भारत में मादक पदार्थ : मादक पदार्थों की तस्करी, संगठित अपराध और आतंकवाद के मध्य संबंध

प्रश्न: मादक पदार्थों की तस्करी, संगठित अपराध और आतंकवाद के मध्य संबंधों को उदाहरण प्रस्तुत करते हुए समझाइए। इस संबंध में, भारत में मादक पदार्थों की उपलब्धता पर अंकुश लगाने हेतु उठाए गए कदमों का उल्लेख कीजिए।

दृष्टिकोण

  • संगठित अपराध को परिभाषित करते हुए उत्तर आरंभ कीजिए।
  • संगठित अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद के मध्य अंतर्संबंधों पर उदाहरण सहित चर्चा कीजिए।
  • भारत में मादक पदार्थों सम्बन्धी खतरों के नियंत्रण हेतु किये गए प्रयासों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

  • संगठित अपराध के तहत विस्तृत तथा शक्तिशाली नेटवर्क समूहों द्वारा नियोजित एवं नियंत्रित आपराधिक गतिविधियां तथा
  • व्यापक स्तर पर इन गतिविधियों का संचालन शामिल हैं।
  • संगठित अपराध अधिकांशत: समूह आधारित होता है तथा इसमें मुख्यतः मादक पदार्थों की तस्करी, मानव दुर्व्यापार, धन शोधन, हथियारों का अवैध व्यापार इत्यादि आपराधिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं।
  • अनेक बार संगठित अपराध आतंकवाद हेतु मुख्य आधार प्रदान करता है।

संगठित अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद के मध्य अंतर्संबंध

  •  आपराधिक संगठनों द्वारा आय के प्रमुख स्रोत के रूप में मादक पदार्थों की तस्करी की जाती है। संगठित अपराध द्वारा अर्जित धन का उपयोग मुख्य रूप से आतंकी वित्तपोषण में किया जाता है।
  • अपनी गतिविधियों का वित्तपोषण करने हेतु तालिबान द्वारा अफीम उत्पादन पर नियंत्रण स्थापित किया गया था तथा म्यांमार के सशस्त्र नृजातीय समूह स्वापक औषधियों का उत्पादन और व्यापार करके वित्त की व्यवस्था करते थे।
  • हाल ही में, आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण में संलिप्त पाए जाने के कारण पाकिस्तान को FATF की निगरानी सूची के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है।
  • आतंकी गतिविधियों हेतु वित्तपोषण के अतिरिक्त, आतंकवादियों और संगठित अपराधियों की गतिविधियां प्रायः एक दूसर सुदृढ़ करती हैं, जहां आतंकवादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संगठित अपराध से सम्बन्धित गतिविधियों जैसे कि दुर्व्यापार, तस्करी, जबरन वसूली आदि में संलग्न होते हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा, स्थिरता एवं सामाजिक और आर्थिक विकास को कमजोर करते हैं।
  • तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों के संचालन में संगठित आपराधिक समूह, ड्रग तस्करों का एक माध्यम के रूप में प्रयोग करते हैं।
  • भारत (मुंबई) और पाकिस्तान (कराची) के प्रमुख बंदरगाहों और उसके आस-पास के क्षेत्रों में लोगों, हथियारों और विस्फोटकों की अवैध आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए कुछ शक्तिशाली संगठित अपराध समूह आतंकी समूहों के साथ मिलकर कार्यरत हैं।
  • इसके विपरीत, संगठित अपराध समूह द्वारा अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु हिंसा के रणनीतिक उपयोग सहित आतंकवादी युक्तियों का भी उपयोग कर सकते है।
  • हथियारों या जाली दस्तावेजों और आतंकवादी समूहों द्वारा हमलों में प्रयोग होने वाली सामग्री एवं आतंकियों के संचालन में संगठित अपराध नेटवर्क का प्रयोग किए जाने की अत्यधिक संभावना होती है। भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में, सशस्त्र उग्रवादी समूहों द्वारा धन जुटाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ और शस्त्र संगठनों का प्रयोग किया जाता है। कश्मीर में जाली मुद्रा, हवाला लेनदेन आदि संगठित अपराध के माध्यम हैं, आतंकवाद को आर्थिक संरक्षण प्रदान करने के लिए इनका उपयोग किया जाता है।

पूर्व में गोल्डन ट्राइएंगल और पश्चिम में गोल्डन क्रीसेंट के क्षेत्रों में उत्पादित स्वापक औषधियों के आवगमन हेतु भारत एक पारगमन बिंदु है। क्षेत्र में स्वापक औषधियों के उपभोग में वृद्धि तथा इनके द्वारा स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था तथा कानून और व्यवस्था के समक्ष उत्पन्न खतरे भी क्षेत्रीय असुरक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं।

भारत में मादक पदार्थों की समस्या से निपटने के लिए उठाए गए कदम हैं – 

  • वैधानिक उपाय : इनमें तीन केंद्रीय अधिनियम शामिल हैं- औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940, स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985, और स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थो का अवैध व्यापार निवारण अधिनियम, 19881
  • संस्थागत उपाय : इन अधिनियमों को संचालित करने के लिए समन्वय और प्रवर्तन एजेंसी के रूप में 1986 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की स्थापना की गई थी।
  • अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय : भारत ने संगठित अपराध और अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थों तस्करी से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र और सार्क के विभिन्न अंतरराष्ट्रीय अभिसमयों की पुष्टि की है, उदा- संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन। भारत ने संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODS) के नेतृत्व में वैश्विक प्रयासों का भी समर्थन किया है ताकि मादक दवाओं के खतरे को रोका जा सके।
  • अंतर-सरकारी पहलें: भारत नेपाल, थाईलैंड और म्यांमार के साथ विभिन्न पहलों में शामिल हुआ है। साथ इसने इस क्षेत्र के देशों के साथ संयुक्त आतंकवाद रोधी कार्य समूहों और न्यायिक सहयोग में भी सहभागिता की है।
  • नीतिगत उपाय : भारत द्वारा स्वापक औषधियों और मनःप्रभावी पदार्थों पर राष्ट्रीय नीति तैयार की गयी है जिसमें मांग और आपूर्ति में कटौती करने पर समान बल दिया गया है।
  • मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए सीमा और तटीय सुरक्षा में वृद्धि करना।
  • केंद्र सरकार द्वारा व्यसनियों के लिए एकीकृत पुनर्वास केंद्रों की स्थापना एवं सञ्चालन हेतु स्वैच्छिक संगठनों को 90% तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • नागरिकों में मादक पदार्थों के सेवन के दुष्प्रभावों और पुनर्वास केंद्रों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना।

मादक पदार्थों के तस्करों को और अपराधियों के अंतर्राष्ट्रीय विनिमय को रोकने हेतु पड़ोसी देशों के घरेलू कानूनों के मध्य समन्वय और सुसंगतता सुनिश्चित करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। भारत को समुद्री मार्ग के माध्यम से भी मादक पदार्थों की तस्करी से संभावित खतरों से निपटने के लिए एकसमान रणनीतियों को विकसित करने पर बल देना चाहिए।

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