जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक प्रयास : भारत के लिए जलवायु परिवर्तन के प्रयासों की प्रासंगिकता

प्रश्न: लगभग 10 वर्ष पुराने और उत्कृष्ट लक्ष्यों के साथ सूत्रबद्ध, NAPCC ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करने संबंधी सर्वोत्तम अनुक्रिया के रूप में कार्य नहीं किया है। आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों की पृष्ठभूमि में जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना (NAPCC) के उद्भव को वर्णित कीजिए।
  • संक्षेप में, आठ उप-मिशनों का परिचय दीजिए। योजनाओं और आंकड़ों का उपयोग करके,राष्ट्रीय सौर मिशन, संवर्द्धित ऊर्जा दक्षता के लिए राष्ट्रीय मिशन (NMEEE) आदि जैसे उत्कृष्ट लक्ष्यों पर चर्चा कीजिए।
  • अन्य मिशनों और उनके विजन एवं कार्यान्वयन में कमियों के संदर्भ में धीमी प्रगति पर टिप्पणी कीजिए।
  • भारत के लिए जलवायु परिवर्तन के प्रयासों की प्रासंगिकता के साथ निष्कर्ष दीजिए।
  • अंतर-क्षेत्रीय समन्वय और 4 नए मिशनों – पवन, अपशिष्ट से ऊर्जा, स्वास्थ्य और तटीय मिशन के लिए योजना सहित इन मिशनों के लिए कुछ सुधारात्मक कदमों को सूचीबद्ध कीजिए।

उत्तर

जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) की चौथी आकलन रिपोर्ट, 2007 की पृष्ठभूमि में और जलवायु परिवर्तन के खतरे के विरुद्ध आर्थिक विकास की रक्षा के लिए, जलवायु परिवर्तन पर प्रधानमंत्री की परिषद ने NAPCC (2008) को लागू किया, जिसने राज्य कार्य योजनाओं (State Action Plans) को भी अनिवार्य बनाया। ये मिशन SDG (लक्ष्य 7, 11, 12, 13), आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क और पेरिस समझौते पर भारत की प्रतिबद्धताओं के अनुरूप हैं।

मिशन उद्देश्य
राष्ट्रीय सौर मिशन 2022 तक 100 GW
राष्ट्रीय जल मिशन 5 mn हेक्टेयर वनों में सुधार और वनरोपण (प्रत्येक)
राष्ट्रीय हरित भारत मिशन जल उपयोग की दक्षता को 20% तक बढ़ाना, बेसिन प्रबंधन
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन लवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलित, जोखिम प्रबंधन और अनुसंधान
राष्ट्रीय सतत पर्यावास मिशन नगरीय परिवहन और भवनों हेतु ऊर्जा दक्षता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
राष्ट्रीय हिमालय पारितंत्र परिरक्षण मिशन जलवायु परिवर्तन के लिए अनुसंधान और अनुकूलन
राष्ट्रीय संवर्द्धित ऊर्जा दक्षता मिशन 2022 तक 10,000 MW ऊर्जा बचत
राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन रणनीतिक ज्ञान मिशन जोखिम मूल्यांकन, अनुसंधान और डेटा प्रबंधन 

प्रमुख सफलताएं: 

  • इसके द्वारा सरकार के नीतिगत एजेंडा की मुख्यधारा में शमन और अनुकूलन उपायों के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है।
  • नवोन्मेषी बाजार-आधारित तंत्र और नीतियों की शुरुआत- PAT(परफॉर्म, अचीव एंड ट्रेड) योजना, सोलर रूफटॉप इन्वेस्टमेंट कार्यक्रम, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना और स्ट्रीट लाइटिंग कार्यक्रम।
  • जल संसाधन सूचना प्रणाली (WRIS) जैसे सार्वजनिक डोमेन में डेटाबेस की स्थापना।
  • राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर संस्थानों और भागीदारी का विकास – उदाहरण के लिए, भारत के नेतृत्व वाला अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन।
  • मिशन विशिष्ट सफलताएं –
  •  राष्ट्रीय सौर मिशन – सौर टैरिफ ने ग्रिड समता प्राप्त की है। पहल – अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाएं, ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर
  • राष्ट्रीय सतत पर्यावास मिशन – सतत नगरीकरण को बढ़ावा देने के लिए ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता, AMRUT, स्मार्ट शहरों आदि जैसे कार्यक्रमों को अपनाना।

आलोचना

हालांकि NAPCC एक दशक से अस्तित्व में रहा, फिर भी अधिकांश मिशन अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में असफल रहे हैं।

  • संरचनात्मक कमियां- NAPCC स्वतंत्र योजनाओं का समुच्चय है, जिसमें एक एकीकृत विजन की कमी है। मिशन के उद्देश्यों से संबंधित AMRUT जैसी विभिन्न सरकारी योजनाएं चल रही हैं, परन्तु इनमें आपस में समन्वय का प्रयास नहीं किया जाता है।
  • कुछ मिशन अत्यधिक व्यापक हैं, जिनकी कार्य-अवधि लंबी है (जैसे ग्रीन इंडिया मिशन) और मापन योग्य लक्ष्यों का अभाव है, जो उनकी प्रगति में अवरोध उत्पन्न करती है।
  • निम्नस्तरीय R&D, कुशल जनशक्ति और विशेषज्ञता की कमी ने NMSKCC, NMSA, NMSHE जैसे मिशनों की प्रगति को मंद किया है।
  • कुशल कार्यात्मक विकेन्द्रीकरण का अभाव राज्य / स्थानीय स्तर पर निम्नस्तरीय क्षमता निर्माण से संबंधित है। बाजार आधारित निवेश की कमी के कारण यह सीमित बजटीय संसाधनों पर पूर्णतया निर्भर है।
  • मिशन की क्रॉस कटिंग प्रकृति के कारण कुछ मिशनों के लिए निगरानी प्रणाली या तो अप्रभावी या अनुपस्थित है। जलवायु परिवर्तन पर प्रधानमंत्री की परिषद की प्रगति की सूचना दी जानी चाहिए, लेकिन परिषद के पुनर्गठन के पश्चात, इसकी केवल एक बार बैठक हुई है।
  • न्य बाधाएं – परियोजना की स्वीकृति में विलंब, विवादित नीतिगत मुद्दों (जैसे विद्युत खरीद समझौतों पर पुनर्वार्ता (renegotiation) में विलम्ब)।

अधिकांश मिशनों में धीमी प्रगति देखी गई है। हालांकि, पवन, अपशिष्ट से ऊर्जा, स्वास्थ्य और तटीय मिशन – 4 नए क्षेत्रविशिष्ट मिशन योजनाएं हैं। आलोचनाएं जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए NAPCC 2.0 और स्वदेशी एवं वैश्विक क्षमताओं का उपयोग करने का अवसर प्रदान करती हैं।

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