समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन (CBDM): सिद्धांत, विशेषता और महत्व

प्रश्न: समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन (CBDM) क्या है? भारत में लचीली (रिज़िल्यन्ट) आपदा तैयारियों हेतु मुख्य सिद्धांतों, विशेषताओं और महत्व पर प्रकाश डालिए।

दृष्टिकोण

  • समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन (CBDM) को परिभाषित कीजिए।
  • इसकी मुख्य सिद्धांतों, विशेषताओं एवं आपदा तैयारियों हेतु इसके महत्व को रेखांकित कीजिए।
  • उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन (Community Based Disaster Management: CBDM) में आपदा जोखिमों को कम करने के लिए हस्तक्षेप, गतिविधियों एवं कार्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला सम्मिलित है, जिन्हें मुख्य रूप से जोखिम वाले क्षेत्रों के निवासियों द्वारा उनकी तत्काल आवश्यकताओं एवं क्षमताओं के आधार पर डिज़ाइन किया जाता है। ह्योगो घोषणा (2005) स्थानीय स्तर पर आपदा जोखिम को कम करने के लिए समुदाय स्तर पर क्षमताओं के सुदृढ़ीकरण पर बल देती है।

इसके मुख्य सिद्धांत निम्नलिखित हैं: 

  • बहु हितधारकों की भागीदारी: क्षेत्र में मौजूद अन्य हितधारकों जैसे- गैर सरकारी संगठनों (NGOs)/समुदाय आधारित संगठनों (CBOs)/सामुदायिक नेतृत्व/व्यापारियों, लाइन डिपार्टमेंट, निर्वाचित प्रतिनिधियों, बैंकों आदि की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है।
  • समुदाय के नेतृत्व में भागीदारी दृष्टिकोण: प्रत्येक व्यक्ति को लचीलेपन (resilience) में विद्यमान अंतरालों एवं आवश्यताओं से संबंधित अपनी अवधारणा के अनुसार भाग लेना चाहिए। सुविज्ञ सुविधाप्रदाताओं की सहभागिता: एक सुविज्ञ सुविधाप्रदाता सभी हितधारकों को एक मंच पर लाने में सहायता कर सकता है तथा उन्हें व्यापक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समन्वित तरीके से कार्य करने में भी मदद कर सकता है।
  • समय एवं संसाधन का बजटीकरण: यह महत्वपूर्ण है कि हम एक निश्चित प्रक्रिया का अनुपालन करें तथा इसका परिचालन कुशलतापूर्वक एक निश्चित समय सीमा एवं संसाधनों (मानव, भौतिक तथा वित्तीय) के अंतर्गत करें।
  • अभिसरण (कन्वर्जेन्स) के लिए मंच: राष्ट्रीय और राज्य सरकारों द्वारा कार्यान्वित सरकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों का अभिसरण सामुदायिक आपदा प्रबंधन के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • समावेशी दृष्टिकोण: किसी समुदाय की महिलाओं, बच्चों, दिव्यांग व्यक्तियों एवं अन्य पिछड़े एवं वंचित समूहों की आपदाओं के प्रति सुनम्यता के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका है।

विशेषताएं

  • स्थानीय समुदाय पर ध्यान केंद्रित करना: यह आपदा प्रबंधन में स्थानीय समुदायों की केंद्रीय भूमिका की पहचान करता है, ताकि समाज के हाशिए के लोगों को भी योजना निर्माण के चरणों में सम्मिलित किया जा सके।
  • विकेंद्रीकृत, बॉटम-अप एवं गतिशील दृष्टिकोण- समुदायों एवं CBDM पेशेवरों द्वारा अनुभव, कार्यप्रणाली एवं उपकरणों को साझा किया जाना समुदाय आधारित इस प्रक्रिया को और समृद्ध बनाता है।
  • एकीकृत दृष्टिकोण: CBDM, समुदाय को निर्णयन तथा कार्यान्वयन प्रक्रियाओं का व्यापक अंतरण करने के साथ वैज्ञानिक एवं वस्तुनिष्ठ जोखिम मूल्यांकन तथा योजना निर्माण को एकीकृत करता है।
  • क्षमता विकास एवं प्रशिक्षण: इसके अंतर्गत CBDM प्रक्रियाओं को सुदृढ़ बनाने हेतु विभिन्न हितधारकों का निरंतर क्षमता विकास सम्मिलित है।

लचीली (रिज़िल्यन्ट) आपदा तैयारियों हेतु CBDM का महत्व:

  • स्थानीय समाधान: CBDM स्थानीय समाधानों को प्रोत्साहन देता है तथा प्रबंधन रणनीति में पारंपरिक ज्ञान के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • लागत प्रभावी: समुदाय के सदस्य समुदाय के भीतर (मुख्यतः श्रम) तथा बाहर से संसाधनों को जुटा सकते हैं, ताकि आपदा तैयारियों एवं शमन को लागत प्रभावी बनाया जा सके।
  • प्रथम अनुक्रियाकर्ता तथा अंत तक मौजूद: आपदा के दौरान समुदाय अनुक्रियाकर्ताओं की अग्रिम पंक्ति में शामिल होता है, साथ ही सभी एजेंसियों के निर्गमन के पश्चात भी पुनर्निर्माण संबंधी गतिविधियों को अंतिम चरण तक जारी रखता है।
  • सामाजिक सामंजस्य एवं सहयोग को सुदृढ़ करता है: यह आपदा तैयारियों तथा शमन सहित अन्य किसी भी कार्यक्रम के लिए व्यक्तियों, परिवारों, समुदायों के मध्य विश्वास का निर्माण करता है।
  • सुनम्यता में सुधार: समुदाय आधारित कार्य योजना एवं प्रशिक्षण, समुदाय के समस्या समाधान करने के कौशल में सुधार करते हैं। इससे CBDM में संधारणीयता प्राप्त करने में मदद मिलती है।
  • उत्तरदायित्व में वृद्धि: आपदा जोखिम न्यूनीकरण योजना का उत्तरदायित्व सक्षम स्थानीय लोगों के हाथों में होता है, जो संबंधित अधिकारियों एवं अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर कार्य करने में सक्षम होते हैं।
  • CBDM के कुछ सफल उदाहरण हैं – काठमांडू वैली अर्थक्वेक रिस्क मैनेजमेंट प्रोजेक्ट, बांग्लादेश अर्बन डिजास्टर मिटिगेशन प्रोजेक्ट।

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