एक संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका पर चर्चा : भारत में इसकी व्यवहार्यता पर चर्चा
प्रश्न: भारत जैसे लोकतंत्र में विपक्ष क्या भूमिका निभाता है? इस संदर्भ में, चर्चा कीजिए कि क्या हमारी संसद छाया मंत्रिमंडल (शैडो कैबिनेट) से लाभांवित हो सकती है।
दृष्टिकोण
- एक संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका पर चर्चा कीजिए।
- छाया मंत्रिमंडल को परिभाषित कीजिए और वर्णन कीजिए कि भारत कैसे इससे लाभ प्राप्त कर सकता है।
- भारत में इसकी व्यवहार्यता पर चर्चा करते हुए निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर
भारत जैसे लोकतंत्र में सत्तारूढ़ दल या गठबंधन प्रायः मतदाताओं के पूर्ण बहुमत का प्रतिनिधित्व नहीं करता है तथा इसका आशय है कि बड़ी संख्या में मतदाताओं द्वारा चुनाव प्रक्रिया पूर्ण होने पर विपक्ष द्वारा प्रस्तावित विचारों पर विश्वास व्यक्त किया जाता है। इस प्रकार, लोगों के विचार को संयुक्त और अभिव्यक्त करने का दायित्व सत्तारूढ़ दल/दलों के समान ही विपक्ष का भी होता है।
इस संदर्भ में विपक्ष निम्नलिखित भूमिका निभाता है:
संसद के माध्यम से कार्यपालिका का पर्यवेक्षण और संवीक्षा: विधेयकों पर सामान्य चर्चा, आम बजट और निंदा प्रस्ताव पर चर्चा, वे साधन हैं जिनके माध्यम से विपक्ष सरकार की नीतियों और कार्रवाइयों की निरंतर आलोचना करता है। लोक लेखा समिति और प्रमुख विभागों से संबंधित स्थायी समितियां जैसे गृह, वित्त और विदेशी मामलों की अध्यक्षता साधारणतया विपक्ष के किसी वरिष्ठ सदस्य द्वारा की जाती है। 2G जांच जैसे विशिष्ट मामलों की संवीक्षा के लिए गठित तदर्थ समितियों में विपक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
- हितों का समूहन: नीति, विधेयक और बजट प्रक्रिया की वैकल्पिक प्राथमिकताओं, मूल्यों और विचारधाराओं को प्रस्तुत करके, यह मौजूदा सरकार के लिए एक व्यवहार्य विकल्प प्रस्तुत करता है तथा अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा करता है।
- चुनावी पारदर्शिता: विपक्ष, मतदाता पंजीकरण की गुणवत्ता में सुधार और निगरानी करने के लिए मास मीडिया और सिविल सोसाइटी संगठनों के साथ कार्य करता है और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करता है।
- नियुक्तियां: CVC और लोकपाल जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति में विपक्ष का नेता महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
छाया मंत्रिमंडल (शैडो कैबिनेट)
छाया मंत्रिमंडल, सरकार के मंत्रिमंडल को प्रतिबिम्बित करने के लिए विपक्ष के नेता द्वारा चुने गए संसद के वरिष्ठ सदस्यों का एक समूह होता है। इसका प्रत्येक सदस्य किसी सरकारी मंत्री के लिए विपक्षी मंत्री के समान होता है अर्थात छाया मंत्रिमंडल के प्रत्येक सदस्य को उनके दल की एक विशिष्ट नीति क्षेत्र का नेतृत्व करने और मंत्रिमंडल में उनके प्रतिद्वंदी से प्रश्न पूछने और उन्हें चुनौती देने के लिए नियुक्त किया जाता है। भारत ने अपनी संसदीय संरचना को ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर प्रणाली से ग्रहण किया है, हालांकि, इसने छाया मंत्रिमंडल प्रणाली को नहीं अपनाया था। संभवतः, हमारी संसद इस प्रणाली से लाभ प्राप्त कर सकती है।
यह लाभ, छाया मंत्रिमंडल प्रणाली द्वारा सशक्तिकरण के साथ-साथ जवाबदेहिता को निम्नलिखित तरीकों से बढ़ावा देकर प्राप्त किया जा सकता है:
- जवाबदेहिता: छाया मंत्री, वास्तविक मंत्रियों को अधिक प्रभावपूर्ण बनाते हैं और उन्हें अपनी कार्रवाइयों और नीतियों के प्रति जवाबदेह बनाए रखते हैं।
- नीतियों पर सार्थक चर्चा: भारत में की जाने वाली राजनीतिक बहस, नीतिगत मुद्दों पर बहुत कम केंद्रित होती हैं। विशेष सदस्यों की भूमिका को निर्दिष्ट कर यह सुनिश्चित हो सकेगा कि विपक्ष के नेताओं द्वारा अधिक प्रतिबद्धता के साथ नीतिगत मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा।
- विपक्ष की वैधता: यह मतदाताओं की विपक्ष के कार्यों की अधिक अर्थपूर्ण तरीके से मूल्यांकन करने में भी सहायता करेगा।
- भावी मंत्री: छाया मंत्रिमंडल के नेताओं का कौशल निरंतर विकसित होता रहता है क्योंकि वे विशिष्ट मंत्रालयों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। अतः, जब उनका दल सत्ता में आता है तो प्रायः उन्हें मंत्रियों के रूप में नियुक्त किया जाता है।
केरल, गोवा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में छाया मंत्रिमंडल के क्रियान्वयन को अपने प्रारंभिक रूप में देखा जा सकता है। इस अवधारणा को सफल बनाने के लिए भारतीय लोकतंत्र को समायोजित करने की आवश्यकता होगी जहां संसद में विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले अनेकों दल विद्यमान हैं।
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