदि के बढ़ते उदाहरण कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की संकीर्ण मानसिकता को दर्शाते हैं।

वस्तुतः सोशल मीडिया निरंतर उपयोग करने के लिए है। सोशल मीडिया की पहुंच, आवृत्ति, अंतःक्रियाशीलता, उपयोगिता, तत्कालिकता देखते हुए, दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों के लिए इसके उपयोग पर नियंत्रण रखना अनिवार्य हो जाता है और यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह उचित सूचना की न्यायसंगत पहुंच के उद्देश्य को पूरा करता है।

Read More 

 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.