सीमा प्रबंधन की अवधारणा : सीमावर्ती क्षेत्रों से संबंधित समस्याओं का समाधान करने में सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP)

प्रश्न: सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास वस्तुतः सीमा प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण घटक है। इस संदर्भ में, चर्चा कीजिए कि सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP), सीमावर्ती क्षेत्रों की समस्याओं में कैसे सुधार लाना चाहता है।

दृष्टिकोण

  • सीमा प्रबंधन की अवधारणा को समझाते हुए, सीमा प्रबंधन में सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
  • सीमावर्ती क्षेत्रों से संबंधित समस्याओं का समाधान करने में सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP) के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
  • संक्षेप में निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

भारत के सीमावर्ती क्षेत्र खराब पहुंच, अपर्याप्त अवसंरचना, अवमंदित आर्थिक विकास, अत्यधिक निर्धनता और लोगों में असुरक्षा की भावना जैसी समस्याओं से ग्रस्त हैं। सीमा क्षेत्रों के विकास की परिकल्पना सीमा प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में की गई है।

इसी परिप्रेक्ष्य में, सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP) का आरंभ वर्ष 1987 में भारत-पाकिस्तान सीमा पर ‘अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट स्थित दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की विशेष विकास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया गया। बाद में कार्यक्रम को आठवीं पंचवर्षीय योजना के तहत वर्ष 1993-94 में पूर्वोत्तर सहित भारत के सभी अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्रों को सम्मिलित करने के लिए विस्तारित किया गया। BADP के तीन प्राथमिक उद्देश्य हैं:

  1. अवसंरचना का निर्माण करना
  2. सीमावर्ती लोगों को आर्थिक अवसर प्रदान करना; तथा
  3. उनके मध्य सुरक्षा की भावना उत्पन्न करना।

वर्ष 2015 में सीमा प्रबंधन विभाग ने निम्नलिखित प्रमुख विशेषताओं के साथ संशोधित सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BDAP) के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए: 

  • BADP अब अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के 0-10 KM के भीतर सभी गांवों तक विस्तारित है। 
  • बॉर्डर गार्डिंग फोर्सेज द्वारा चिन्हित किये गए गांवों को प्राथमिकता मिलेगी।
  • स्वच्छता अभियान, कौशल विकास कार्यक्रम, ग्रामीण/सीमावर्ती पर्यटन, वैज्ञानिक कृषि जैसी योजनाएं BDAP में सम्मिलित हैं।
  • कुछ सीमावर्ती गांवों को आदर्श गांव के रूप में विकसित किया जाएगा।
  • साथ ही तीसरे पक्ष द्वारा निरीक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण तंत्र के प्रावधान किए गए हैं।

वर्ष 2016-17 से इसे एक मुख्य केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) के रूप में वर्गीकृत किया गया और अब यह राष्ट्रीय विकास एजेंडे का भाग है।

  • वर्तमान में इस योजना को सभी 17 सीमावर्ती राज्यों में सीमा प्रबंधन विभाग, गृह मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य केंद्रीय/राज्य/BADP/स्थानीय योजनाओं के समेकन और एक सहभागी दृष्टिकोण के माध्यम से आवश्यक अवसंरचना के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास करना है।
  • इसके कार्यान्वयन में सीमावर्ती क्षेत्रों में समुदाय आधारित अवसंरचना जैसे- वानिकी, चारागाह भूमि, मत्स्य तालाब, फ्लोरीकल्चर पार्क, सामुदायिक केंद्र, मोबाइल डिस्पेंसरीज, लघु विपणन यार्ड आदि का विकास शामिल है।

नीति आयोग द्वारा मूल्यांकन अध्ययन के अनुसार, सीमावर्ती क्षेत्रों में समस्याओं का समाधान करने में पश्चिमी राज्यों में BADP अपेक्षाकृत अधिक सफल रहा है। हालांकि, इसका उत्तर-पूर्वी राज्यों में सीमित प्रभाव पड़ा, जहां मुख्य रूप से भ्रष्टाचार,  राजनीतिक हस्तक्षेप, अत्यल्प वित्त, दोषपूर्ण योजनाओं और निर्णय निर्माण प्रक्रिया में स्थानीय भागीदारी की अनुपस्थिति के कारण अपर्याप्त और असममित अवसंरचना का विकास हुआ। इसलिए योजना को अधिक प्रभावी बनाने के लिए उपर्युक्त मुद्दों का प्राथमिकता के साथ समाधान किए जाने की आवश्यकता है।

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