सार्वजनिक और निजी नीतिशास्त्र

प्रश्न: निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए:

(a) सार्वजनिक और निजी नीतिशास्त्र के मध्य संबंध

(b) मूल्यों को विकसित करने में परिवार की भूमिका

उत्तर:

(a) सार्वजनिक और निजी नीतिशास्त्र के मध्य संबंध

सार्वजनिक और निजी नीतिशास्त्र उन नैतिक मूल्यों एवं मानकों को व्यक्त करते हैं जिनका क्रमशः सार्वजनिक और निजी संबंधों में अनुसरण किया जाता है।

परिवार, दोस्तों और समाज के क्षेत्र में निजी नीतिशास्त्र अनुसरण किया जाता है, जैसे- वृद्धों या महिलाओं का सम्मान करना। ये किसी व्यक्ति विशेष की समाजीकरण की प्रक्रिया द्वारा निर्देशित होते हैं और सामान्यतः प्रकृति में अनौपचारिक व अलिखित होते हैं।

दूसरी ओर, संगठनात्मक या व्यावसायिक क्षेत्रों में सार्वजनिक नीतिशास्त्र का अनुसरण किया जाता है। इन्हें नीतिपरक आचार संहिता, कार्य संस्कृति, कानून, नियम इत्यादि द्वारा निर्देशित किया जाता है। ये लिखित या अलिखित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, डॉक्टरों या सिविल सेवकों के लिए नीतिपरक आचार संहिता।

सार्वजनिक और निजी नीतिशास्त्र के मध्य संबंध 

  • दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं और इन्हें पृथक करना व्यावहारिक रूप से असंभव है।
  • सार्वजनिक और निजी नीतिशास्त्र में कभी-कभी टकराव हो सकता है।
  • परस्पर प्रतियोगी संगठनात्मक मूल्यों/वरिष्ठों के आदेश और व्यक्तिगत मूल्यों के कारण इनमें दुविधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।

इनके मध्य टकराव का समाधान करने के लिए, एक व्यक्ति के आचरण में सत्यनिष्ठा और स्थिरता की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, कुछ धार्मिक गुरुओं (God men) का दोहरा व्यक्तित्व जिन्होंने सार्वजनिक जीवन में धार्मिक मूल्यों का प्रचार किया है लेकिन उन्हें अपने निजी जीवन में गंभीर अपराधों का दोषी पाया गया है जो सार्वजनिक और निजी नीतिशास्त्र के मध्य असंगतता को दर्शाता है। इसी प्रकार, सिविल सेवकों को अपने सार्वजनिक और निजी जीवन में अधिक संगतता प्राप्त करने के लिए नोलन कमेटी द्वारा दिए गए 7 सिद्धांतों, {यथा- निःस्वार्थता (selflessness), खुलापन (openness), जवाबदेहिता (accountability), ईमानदारी (honesty), सत्यनिष्ठा (integrity), नेतृत्व (leadership) और वस्तुनिष्ठता (objectivity)} का वास्तविक अर्थों में पालन करना चाहिए।

(b) मूल्यों को विकसित करने में परिवार की भूमिका 

परिवार एक बच्चे के समाजीकरण की प्रथम और आधारभूत इकाई है जिस पर उसके मूल्य निर्मित होते हैं। परिवार संयुक्त (पारंपरिक) या एकल (आधुनिक) हो सकते हैं। यह निम्नलिखित तरीकों से मूल्यों को विकसित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है:

  • यह एक बच्चे का सीखने का प्रारंभिक बिंदु होने के कारण उसके प्रथम शिक्षक के रूप में कार्य करता है।
  • परिवार के भीतर रिश्ते उन्हें सम्मान (जैसे- वृद्धों के लिए), देखभाल, स्नेह और ईमानदारी जैसे कालातीत मूल्यों (timeless values) को सिखाते हैं।
  • यह एक बच्चे में भावात्मक प्रज्ञा (Emotional intelligence) के विकास को सुनिश्चित करता है।
  • सद्भाव, समता, सहयोग, लोकतंत्र और शांति के सांस्कृतिक मूल्य परिवार के माध्यम से बच्चे को स्थानांतरित किए जाते हैं।
  • पारिवारिक सदस्य बच्चों के इर्दगिर्द अपने व्यवहार को प्रदर्शित करके बच्चे के तात्कालिक रोल मॉडल की भाँति कार्य करते हैं। यह यातायात नियमों, किसी विशेष जाति या धर्म के बारे में रूढ़िवादी सोच आदि के प्रति उनके दृष्टिकोण को प्रभावित करता है।
  • परिवार के सदस्य बच्चों में ईमानदारी, सच्चाई, प्रसन्नता, निष्ठा और अखंडता जैसे नैतिक मूल्यों को विकसित करते हैं, जो वृहद सामाजिक मूल्यों के समान हैं।
  • भविष्य में बच्चों में मूल्यों की स्थिरता का निर्धारण करना। उदाहरण के लिए – बच्चों का पालन करने का अधिकारवादी तरीका शक्ति/वर्चस्व को अधिक महत्व प्रदान करने वाला मूल्य विकसित कर सकता है। यह सम्भावना है कि ऐसे बच्चों का लोकतांत्रिक मूल्यों से सरोकार अत्यंत कम हो।

एक आधुनिक एकल परिवार में, एक बच्चे को दी जाने वाली मूल्य प्रणाली परिवर्तित हो गई है। मूल्य प्रणाली का केंद्र बिंदु सहयोग के बजाय प्रतिस्पर्धा पर, परिवार और सामूहिकता के बजाय व्यक्तिवाद पर, संतुष्टि और त्याग के बजाय उपभोक्तावाद पर अधिक स्थानांतरित हो गया है। परिवार एक बच्चे को मीडिया, सिनेमा, शिक्षा प्रणाली, मित्रों, कार्य संस्कृति इत्यादि जैसे विभिन्न अन्य साधनों के माध्यम से प्राप्त होने वाले मूल्यों को भी प्रभावित करता है।

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