शासकीय गुप्त बात अधिनियम : सूचना के अधिकार

प्रश्न: शासकीय गुप्त बात अधिनियम की निरंतरता के पीछे निहित औचित्य पर प्रकाश डालते हुए, समालोचनात्मक चर्चा कीजिए कि क्या सूचना के अधिकार को इस पर वरीयता दी जानी चाहिए।

दृष्टिकोण

  • उत्तर के आरम्भ में शासकीय गुप्त बात अधिनियम (OSA) के विकास को संक्षिप्त रूप से स्पष्ट कीजिए। 
  • शासकीय गुप्त बात अधिनियम की निरंतरता के पीछे निहित औचित्य पर प्रकाश डालिए।
  • मूल्यांकन कीजिए कि क्या सूचना के अधिकार को OSA पर वरीयता दी जानी चाहिए।
  • आगे की राह सुझाते हुए निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

लॉर्ड कर्जन के समय में, भारतीय शासकीय गुप्त बात अधिनियम (1904) को मुख्यतः प्रेस की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने के लिए अधिनियमित किया गया था। सभी गुप्त और गोपनीय मामलों को प्रशासित करने के साथ-साथ राष्ट्रवादी प्रकाशनों की स्वतंत्रता का दमन करने के उद्देश्य से इस अधिनियम को शासकीय गुप्त बात अधिनियम, 1923 के द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया था।

शासकीय गुप्त बात अधिनियम (OSA) की निरंतरता के पीछे औचित्य:

  • संभावित खतरों से निपटने हेतु: यह कानून (अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत) जासूसी, राष्ट्रद्रोह और राष्ट्र की अखंडता के लिए अन्य संभावित खतरों से निपटने हेतु रूपरेखा प्रदान करता है।
  • अधिनियम की धारा 5 सरकार की अन्य गोपनीय सूचनाओं के प्रकटीकरण से संबंधित है।
  • निवारक प्रभाव उत्पन्न करने हेतु: इस कानून के अंतर्गत जासूसी गतिविधियों, ‘गुप्त’ सूचनाओं को साझा करना, सूचना को रोके रखना, निषिद्ध/प्रतिबंधित क्षेत्रों में सशस्त्र बलों के कार्यों में हस्तक्षेप करना इत्यादि को दंडनीय अपराधों के रूप में घोषित किया गया है।

हालाँकि, पारदर्शिता के इस युग में सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 तथा OSA के मध्य संघर्ष की स्थिति बनी रहती है, क्योंकि OSA गोपनीयता एवं अपारदर्शिता को बढ़ावा देता है।

शासकीय गुप्त बात अधिनियम पर सूचना के अधिकार को वरीयता देने के पक्ष में तर्क:

  • औपनिवेशिक प्रभाव: शासकीय गुप्त बात अधिनियम, औपनिवेशिक काल के दौरान निर्मित एक कानून है, जिसका उपयोग अधिकारी सूचना को प्रकट करने से मना करने हेतु प्रायः ही किया करते हैं। आधुनिक समय में, जहाँ सूचना अत्यधिक प्रभावशाली होती जा रही है, यह सरकार को वृहत विवेकाधीन शक्ति प्रदान करता है जिसका सुगमता से दुरुपयोग किया जा सकता है।
  • RTI अधिनियम की धारा 22: इसके अंतर्गत, यह प्रावधान किया गया है कि OSA के साथ किसी भी प्रकार की असंगति के मामले में RTI प्रभावी होगा। इसके पीछे का तर्काधार OSA के प्रावधानों के साथ किसी भी प्रकार की असंगति की स्थिति में पारदर्शिता को गोपनीयता पर अधिभावी प्रभाव प्रदान करना है।
  • संवैधानिक मानदंडों के विरुद्ध: सूचना का उपयोग एवं प्रचार करने की संवैधानिक स्वतंत्रता शासकीय गुप्त बात अधिनियम, 1923 के प्रावधानों से विरोधाभास रखती है।
  • सरकारी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और खुलापन: प्राय: OSA की इस बात के लिए आलोचना की जाती है कि इसका उपयोग सरकार द्वारा सरकार के अनुचित कार्यों के प्रकटीकरण को रोकने लिए किया जाता है। द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (2nd ARC) की रिपोर्ट द्वारा गोपनीयता की संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु OSA की आलोचना की गई है।

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए RTI पर OSA को वरीयता देने के पक्ष में तर्क:

  • राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण: RTI अधिनियम की धाराएं 8 और 9 भी राष्ट्रीय सुरक्षा एवं अखंडता तथा कानून और व्यवस्था हेतु संवेदनशील कुछ विशिष्ट प्रकार की सूचनाओं को संरक्षण प्रदान करती हैं। अतः शासकीय गुप्त बात अधिनियम के माध्यम से शत्रु राज्यों एवं गैर-राज्य अभिकर्ताओं की सहायता करने वाली किसी भी गतिविधि पर प्रतिबंध आरोपित किया जाना चाहिए।
  • विघटनकारी प्रवृत्ति को रोकना: भारतीय समाज का स्वरूप समरूप नहीं है और अनेक बार सूचनाओं को समाज में सामाजिक व्यवस्था, शांति एवं सद्भाव को बनाए रखने हेतु प्रतिबंधित करना आवश्यक हो जाता है, क्योंकि एक छोटी-सी महत्वपूर्ण सूचना विभिन्न मोर्चों पर समाज को विभाजित कर सकती है।
  • नवीन उभरते खतरों से निपटना: शासकीय गुप्त बात अधिनियम गुप्त बात और गोपनीयता के साथ-साथ बढ़ते साइबर अपराध खतरों से सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक है।

आगे की राह

OSA में संशोधन करने तथा इसे अधिक पारदर्शी और RTI अधिनियम के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है। RTI अधिनियम की विवादास्पद संकीर्ण धाराओं के तहत सूचना के उद्घाटन को रोकने हेतु सुदृढ़ एवं ठोस औचित्य होना चाहिए। वैकल्पिक रूप से, द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (2nd ARC) रिपोर्ट की अनुशंसा के अनुसार, OSA को निरस्त किया जा सकता है और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत एक अध्याय (जिसमें आधिकारिक गुप्त बात संबंधी प्रावधान सम्मिलित हो) को जोड़कर इसे प्रतिस्थापित किया जा सकता है।

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