आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का एक संक्षिप्त विवरण : भारत द्वारा अनुभव की जाने वाली चुनौतियों का उल्लेख

प्रश्न: आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) का तीव्र प्रसार, भारत के लिए विशिष्ट अवसर और चुनौतियाँ उत्पन्न करता है। चर्चा कीजिए। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए क्या किया जा सकता है?

दृष्टिकोण

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का एक संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  • AI के संबंध में भारत के लिए उपलब्ध अवसरों को स्पष्ट कीजिए।
  • AI के क्षेत्र में भारत द्वारा अनुभव की जाने वाली चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
  • चुनौतियों का समाधान करने के लिए उपाय सुझाइए।
  • इन चुनौतियों में से कुछ का समाधान करने हेतु की गई हालिया पहलों को वर्णित करते हुए निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) शब्द का उपयोग मशीनों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सन्दर्भ में किया जाता है। इनकी प्रोग्रामिंग इस प्रकार की जाती है कि ये दृश्य बोध, भाषा पहचानने, निर्णय-निर्माण और भाषाओं के अनुवाद करने जैसी विशिष्ट विशेषताओं को प्राप्त करने हेतु मानव का तर्कसंगत अनुकरण कर सकें। AI के विविध अनुप्रयोगों के कारण यह प्रौद्योगिकी के तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है और भारत के लिए विशिष्ट अवसर प्रदान करती है। यथा:

  • एसेंचर द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि AI के द्वारा कार्य की प्रकृति को परिवर्तित करके 2035 तक, भारतीय अर्थव्यवस्था में $ 957 बिलियन डॉलर का संवर्धन और भारत की आय में 15% की वृद्धि की जा सकती है।
  • AI को अपनाने से स्वास्थ्य देखभाल अधिक विश्वसनीय, वहनीय और सुलभ हो सकती है, जिससे सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल का लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी और चिकित्सा पर्यटन में भारत की क्षमताओं में सुधार होगा।
  • यह बेहतर रूप से लक्षित प्रस्ताव , मांग-आपूर्ति विसंगति में कमी आदि के माध्यम से व्यवसायों की आय में वृद्धि करने में सहायता कर सकती है।
  • यह लॉजिस्टिक्स, निगरानी इत्यादि जैसे क्षेत्रों में भारतीय सशस्त्र बलों की दक्षता में सुधार कर सकती है।

AI के संबंध में भारत द्वारा अनुभव की जा रही चुनौतियाँ

  • सक्षम फ्रेमवर्क के माध्यम से डेटा सुरक्षा, संरक्षण, गोपनीयता और नैतिक उपयोग सुनिश्चित करने संबंधी विनियामक चुनौतियां।
  • सामाजिक विघटन: रोजगार संबंधी क्षेत्रों पर प्रभाव, AI समर्थ मध्य वर्ग की प्राथमिकताओं में परिवर्तन, नकारात्मक सामाजिक दृष्टिकोण के कारण AI को अपनाने की धीमी गति आदि।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा: वर्तमान में भारत Google और Baidu जैसी बड़ी इंटरनेट कंपनियों (जो उपयोगकर्ताओं के डेटा का उपयोग करती हैं) के अभाव के कारण AI निर्माण क्षमताओं में संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन से पीछे है।
  • A तकनीकी में व्यापक विशेषज्ञता की अनुपस्थिति: बड़े पैमाने पर पुरानी शिक्षा प्रणाली और अप्रचलित कौशल प्राप्ति के कारण।
  • अनुसंधान की कमी: सार्वजनिक और निजी संस्थानों में पर्याप्त निधि के साथ-साथ नीति समर्थन के अभाव के कारण।अपर्याप्त भौतिक अवसंरचना जैसे इंटरनेट की निम्न पहुँच इत्यादि प्रौद्योगिकी वितरण में बाधा उत्पन्न करती है।
  • तकनीकी क्षमता: भारतीय सॉफ्टवेयर और IT क्षेत्र सहायक सेवाओं में अधिक दक्ष हैं। अनुसंधान एवं विकास तथा AI में मूल समाधानों और आधारभूत अनुसंधान के लिए कौशल अभी भी प्रारंभिक चरण में है।

चुनौतियों का समाधान करने हेतु उपाय:

  • भारत को विभिन्न क्षेत्रों में AI नवाचार, अनुकूलन और प्रसार केन्द्रित नीति का निर्माण करना होगा। साथ ही साझाकरण अधिकार, डेटा स्वामित्व, डेटा उपयोग नीतियों आदि के लिए एक डेटा नीति तैयार की जानी चाहिए।
  • AI को मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया इत्यादि जैसे कार्यक्रमों के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए।
  • मानव संसाधन विकास: इसे AI शिक्षा रणनीति विकसित करके और AI-आधारित पाठ्यक्रमों की अनुशंसा के माध्यम से बढ़ावा देना चाहिए।
  • इसमें AI के लिए आवश्यक कौशल समूहों की पहचान के साथ-साथ राज्यों के लिए AI रेडीनेस इंडेक्स के निर्माण के माध्यम से पुनौशल प्रदान करना भी सम्मिलित है।
  • विनियमन में सुधार हेतु Aआधारित प्रणालियों की रूपरेखा निर्माण, विकास और तैनाती के लिए मानक दिशा-निर्देशों को विकसित करना।

इस सन्दर्भ में वाधवानी इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की स्थापना, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा आर्थिक परिवर्तन के लिए AI पर टास्क फोर्स का गठन और भारत में AI पारिस्थितिक तंत्र के निर्माण में सहायता हेतु नीति आयोग और गूगल के द्वारा स्टेटमेंट ऑफ इंटेंट (Sol) पर हस्ताक्षर करने जैसे हालिया कदम, उपर्युक्त चुनौतियों में से कुछ के समाधान हेतु स्वागत-योग्य हैं।

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