दक्षिण अमेरिकियों का मुनरो सिद्धांत

प्रश्न: भले ही दक्षिण अमेरिकियों ने मुनरो सिद्धांत के निरूपण का स्वागत किया, किंतु इसकी पश्चातवर्ती व्याख्या संयुक्त राज्य के हस्तक्षेप के लिए बहाना बन गई। उदाहरणों के साथ सविस्तार वर्णन कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • मुनरो सिद्धांत एवं इसके पूर्वस्थिति के बारे में संक्षिप्त में लिखिए।
  • मुनरो सिद्धांत के प्रति दक्षिण अमेरिकी देशों की प्रतिक्रिया की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
  • मुनरो सिद्धांत की उन विभिन्न व्याख्याओं की चर्चा कीजिए जिनका प्रयोग आगे चलकर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा हस्तक्षेप के बहाने के रूप में किया गया।

उत्तरः

मुनरो सिद्धांत (1823) पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जेम्स मुनरो द्वारा प्रदत्त एक विदेश नीति वक्तव्य था। यह सिद्धांत एक ऐसे समय में अमेरिकी विदेश नीति की सुरक्षा ढाल बना जब अनेक यूरोपीय देश लैटिन अमेरिका में नेपोलियन की हार के बाद अपने उपनिवेशों को पुन: प्राप्त करने की चेष्टा कर रहे थे। मूल सिद्धांत के अनुसार: 

  • पश्चिमी गोलार्द्ध अब बाह्य शक्तियों के प्रभाव एवं औपनिवेशीकरण हेतु एक खुला क्षेत्र नहीं है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका (US), यूरोपीय देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा। साथ ही, यूरोपीय शक्तियों को भी पश्चिमी गोलार्द्ध के देशों के मामलों में हस्तक्षेप से दूर रहना चाहिए।
  • US, औपनिवेशीकरण के किसी भी प्रयास को US के विरूद्ध एक शत्रुतापूर्ण कार्यवाही मानते हुए यूरोपीय आक्रामकता से लैटिन अमेरिकी देशों की स्वतंत्रता की रक्षा करेगा।

अधिकाँश लैटिन अमेरिकी देशों ने मुनरो सिद्धांत का स्वागत किया, क्योंकि उन्हें लगा कि यह सिद्धांत उन्हें विदेशी हस्तक्षेप के विरुद्ध उनकी स्वतन्त्रता की गारंटी देगा। उदाहरण के लिए, वेनेजुएला ने अमेरिका एवं ब्रिटेन द्वारा संरक्षित राज्य बनने की बात कही तथा स्पेन के दावों को ख़ारिज कर दिया। ब्राजील ने अमेरिका के साथ एक गठबंधन बनाने का प्रस्ताव किया तथा अन्य लैटिन अमेरिकी गणतंत्रों को भी इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। साथ ही, चिली ने नए राज्यों की स्वतन्त्रता का समर्थन करने एवं औपनिवेशीकरण से उनकी रक्षा के लिए आभार व्यक्त किया।

हालांकि कुछ लैटिन अमेरिकी देशों को आशंका थी कि US इस सिद्धांत का प्रयोग उनके सम्प्रभु अधिकारों में हस्तक्षेप के लिए कर सकता है। 1902 एवं 1903 के वेनेजुएला संकट के पश्चात 1904 में रूजवेल्ट द्वारा मुनरो सिद्धांत में “रूजवेल्ट कोरोलरी” अथवा “बिग स्टिक” जोड़ने पर उनकी यह आशंका सही सिद्ध हो गई। इसका उद्देश्य लैटिन अमेरिकी देशों द्वारा बैंकिंग संस्थानों को ऋण चुकाने से मना किए जाने की दशा में तथा यूरोपीय शक्तियों को इस महाद्वीप से बाहर रहने के बदले में उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किये जाने को वैध ठहराना था।

स्पष्ट तौर पर, यह US के व्यापारिक हितों को घरेलू राष्ट्रवाद अथवा बाहरी व्यापारिक हितधारकों से चुनौती मिलने की दशा में लैटिन अमेरिकी देशों पर हमला करने एवं उन पर कब्ज़ा जमाने का खुला निमंत्रण था। उदाहरण के लिए, राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी ने 1962 में क्यूबा मिसाइल संकट के दौरान अमेरिकी हितों की रक्षा हेतु इस सिद्धांत का प्रयोग किया।

इस प्रकार, जो सिद्धांत 1823 में यूरोपीय शक्तियों के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने के प्रयास के रूप में आरंभ हुआ था, वह आगे चलकर विभिन्न देशों में अमेरिकी स्वेच्छाचारिता एवं हस्तक्षेपवाद का आधार बन गया।

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