समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र :पादपप्लवक प्रस्फुटन (फाइटोप्लैंकटन ब्लूम)

प्रश्न: समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में पादपप्लवकों के महत्व पर चर्चा कीजिए। साथ ही, पादपप्लवक प्रस्फुटन (फाइटोप्लैंकटन ब्लूम) के कारणों और परिणामों की भी व्याख्या कीजिए।

दृष्टिकोण

  • पादपप्लवकों की संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  • समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में पादपप्लवकों के महत्व पर चर्चा कीजिए।
  • पादपप्लवक प्रस्फुटन (फाइटोप्लैंकटन ब्लूम) के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  • पादपप्लवक प्रस्फुटन के परिणामों की चर्चा कीजिए।

उत्तर

पादपप्लवक (Phytoplanktons) प्रकाश संश्लेषक जीव हैं, जो जलीय पृष्ठ के नीचे निलंबित अवस्था में रहते हैं। उदाहरणार्थ: सूक्ष्म-शैवाल (microalgae) एवं नील-हरित जीवाणु। समुद्री पादपप्लवक जैव-रासायनिक चक्र तथा जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए: 

  • समुद्री खाद्य श्रृंखला: पादपप्लवक समुद्री खाद्य श्रृंखला के मुख्य आधार हैं, जो समुद्री पारितंत्र में अन्य सभी जीवों के लिए कार्बनिक पदार्थों की आपूर्ति करते हैं।
  • जैविक पंप और जीवाश्म ईंधन: ये अकार्बनिक कार्बन को अपनी कोशिकाओं में अवशोषित एवं परिवर्तित करते हैं तथा मृत एवं अपक्षय होने पर सागरीय नितल पर तलछट के रूप में निक्षेपित हो जाते हैं, इसके पश्चात् ये जीवाश्म ईंधन के स्रोत के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को ‘जैविक पंप’ के रूप में जाना जाता है।
  • ग्लोबल वार्मिंग: यदि ऊपरी समुद्र का जैविक पंप इसके आंतरिक भाग में कार्बन को पंप करना बंद करता है, तो समय के साथ वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ेगा, जिससे ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापन) में वृद्धि होगी।

यूट्रोफिकेशन (सुपोषण) के कारण प्रस्फुटन (ब्लूम) घटित होता है, जहां पादपप्लवक तीव्र गति से उत्पन्न होते हैं। यह प्राकृतिक अथवा कृत्रिम रूप से नाइट्रेट, आयरन एवं फॉस्फेट जैसे पोषक तत्वों का सम्मिलन है, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की उर्वरता में वृद्धि करता है, यथा- अटलांटिक सागर में प्रस्फुटन हेतु पेटागोनिया मरुस्थल में उपलब्ध लौह-समृद्ध धूल को उत्तरदायी माना जाता है। इसमें अनुकूल पर्यावरण की उपलब्धता के साथ वृद्धि होती है, जैसे- इष्टतम प्रकाश स्थिति, pH, लवणता आदि। पवनें भी जल निकायों के सम्मिश्रण और उद्वेलन को उत्प्रेरित कर पादपप्लवक के प्रस्फुटन को नियंत्रित करती हैं।

प्रस्फुटन पारिस्थितिक तंत्र को विभिन्न प्रकार से प्रभावित कर सकता है, जिसके कारण निम्नलिखित परिघटनाएं उत्पन्न हो सकती हैं:

  • समुद्र में प्रवेश करने वाले सूर्य प्रकाश की कमी के कारण जलमग्न जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है।
  • समुद्र में गंदलेपन (turbidity) में वृद्धि होने के कारण प्रवाल भित्तियों का क्षतिग्रस्त होना।
  • प्रस्फुटन से निर्मुक्त विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने के कारण समुद्री खाद्य संसाधनों का संदूषित होना। परिणामस्वरूप मत्स्य उद्योगों का निरंतर बंद होना तथा समुद्री खाद्य संसाधनों की बिक्री में कमी होना।
  • विदेशी प्रजातियों द्वारा अन्य प्रजातियों पर आक्रमण के कारण प्रजातियों की संरचना में परिवर्तन होना।
  • पर्यटन एवं संबंधित व्यवसायों में कमी तथा निगरानी कार्यक्रमों के संचालन की लागत में वृद्धि।

इस प्रकार, पादपप्लवक प्रस्फुटन की परिघटना को समझने तथा वैज्ञानिक रूप से बेहतर प्रबंधन एवं शमन तकनीक को विकसित करने की स्पष्ट आवश्यकता है।

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