संविदा कृषि और इसके लाभों की संक्षिप्त अवधारणा : मॉडल संविदा कृषि अधिनियम, 2018

प्रश्न: संविदा कृषि (कॉट्रेक्ट फार्मिंग) के कई लाभ हैं, हालाँकि यह बाजार की विफलताओं से ग्रस्त है। सविस्तार वर्णन कीजिए। सरकार, संविदा विफलताओं का कारण बनने वाली समस्याओं को ठीक करने हेतु क्या कर सकती है? साथ ही, चर्चा कीजिए कि क्या मॉडल संविदा कृषि अधिनियम, 2018 सही दिशा में उठाया गया एक कदम है।

दृष्टिकोण

  • संविदा कृषि और इसके लाभों की संक्षिप्त अवधारणा से उत्तर प्रारंभ कीजिए।
  • तत्पश्चात संविदा कृषि के विनियमन के बारे में एक संक्षिप्त परिचय दीजिए तथा इसकी विफलता के कारणों का वर्णन कीजिए।
  • समस्या के समाधान हेतु सरकार द्वारा उठाए जा सकने वाले कदमों पर चर्चा कीजिए।
  • अंत में, चर्चा कीजिए कि मॉडल संविदा कृषि अधिनियम, 2018 संविदा कृषि में विद्यमान समस्याओं का समाधान करने के लिए पर्याप्त है।

उत्तर

संविदा कृषि अग्रिम समझौतों के तहत, प्राय: पूर्व-निर्धारित कीमतों पर कृषि उत्पादों के उत्पादन और आपूर्ति हेतु किसानों और विपणन फर्मों के मध्य एक समझौते को संदर्भित करती है। संविदा कृषि किसानों को मूल्य जोखिम को कम करने जैसे लाभ प्रदान करती है, जिससे उन्हें नए कौशल विकसित करने और उचित कीमतों पर बेहतर बाजार उपलब्धता में सहायता मिलती है। यह गुणवत्तापूर्ण उत्पाद की अनुपलब्धता संबंधी खरीदारों के जोखिम को भी कम करता है। भारत में, संविदा कृषि को भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 के तहत विनियमित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, मॉडल AMPC अधिनियम, 2003 संविदा कृषि के लिए विशिष्ट प्रावधान करता है। हालांकि, यह बाजार विफलताओं से ग्रस्त है क्योंकि यह क्रेता एकाधिकार को बढ़ावा प्रदान करता है जहां विभिन्न फसलें उगाई जाती हैं। यह फर्मों को एकमात्र क्रेता के रूप में परिवर्तित करता है, जिससे वे कम कीमतों की पेशकश कर विक्रेताओं का शोषण कर सकते हैं। अन्य कारक सूचना संबंधी असंगतता है जिसके परिणाम निम्न गुणवत्ता वाली फसलों का उत्पादन या किसानों द्वारा नियम एवं शर्तों को न समझ पाना है। इसके अतिरिक्त, संविदा कृषि के लिए कृषि उत्पाद विपणन समिति (APMC) द्वारा लगाए गए कर शोषणकारी होते हैं।

सरकार उन समस्याओं का समाधान करने के लिए निम्नलिखित उपाय कर सकती है जो संविदा विफलताओं का कारण बनते हैं:

  • सरकार द्वारा दोनों पक्षों के लिए बाजार-आधारित प्रोत्साहन निर्मित करने की आवश्यकता है। E-NAM इस दिशा में उठाया गया एक सकारात्मक कदम है।
  • सरकार को सूचना भंडार बनाए रखना चाहिए जो कि किसानों और प्रायोजकों को संविदा में शामिल होने से पहले एक दूसरे का मूल्यांकन करने में सहायता करेगा।
  • सरकार फसलों के लिए मानकों की स्थापना और उनके प्रवर्तन की सुविधा प्रदान कर सकती है।
  • सरकार किसानों को शिक्षित कर सकती है तथा संविदा कृषि और मॉडल संविदा के संबंध में अधिक जागरूक कर सकती है।
  • APMC के दायरे से संविदा कृषि को बाहर किया जा सकता है, जैसा कि कृषि सुधार पर प्रांतीय मंत्रियों की समिति द्वारा इस संबंध में अनुशंसा की गई है।

इस संदर्भ में, मॉडल संविदा कृषि अधिनियम, 2018 सही दिशा में उठाया गया कदम प्रतीत होता है। यह संविदा कृषि को APMC के दायरे से बाहर लाता है जो लेन-देन संबंधित शुल्क (ट्रांजेक्शन चार्ज) में कमी लाएगा। यह भूमि पर किसानों के स्वामित्व के अधिकार की भी रक्षा करता है क्योंकि प्रायोजक को इस पर किसी भी संरचना के निर्माण करने की अनुमति नहीं है। यह फसल बीमा को भी संविदा व्यवस्था का एक भाग बनाता है। इसमें विवादों के त्वरित निपटान के लिए निचले स्तर पर एक विवाद निपटान तंत्र की व्यवस्था को भी शामिल किया गया है।

हालांकि, अभी भी मॉडल अधिनियम में कुछ मुद्दों पर पुन: विचार किए जाने की आवश्यकता है। यह अधिनियम में प्रायोजकों और किसानों को पंजीकरण और समझौता रिकॉर्डिंग समिति के साथ अनुबंध को पंजीकृत करने की आवश्यकता होती, जहां छोटे और मध्यम किसान आसानी से इन लागतों का भुगतान नहीं कर सकते हैं। यह अधिनियम पूर्व-समझौते के समय निर्धारित मूल्य द्वारा मूल्य सुरक्षा का भी प्रस्ताव करता है जो उत्पादन के लिए प्रतिकूल हो सकता है। यह पारिवारिक कृषि की अवधारणा का भी उपयोग करता है जो भारतीय संदर्भ में प्रासंगिक नहीं है क्योंकि यहाँ 86 प्रतिशत छोटे या सीमांत किसान हैं।

इस प्रकार, संविदा कृषि की विफलता और बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण को रोकने संबंधी मुद्दों का समाधान किया जाना अभी भी शेष है। सूचना संबंधी असंगतता का समाधान करना और किसानों एवं खरीदारों दोनों के लिए संविदा के उल्लंघन के सापेक्ष लागत में संतुलन स्थापित करना, संविदा कृषि में सुधारों का लक्ष्य होना चाहिए।

Read More 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.