केस स्टडीज : हितधारकों से संबधित नैतिक मुद्दे

प्रश्न: आप नवनियुक्त एक युवा IAS हैं। आपके प्रशिक्षण के समापन पर आपको एक जिले के एक ऐसे सब-डिवीज़न में पदस्थापित किया गया है जो औद्योगिक विकास की दृष्टि पिछड़ा हुआ है। इस क्षेत्र में खनिज के विशाल भंडार हैं और पर्याप्त संख्या में जनजातीय जनसंख्या निवास करती है। सरकार ने एक बड़े थर्मल पावर प्लांट की स्थापना और साथ ही खनन का पर्याप्त विस्तार करने के लिए इस क्षेत्र को चिह्नित किया है। इस घोषणा के परिणामस्वरूप क्षेत्र में भूमि की कीमतों में उछाल और साथ ही स्थानीय जनसंख्या के बीच संभावित भूमि अधिग्रहण के कारण अशांति व्याप्त होने की स्थिति पायी गई है। रिकार्ड्स (अभिलेखों) की नियमित जाँच के दौरान आपको ज्ञात होता है कि हाल के वर्षों में स्थानीय राजनेता के परिवार से संबद्ध लोगों द्वारा बड़ी मात्रा में भूमि की खरीद की गई है, और वह राजनेता राज्य मंत्रिपरिषद का सदस्य भी है। आपको यह भी ज्ञात होता है कि इनमें से अधिकतर भूमि प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्र के आसपास हैं। इसके अतिरिक्त, आपका एक कर्मचारी आपको यह सूचना देता है कि उक्त परिवार द्वारा अपने वाहन चालकों, सफाई कर्मचारियों और साथ ही घरेलू सहायकों के नाम पर भी जमीनें खरीदी गई हैं। आपको अनुभव होता है कि नीतिगत निर्णय से अवगत होने के कारण राजनेता की इन खरीदों में भूमिका रही है। संयोग से राजनेता के साथ आपके संबंध सौहार्दपूर्ण रहे हैं और वह क्षेत्र में लोकप्रिय भी है।

(a) भूमि अधिग्रहण और अधिग्रहित भूमि हेतु क्षतिपूर्ति के भुगतान के लिए जिम्मेदार अधिकारी के रूप में, दी गई परिस्थिति में आप कौन-से नैतिक मुद्दों का सामना करेंगे?

(b) इन बेनामी भूमि अंतरणों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र में भूमि की बिक्री पर रोक लगाए जाने के सुझाव पर आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी?

(c) आप क्या कार्यवाही करना चाहेंगे? तर्क प्रस्तुत करते हुए इसका औचित्य सिद्ध कीजिए।

दृष्टिकोण

  • परिस्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए और विभिन्न हितधारकों का उल्लेख कीजिए तथा इनके परिप्रेक्ष्य से इसमें निहित नैतिक मुद्दों की चर्चा कीजिए।
  • बेनामी संपत्ति के मुद्दे की संक्षिप्त चर्चा कीजिए और इस क्षेत्र में भूमि बिक्री पर प्रतिबंध आरोपित करने के संबंध में आपके पक्ष की चर्चा कीजिए।
  • आपके द्वारा की जाने वाली कार्यवाही का उल्लेख करते हुए उचित तर्कों से इसका औचित्य सिद्ध कीजिए।

उत्तर

उद्योगों की स्थापना जैसे नीतिगत निर्णयों के कारण भूमि के मूल्य में अत्यधिक वृद्धि होती है। प्रायः, इस प्रकार की नीतियों से संबंधित सूचना रखने वाले व्यक्तियों द्वारा मूल्य की इस अपेक्षित वृद्धि से लाभ प्राप्त करने के उपायों की पहले ही खोज कर ली जाती है। इस प्रकार का व्यवहार न केवल अवैध है बल्कि यह लोक विश्वास को भी कम करता है। उपर्युक्त परिस्थिति में, स्थानीय राजनेता ने अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने के निर्णय संबंधी अपनी जानकारी का उपयोग किया है। उसके द्वारा भूमि खरीद के लिए बेनामी लेन-देन के मार्ग का उपयोग किया जा सकता है। इन भूमियों को बाद में उच्च कीमतों पर बेचकर लाभ अर्जित किया जा सकता है। हितधारकों में युवा IAS अधिकारी, प्रभावशाली स्थानीय राजनेता, प्रस्तावित परियोजना से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होने वाली जनजातीय जनसंख्या और जन सामान्य सम्मिलित हैं।

(a) उपर्युक्त मामले में शामिल नैतिक मुद्दे:

  • मंत्री द्वारा सार्वजनिक पद का दुरुपयोग/हितों का टकराव: गोपनीय सूचना का उपयोग मंत्री द्वारा निजी लाभ के लिए किया गया है जो उनके द्वारा ली गयी पद की शपथ का स्पष्ट रूप से उल्लंघन करता है। यह जनता एवं संविधान द्वारा प्रदान किए गए विश्वास के उल्लंघन का स्पष्ट मामला है।
  • शासन में ईमानदारी की कमी भ्रष्टाचार में वृद्धि के साथ-साथ लोकतांत्रिक संस्थाओं में विश्वास को कमजोर बनाती है। अप्रभावी कानूनों की आसानी से उपेक्षा की जा सकती है और कमज़ोर संस्थाएं निर्णय निर्माण प्रक्रिया में शामिल लोगों की जवाबदेही सुनिश्चित करने में सक्षम नहीं होती हैं।
  • भ्रष्टाचार समाप्त करने के साथ-साथ जिनसे भूमि अधिग्रहित की जाती है उन लोगों को क्षतिपूर्ति प्रदान करने के लिए, भूमि के उचित मूल्य का निर्धारण किया जाना चाहिए।
  • एक सार्वजनिक पदाधिकारी का विरोध करने संबंधी दुविधा – राजनेता पर आरोप लगा कर | जांच करके सार्वजनिक हितों का अनुपालन करना सौहार्दपूर्ण संबंधों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है। इसके व्यक्तिगत परिणाम हो सकते हैं क्योंकि राजनेता राज्य मंत्रिपरिषद का सदस्य है। इसके साथ ही इसके पेशेवर परिणामों के रूप में स्थानीय स्तर पर कार्यकारी संबंध भी कमजोर हो सकते हैं।

(b) ‘सार्वजनिक उद्देश्य’ के लिए भूमि अधिग्रहण करने का निर्णय भूमि बाजार और संबंधित भूमि के मूल्य को अनिवार्य रूप से विकृत करता है। इसलिए चुनौती इसे उचित प्रशासनिक कार्यवाही द्वारा रोकने की है: भूमि अधिग्रहण अधिसूचना जारी होने के पश्चात् उस क्षेत्र में भूमि की बिक्री को प्रतिबंधित करना, बेनामी अंतरणों को रोकने के लिए एक उपयोगी तंत्र है।

हालांकि, इन बेनामी भूमि अंतरणों के परिप्रेक्ष्य में, उस क्षेत्र में भूमि बिक्री पर प्रतिबंध केवल एक अल्पकालिक अस्थायी उपाय के रूप में ही बेहतर विकल्प हो सकता है। बाजारों को प्रतिबंधित करके, अवैध कार्यवाही की आशंका को प्रारंभिक अवस्था में ही नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, इसमें दो मुद्दे विद्यमान हैं: 1) यह भूमि बाजार को प्रछन्न करने हेतु लोगों एवं बाजार की वास्तविक प्रकृति को कमजोर बनाता है, और 2) बाजारों पर प्रतिबंध आरोपित करने से लोगों के व्यवसाय करने के अधिकारों का हनन होता है, जिसे न तो अनिश्चित काल तक विस्तारित किया जा सकता है और न ही बाजार में कुछ प्रतिभागियों द्वारा अवैध आचरण के प्रत्येक अवसर पर साधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है। उचित कार्यवाही यह होगी कि बेनामी लेनदेन अधिनियम, 2016 के तहत बेनामी लेन-देन का पता लगाने और आर्थिक एवं कानूनी अपराधियों की पहचान करने के लिए जांच के आदेश दिए जाएं।

बेनामी संपत्ति विकासात्मक उद्देश्यों के लिए भूमि की कृत्रिम कमी उत्पन्न करती है तथा साथ ही परियोजना की लागत में भी वृद्धि करती है। यह परियोजना की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि करने वाले मुख्य चालकों में से एक है। उस क्षेत्र में भूमि की बिक्री पर व्यापक प्रतिबंध आरोपित करने से वास्तविक समझौते भी बाधित हो सकते हैं तथा साथ ही यह संबंधित क्षेत्र के जनजातीय लोगों की आजीविका को भी प्रभावित कर सकता है।

(c) अधिमान्य कार्यवाही:

  • प्रशासन में लोक विश्वास को पुनर्स्थापित करने हेतु एक स्वतंत्र समिति द्वारा निष्पक्ष और भेदभाव रहित जांच सुनिश्चित करना।
  • जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर मैं अपराधियों के विरुद्ध तत्काल कार्यवाही प्रारंभ करूंगा ताकि यह इस प्रकार के कृत्यों के प्रति एक प्रतिरोध के रूप में कार्य कर सके और कानून की प्रभाविता सुनिश्चित की जा सके। इससे यह भी सुनिश्चित हो सकेगा कि जन सामान्य की कीमत पर अपराधियों द्वारा अनुचित लाभ अर्जित न किया जा सके। मंत्री या किसी अन्य के अवैध कृत्य को दंडित किया जाना चाहिए। साथ ही, एक लोक सेवक के रूप में मेरा दायित्व है कि मेरे द्वारा लोक विश्वास को बनाए रखने के साथ-साथ राजनेताओं के पक्ष में निर्णय लेने के विपरीत जनता के सर्वोत्तम हित में निर्णय लिया जाए।
  • बेनामी लेन-देन को रद्द करके मैं बाजार-आधारित मूल्य पर भूमि की कीमत निर्धारित करने का मार्ग प्रशस्त करूँगा। साथ ही भूमि मालिकों को बाजार मूल्य की दर पर क्षतिपूर्ति प्रदान की जानी चाहिए।
  • चूंकि यह क्षेत्र थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने के लिए खनन के पर्याप्त विस्तार की संभावना प्रदान करता है, इसलिए भविष्य में संयंत्र के कार्य का निर्बाध संचालन सुनिश्चित करने के लिए भूमि की कीमतों में हेर-फेर करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही किया जाना आवश्यक है।
  • बेनामी लेन-देन पर रोक लगाने के लिए लोगों को कानून के बारे में भी जागरुक बनाया जाना चाहिए क्योंकि यह उन्हें उनकी अज्ञानता का लाभ उठाने वाले लोगों को भूमि बेचने के लिए हतोत्साहित करेगा।

जन प्रतिनिधि के प्रति किसी प्रकार की पक्षपातपूर्ण या उदार नीति नहीं अपनायी जानी चाहिए। बिना किसी भय या पक्षपात के विधि सम्मत कार्यवाही की जानी चाहिए। दीर्घावधि में यह आवश्यक है कि भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण किया जाए और भूमि के क्रय-विक्रय से संबंधित लेन-देनों में नकदी का न्यूनतम उपयोग किया जाए। आगामी परियोजनाओं से संबंधित जानकारी को ‘नीड टू नो’ (केवल आवश्यक तथ्यों के विषय में ही जानकारी उपलब्ध कराना) के आधार पर प्रबंधित किया जाना चाहिए ताकि अनुचित निजी लाभ प्राप्त न किए जा सकें।

Read More 

 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.