शासन में ईमानदारी और इसे सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य आवश्यकताओं की व्याख्या
प्रश्न: शासन में ईमानदारी (प्रोबिटी) से आप क्या समझते हैं? परीक्षण कीजिए कि क्या हाल ही में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में किए गए संशोधन और व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन इसे कमजोर करते हैं।
दृष्टिकोण
- शासन में ईमानदारी और इसे सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य आवश्यकताओं की व्याख्या कीजिए।
- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में हालिया संशोधन और व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों का परीक्षण कीजिए और यह बताइए कि ये संशोधन किस सीमा तक शासन में ईमानदारी को प्रभावित करते हैं।
- निष्कर्ष और आगे की राह।
उत्तर
सामान्यतः ईमानदारी (Probity) को भ्रष्ट न होना अर्थात सच्चा और ईमानदार होने के रूप में देखा जाता है। किन्तु ईमानदारी का अर्थ इससे कहीं अधिक व्यापक है क्योंकि यह व्यक्तिगत और सामाजिक मूल्यों जैसे अमूर्त गुणों द्वारा निर्धारित की जाती है। शब्दकोष के अनुसार ईमानदारी सत्यनिष्ठा, विश्वास, चरित्र, न्याय, सत्यता, निष्कपटता और न्याय-निष्ठा जैसे मूल्यों को संदर्भित करती है।
एक कुशल और प्रभावी शासन प्रणाली एवं सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए शासन में ईमानदारी एक अनिवार्य और महत्वपूर्ण आवश्यकता है। भ्रष्टाचार की अनुपस्थिति के अतिरिक्त, ईमानदारी के लिए अन्य आवश्यकताएं सार्वजनिक कानून के प्रत्येक पहलू को नियंत्रित करने वाले प्रभावी कानून, नियम और विनियम तथा उन कानूनों का अपेक्षाकृत अधिक महत्वपूर्ण, प्रभावी और निष्पक्ष कार्यान्वयन इत्यादि हैं। सार्वजनिक जीवन और सेवा में ईमानदारी को विकसित करने के लिए सार्वजनिक प्रोत्साहन और पुरस्कार अनिवार्य है।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में संशोधन और ईमानदारी पर इसके प्रभाव
- जांच के लिए पूर्व स्वीकृति: यह जांच करने के लिए प्रासंगिक सरकार अथवा सक्षम प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति को अनिवार्य बनाता है। इसमें रक्षोपायों को भी जोड़ा गया है जैसे- रिश्वत लेने के आरोप में व्यक्ति की घटनास्थल से गिरफ्तारी वाले मामलों में पूर्व स्वीकृति आवश्यक नहीं होगी।
- आपराधिक दुर्व्यवहार को पुनः परिभाषित किया गया है: अब सार्वजनिक कर्मचारी द्वारा किए गए प्रामाणिक कृत्यों (bona fide acts) के लिए उस पर कार्यवाही नहीं की जाएगी और केवल उन भ्रष्ट एवं बेईमान कृत्यों के संबंध में उस पर कार्यवाही की जा सकती है जिनके माध्यम से वह स्वयं के लिए लाभ अर्जित करता है।
- रिश्वत देने को प्रत्यक्ष अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसमें यह रक्षोपाय भी शामिल किया गया है कि बाध्यतापूर्वक रिश्वत के मामलों में किसी व्यक्ति को इस अपराध का आरोपी नहीं बनाया जाएगा यदि वह कानून प्रवर्तन प्राधिकरण को सात दिनों के भीतर मामले की सूचना दे देता है। पूर्व में रिश्वत देने वाले को इस कानून में उन्मुक्ति मिली हुई थी, जिससे भ्रष्टाचार में निरंतर वृद्धि हुई है। यह भ्रष्टाचार की आपूर्ति पक्ष को संबोधित करता है।
- समयबद्ध कार्यवाही: विशेष न्यायाधीश द्वारा इन मामलों की सुनवाई के लिए दो वर्ष की समय-सीमा निर्धारित की गयी है। इससे शासन में ईमानदारी में वृद्धि होगी।
व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम (WPA) में प्रस्तावित संशोधन
- यह WPA के अंतर्गत किए गए प्रकटीकरण के लिए आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (OSA) के तहत व्हिसल ब्लोअर को प्रदत्त अभियोजन से प्रतिरक्षा को समाप्त करता है। आलोचकों का तर्क है कि कठोर दंड का प्रावधान वास्तविक व्हिसल ब्लोअर को भी सामने आने से रोकेगा।
- यह WPA को RTI अधिनियम के अनुरूप बनाता है- यह प्रस्तावित करता है कि ऐसी शिकायतों की जांच नहीं की जाएगी जिसमें सूचनाएं संप्रभुता, अखंडता इत्यादि को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती हों। इसके अतिरिक्त, जानकारी की कुछ श्रेणियां किसी व्हिसल ब्लोअर द्वारा किए गए प्रकटीकरण में शामिल नहीं की जा सकती हैं, जब तक कि उन्हें RTI अधिनियम के तहत प्राप्त न किया गया हो। चिंताएं उठाई गई हैं कि इस तरह के प्रावधान कई परिदृश्यों में वास्तविक व्हिसल ब्लोइंग को रोक सकते हैं।
ईमानदारी एक सामाजिक अपेक्षा है जिसकी मांग नागरिक निर्णय निर्माताओं और उन सभी से करते हैं जो राज्य तंत्र के भाग के रूप में कार्य करते हैं। पुराने भ्रष्टाचार अधिनियम में संशोधन ईमानदार सिविल सेवकों की सुरक्षा का प्रावधान करके ईमानदारी को सुदृढ़ बनाता है (इससे पहले यह सुरक्षा केवल संयुक्त सचिवों और उससे ऊपर के अधिकारियों के लिए उपलब्ध थी) तथा प्रवर्तन के लिए अतिउत्साह और भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता के मध्य संतुलन स्थापित करने का प्रयास करता है। हालांकि, व्हिसल ब्लोअर अधिनियम में संशोधन के संबंध में व्यक्त की गई चिंताओं को नकारा नहीं जाना चाहिए तथा पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए ताकि संशोधन मूल कानून को कमजोर न कर सके।
Read More