सौर कलंक चक्र की अवधारणा : पृथ्वी पर पड़ने वाले सोलर मिनिमम के प्रभाव

प्रश्न: सौर कलंक चक्र की अवधारणा की व्याख्या कीजिए। आसन्न सोलर मिनिमम के परिप्रेक्ष्य में, सूर्य की सतह पर उत्पन्न होने वाले परिवर्तनों और इसके द्वारा पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों पर प्रकाश डालिए।

दृष्टिकोण

  • सोलर मिनिमम के विशेष संदर्भ के साथ सौर कलंक चक्र की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
  • सोलर मिनिमम के दौरान सूर्य की सतह पर इसके द्वारा लाए जाने वाले परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  • पृथ्वी पर पड़ने वाले सोलर मिनिमम के प्रभावों पर चर्चा कीजिए।

उत्तर

सौर कलंक चक्र,सौर चुंबकीय गतिविधि चक्र है, जिसका औसत समयांतराल ग्यारह वर्ष का होता है। यह सूर्य की गतिविधियों (सौर विकिरण के स्तर और सौर सामग्री के निष्कासन में परिवर्तन सहित) और स्वरूप (सौर कलंकों की संख्या और आकार, लपटों (flares) और अन्य दृश्यमान परिघटनाओं में बदलाव) में परिवर्तन को संदर्भित करता है। सौर कलंक वे क्षेत्र हैं जहाँ सौर चुंबकीय क्षेत्र अत्यंत प्रबल होता है।

सूर्य की “सतह” पर दिखने वाले सौर कलंकों की संख्या वर्ष-प्रति-वर्ष परिवर्तित होती रहती है। सौर कलंकों की संख्या में यह उतार-चढ़ाव चक्रीय रूप से होता है जिसे “सौर कलंक चक्र” कहा जाता है।

सोलर मिनिमम, ग्यारह वर्षीय सौर चक्र में न्यूनतम सौर गतिविधि की अवधि होती है। इस समय के दौरान, सौर कलंक व सौर लपटों की गतिविधि कम हो जाती है। NASA और अन्य एजेंसियों के अनुसार, 2019-20 में एक सोलर मिनिमम घटित होने वाला है।

सोलर मिनिमम के कारण सूर्य की सतह पर परिवर्तन:

  • सौर कलंक और सौर लपट जैसी तीव्र गतिविधियाँ सोलर मिनिमम के दौरान कम हो जाती हैं।
  • सूर्य मंद नहीं होता है, बल्कि केवल सौर गतिविधि का रूप बदलता है।
  • सोलर मिनिमम के दौरान, कोरोना के छिद्र (coronal holes) अधिक समय तक बने रह सकते हैं।
  • ये छिद्र सूर्य के वायुमंडल में वे विशाल क्षेत्र होते हैं, जहाँ सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र खुलता है और यहाँ से सौर कणों की धाराएँ, तीव्र सौर पवनों के रूप में पलायन कर पाती हैं।

पृथ्वी पर सोलर मिनिमम का प्रभाव:

  • यह अंतरिक्ष सम्बन्धी मौसमी घटनाओं का प्रभाव बढ़ा सकता है, जिसमें भू-चुंबकीय तूफान और ध्रुवीय ज्योति (auroras) शामिल होते हैं। ये संभावित रूप से संचार और नौवहन प्रणालियों को अस्त-व्यस्त कर सकते हैं।
  • सोलर मिनिमम के दौरान, ऊपरी वायुमंडल ठंडा हो जाता है, जिससे पृथ्वी की निचली कक्षा में घर्षणात्मक खिंचाव कम हो जाता है। खिंचाव के अभाव में, अंतरिक्ष मलबे की लंबे समय तक बने रहने या पृथ्वी पर वापस गिरने की सम्भावना होती है।
  • सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर पड़ जाता है और कॉस्मिक किरणों से बचाव करने में कम प्रभावशाली रह जाता है। इससे अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरा बढ़ सकता है।

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