सत्यनिष्ठा समझौतों (इंट्रीग्रिटी पैक्ट्स) की आवधारणा : सत्यनिष्ठा समझौतों (IP) के क्रियान्वयन हेतु संस्थागत तंत्र की आवश्यकता

प्रश्न: सत्यनिष्ठा समझौतों (इंटीग्रिटी पैक्ट्स) से आप क्या समझते हैं? भारत में सार्वजनिक अनुबंधों के आवंटन में पारदर्शिता लाने और सार्वजनिक निधि के समुचित उपयोग को सुनिश्चित करने में इसके द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिका पर प्रकाश डालिए।

दृष्टिकोण

  • सत्यनिष्ठा समझौतों (इंट्रीग्रिटी पैक्ट्स) की आवधारणा की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  • वर्णन कीजिए कि ये किस प्रकार भारत में सार्वजनिक अनुबंध प्रक्रिया और सार्वजनिक धन के समुचित उपयोग में पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकती हैं।
  • सत्यनिष्ठा समझौतों (IP) के क्रियान्वयन हेतु संस्थागत तंत्र की आवश्यकता को स्पष्ट करते हुए उत्तर समाप्त कीजिए।

उत्तर:

सत्यनिष्ठा समझौते (IP) वस्तुत: अनुबंध प्रस्तुत करने वाली सरकारी एजेंसी और इसके लिए बोली लगाने वाली कंपनियों के मध्य किया जाने वाला एक समझौता है जिसके अंतर्गत यह उपबंधित किया जाता है कि ये कंपनियां अनुबंध में आवंटित कार्य के निष्पादन में रिश्वत, मिलीभगत, जबरन वसूली और अन्य भ्रष्ट प्रथाओं से विरत रहेंगी। उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए, सत्यनिष्ठा समझौते में निगरानी प्रणाली भी सम्मिलित है, जिसका नेतृत्व सामान्य रूप से नागरिक समाज संगठनों द्वारा किया जाता है।

सत्यनिष्ठा समझौते अपनी निम्नलिखित विशेषताओं के कारण सार्वजनिक निधि के आवंटन में पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकते है।

  • अनुबंध संबंधी दायित्व: 
  • अनुबंध प्राधिकारी द्वारा वचन दिया जाता है कि उसके अधिकारी किसी भी प्रकार की रिश्वत, उपहार या भुगतान की मांग या उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे तथा उल्लंघन के मामले में उचित अनुशासनात्मक, सिविल या दांडिक प्रतिबंध बनाए रखेंगे।
  • प्रत्येक बोलीदाता द्वारा यह वक्तव्य जारी किया जाएगा कि उसने अनुबंध प्राप्त करने या अनुबंध को जारी रखने के लिए किसी प्रकार की रिश्वत का भुगतान नहीं किया है और न ही भविष्य में करेगा।
  • प्रत्येक बोलीदाता द्वारा मांग किए जाने पर अनुबंध के संबंध में किसी भी व्यक्ति को किये गए सभी प्रकार के भुगतानों को प्रकट किया जायेगा।
  • बोलीदाताओं द्वारा कम्पनी की एक आचार संहिता का निर्माण करना और संपूर्ण कम्पनी में उसके अनुपालन के लिए अनुपालन कार्यक्रम की व्यवस्था करना अनिवार्य है।
  • यह भ्रष्टाचार से लड़ने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने और वर्तमान भ्रष्टाचार विरोधी उपायों को सुदृढ़ करने के साथ-साथ यह सबल संदेश संप्रेषित करता है कि सरकरी खरीद प्रक्रियाएं निष्पक्ष एवं पारदर्शी होगी।
  • यह पारदर्शिता को बढ़ावा देने वाले संस्थागत परिवर्तनों को प्रोत्साहित करता है, जैसे ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम का अधिकाधिक उपयोग, प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना और नियामक कार्रवाई में सुधार करना।

ये समझौते भारत जैसे देश के लिए अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि भारत में सार्वजनिक खरीद में विलम्ब और घोटालों का एक विस्तृत इतिहास रहा है और इस सम्बन्ध में वर्तमान भ्रष्टाचार विरोधी नियमों को सीमित सफलता प्राप्त हुई है।

इस स्थिति के परिप्रेक्ष्य में, सत्यनिष्ठा समझौते सरकारी निधि के समुचित उपयोग को सुनिश्चित करके महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं जैसे:

  • यह निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और नवान्मेष को प्रोत्साहित करते हुए सरकारी खरीद प्रक्रियाओं में सभी को समान अवसर प्रदान करता है।
  • सहज सुचारु खरीद प्रक्रिया को सुनिश्चित करता है जिससे परियोजनाओं का आरम्भ और समापन निर्धारित समय-सीमा में होने की संभावना में वृद्धि होती है।
  • सरकारी कार्य ऐसे बोलीदाताओं को दिए जाने की संभावना बढ़ जाएगी जो न्यूनतम लागत में सर्वोत्तम गुणवत्ता युक्त कार्य करने का प्रस्ताव देते हों।
  • यह नागरिक समाज को सरकारी खरीद प्रक्रियाओं में सत्यनिष्ठा का समावेश करने संबंधी अपने योगदान में स्वतंत्र बाह्य विशेषज्ञ निगरानीकर्ता के रूप में अधिक सशक्त बनाता है।

यह किसी अनुबंध प्राधिकरण की कार्यप्रणाली में ऐसी प्रणालीगत विसंगतियों को इंगित करता है, जिनका निराकरण किए जाने पर भविष्य की खरीद प्रक्रियाओं में उल्लेखनीय सुधार हो सकता है।

सत्यनिष्ठा समझौतों को भारत में सभी सरकारी अनुबंधों में अनिवार्य रूप से एकीकृत किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, इसके अधिदेश को ऐसे संस्थागत तंत्र द्वारा समर्थित किए जाने की आवश्यकता है जिसमें सरकार, निजी क्षेत्रक और नागरिक समाज के मध्य पर्याप्त संसाधन, क्षमता, नेतृत्व, प्रतिबद्धता और विश्वसनीयता सहित बहु-हितधारक प्रयासों का समावेश किया गया हो।

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