केस स्टडीज : साधन (अनैतिक) बनाम साध्य (जीत) की नैतिक दुविधा का आदर्श
प्रश्न: आप एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे एक युवा एथलीट हैं। प्रतियोगिता के दौरान, आप कुछ वरिष्ठ एथलीट को एकांत में सीरिंज का उपयोग करते हुए कुछ इंजेक्ट करते हुए देखते हैं। जब आप उनसे संपर्क करते हैं, तो वे बताते हैं कि यह प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवा है, जो ऐसी प्रतियोगिता में बहुत आम है और आपको भी इसे लेना चाहिए। आप डर जाते हैं और आप देखी गई घटना पर चर्चा करने के लिए कोच से संपर्क करने का निर्णय लेते हैं। हालांकि, आपको पता चलता है कि एथलीट स्वयं कोच के परामर्श पर दवा ले रहे हैं।
(a)इस परिदृश्य में आप क्या करेंगे? अपने लिए उपलब्ध विकल्पों पर चर्चा कीजिए और अपनी कार्यवाही की योजना का विवरण दीजिए।
(b) आप क्यों मानते हैं कि प्रदर्शन बढ़ाने के लिए अनुचित साधनों का उपयोग प्रतिस्पर्धी खेल आयोजनों में आम है? यह प्रथा किस प्रकार कम की जा सकती है ?
उत्तर
उपर्युक्त केस स्टडी साधन (अनैतिक) बनाम साध्य (जीत) की नैतिक दुविधा का आदर्श उदाहरण है। वस्तुतः प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवाओं का उपयोग प्रतिस्पर्धा का उपहास करने जैसा है।
इस केस के साथ संलग्न मुद्दे
- प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवा के उपयोग की वैधता, अर्थात वह WADAI / NADA’s की प्रतिबंधित पदार्थों की सूची में सूचीबद्ध है या नहीं।
- भारत पिछले कुछ वर्षों में WADA’s के डोपिंग विरोधी दिशानिर्देशों के शीर्ष 10 उल्लंघन कर्ताओं में से एक रहा है, इस खुलासे से देश की छवि धूमिल होगी।
- ऐसी दवाओं के सेवन हेतु दंड के विषय में जागरूकता का अभाव अथवा एथलीटों का इसके प्रति उदासीन दृष्टिकोण।
- कोच द्वारा अनैतिक प्रथाओं का प्रसार, जिन्हें वास्तव में बिना किसी शॉर्टकट के ईमानदारी, कड़ी मेहनत और समर्पण जैसे खेल के नैतिक मूल्यों को सुनिश्चित करना चाहिए।
(a) ऐसे परिदृश्य में, मैं सर्वप्रथम एथलीटों / कोच की सलाह का पालन करने के विषय में किसी भी संदेह के सन्दर्भ में अपने अंतःकरण को स्पष्ट करूंगा। यह मेरे माता-पिता के साथ-साथ कोच द्वारा मुझमें अंतर्विष्ट किये गए नैतिक मूल्यों के विरुद्ध हो सकता है।
ऐसे में, वरिष्ठ एथलीटों का अनुकरण करना, मेरे लिए विकल्प नहीं है। अन्य उपलब्ध विकल्प हैं:
विकल्प #1
भविष्य में ऐसी दवाओं के सेवन के विरुद्ध एथलीटों / कोच को चेतावनी देना।
गुण
- शिकायत करने से पहले अपने साथी एथलीटों को एक विकल्प प्रदान करना।
- टीम स्तर पर इस मुद्दे का समाधान करना।
दोष
- चेतावनी को गंभीरतापूर्वक नहीं लिया जाना।
- मुझे चुप करने के लिए कोच अनुशासनात्मक आधार पर मुझे दंडित कर सकते हैं।
- अगर वे प्रतियोगिता में भाग लेते हैं तो इससे डोपिंग के बारे में पता लग सकता है।
- असफल प्रतिस्पर्धा।
विकल्प #2
तत्काल प्रभाव से समूह के साथ आये उच्च अधिकारियों से प्रत्यक्ष शिकायत करना।
गुण
- उच्च प्राधिकरण निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा हेतु मेरी शिकायत की सराहना कर सकते हैं।
दोष
- एथलीटों / कोच को उनके कार्यों के संबंध में स्पष्टीकरण का अवसर प्राप्त नहीं होना।
- इससे निर्दोष एथलीट भी संकट में पड़ सकते हैं।
- कोच के साथ उच्च अधिकारी भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
विकल्प #3
प्रतियोगिता समाप्त होने पर शिकायत करना।
गुण
- प्रतिस्पर्धा में टीम का प्रदर्शन प्रभावित नहीं होगा।
- यह मेरे द्वारा विकल्पों के आकलन हेतु पर्याप्त समय प्रदान करता है।
दोष
- एथलीट / कोच अनुचित कार्यों से इनकार कर सकते हैं।
- प्रतिस्पर्धा के दौरान मेरे भय और अंतःकरण के संकट का समाधान न होना।
- डोपिंग का पता लग सकता है, जिसके कारण वैश्विक स्तर पर भारत की छवि धूमिल होगी।
मेरे द्वारा की गई अंतिम कार्यवाही गांधीवादी नैतिकता अर्थात “वह बदलाव स्वयं बनें जिसे आप दुनिया में देखना चाहते हैं, के प्रति मेरे विश्वास के माध्यम से निर्देशित होगी।”
- सर्वप्रथम, मेरे द्वारा मूलभूत सूचना प्राप्त करके कुछ संदेहों को स्पष्ट करने का प्रयास किया जाएगा। अर्थात मैं जांच करूँगा कि प्रयोग की जाने वाली दवा पर प्रतिबंध लगाया गया है या नहीं, साथ ही इसमें कोच और अन्य सदस्यों की भूमिका की पुष्टि भी दृढ़ता से करूँगा।
- तत्पश्चात, मैं दवा के उपयोग को रोकने के लिए साथी एथलीटों को मनाने का प्रयास करूँगा, कि यह अवैध है और खेल नैतिकता के विरुद्ध है। मैं उन्हें समझाने का प्रयास करूँगा कि यह उनके करियर और भारत की छवि दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है।
- यदि वे असहमत होते हैं, तो मेरे द्वारा चल रहे कदाचार के विरुद्ध संभावित दंडात्मक कार्रवाइयों के बारे में कोच को चेतावनी दी जाएगी। यदि कोच मेरी चेतावनी को अनदेखा करते हैं, तब मेरे पास केवल यही विकल्प शेष रहता है कि मेरे द्वारा निम्नलिखित को अवैध दवाओं के सेवन का उल्लेख करते हुए एक लिखित शिकायत दर्ज की जाए
- मेरे समूह में शामिल टीम प्रबंधकों और SAI अधिकारियों को।
- युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के मंत्री तथा राज्यमंत्री को।
(b) खेल में अनुचित साधनों के आम उपयोग के कारण:
- व्यक्तिगत कारक- जीत, अच्छा प्रदर्शन, दर्द कम करना, स्वास्थ्य लाभ, लम्बे करियर और आर्थिक लाभ आदि की इच्छा।
- कानुनी कारक- घरेलू खेल निकायों द्वारा डोपिंग विरोधी कानूनों / नियमों का कमजोर कार्यान्वयन और नियमों के बारे में जागरूकता की कमी।
- व्यवस्था संबंधी कारक- खेल के इतिहास में डोपिंग का प्रचलन, कमजोर डोपिंग विरोधी व्यवस्था, कुछ देशों के खेल प्रशासन प्रणाली में व्यवस्थित रूप से डोपिंग में कोच की भूमिका आदि। उदाहरण- पूर्व में रियो ओलंपिक से रूसी एथलीटों की अयोग्यता संबंधी विवाद।
- सामाजिक-सांस्कृतिक कारक- सामाजिक पृष्ठभूमि और अनुभव, टीम | क्लब / खेल संस्कृति, डोपिंग विरोधी प्रणाली की कथित प्रभावकारिता।
- कड़ी प्रतियोगिता।
इस कुप्रथा को कम करने के लिए उठाए जा सकने वाले कदम:
निवारक कदम
- विशेष रूप से, डोपिंग से होने वाले साइड इफेक्ट्स और संबंधित दंड के विषय में जागरूकता का प्रसार।
- निषिद्ध पदार्थों की सूची तथा नियमों और कानूनों को सूचीबद्ध करना।
- घरेलू स्तर पर और खेल के स्तर पर होने वाले सांस्कृतिक परिवर्तन। जैसे एथलेटिक्स और साइकिलिंग में उच्च डोपिंग की समस्या का समाधान किया जाना चाहिए।
- व्हिसलब्लोअर को समर्थन और संरक्षण दिया जाना चाहिए।
- दवा परीक्षण प्रौद्योगिकी में सुधार और अन्वेषण पर निर्भरता में वृद्धि की जानी चाहिए।
- डोपिंग विरोधी एजेंसियों में अधिक संसाधनों का निवेश करना।
दंडात्मक कदम
- घरेलू स्तर पर डोपिंग विरोधी कानूनों का कठोर प्रवर्तन। उदहारण स्वरुप एथलीटों के यादृच्छिक परंतु निरंतर परीक्षण के साथ सख्त परीक्षण नीति।
- डोपिंग-विरोधी उल्लंघन को छुपाने जैसे भ्रष्टाचार में संलिप्त देशों को प्रतिबंधित करना।
- इसमें शामिल कोचों का निर्वासन।
प्रोत्साहक कदम
- सर्वोत्तम व्यवस्थाओं का समर्थन करना और सभी देशों को उन्हें अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
- वित्त पोषण प्रणाली में नैतिक आचरण और डोपिंग रैंकिंग को महत्व प्रदान करना।
अन्य कदम
- निर्दोष एथलीटों की रक्षा हेतु सुलभ और सस्ती अपील व्यवस्था।
- उन एथलीटों की रक्षा के लिए जिनके पास कोई वास्तविक चिकित्सा अवस्था है, तथा जिनके पास कोई वैकल्पिक दवा / उपचार उपलब्ध नहीं है, चिकित्सीय उपयोग छूट (TEU) प्रमाण पत्र उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।
- एथलीटों के ‘जैविक पासपोर्ट’ के आवेदन को सार्वभौमिक बनाया जाना चाहिए।
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