सागर अधस्तल विस्तार सिद्धांत : प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत भूपर्पटी संचलन की एक व्याख्या
प्रश्न: महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत और वैश्विक भूकंपीयता के बारे में सूचना के साथ सागर अधस्तल विस्तार सिद्धांत को संयोजित करने से, प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत भूपर्पटी संचलन की एक सुसंगत व्याख्या प्रदान करता है। चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण
- चर्चा कीजिए कि किस प्रकार प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत भूपर्पटी के संचलन की प्रक्रिया की व्याख्या करता है।
- संक्षेप में महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत, सागर अधस्तल विस्तार और वैश्विक भूकम्पता (सिस्मिसिटी) की व्याख्या कीजिए।
- साथ ही, बताइए कि किस प्रकार प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत,सागर अध:स्तल विस्तार सिद्धांत और वैश्विक भूकंपता के संबंध में जानकारी को समाविष्ट करता है।
उत्तर
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी का स्थलमण्डल (लिथोस्फीयरे)7 प्रमुख एवं कई छोटी विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जिनका निर्माण महाद्वीपीय तथा महासागरीय, दोनों पर्पटियों से हुआ है। ये प्लेटें दुर्बलता-मण्डल (एस्ठेनोस्फीयर) पर कठोर इकाइयों के रूप में क्षैतिज संचलन करती हैं। दुर्बलता-मण्डल पृथ्वी के मैंटल की ऊपरी परत है जिसका निर्माण अधिकांशत: पिघली हुई चट्टानों से हुआ है। पृथ्वी के सम्पूर्ण इतिहास के दौरान विश्व भर में ये प्लेटें निरंतर संचलन करती रही हैं तथा भविष्य में भी संचलन करती रहेंगी।
वेगनर द्वारा प्रस्तावित महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के अनुसार आरंभ में सभी महाद्वीप पैंजिया नामक एकल महाद्वीपीय संहति के रूप में थे तथा पैंथालासा नामक अतिविशाल महासागर से आबद्ध थे। लगभग 200 मिलियन वर्ष पहले पैंजिया दो विशाल महाद्वीपीय संहतियों – लॉरेसिया और गोंडवानालैंड में एवं कालांतर में ये छोटे महाद्वीपों में टूट गए जो आज भी विद्यमान हैं। महाद्वीपों के विस्थापन के लिए उत्तरदायी संचलन उत्प्लावन तथा ज्वारीय- बल का परिणाम है। तट रेखाओं की जिग्सा फिट आकृति, चट्टानों में आयु की समानता तथा विभिन्न महाद्वीपों में एक जैसे जीवाश्म इस सिद्धांत के साक्ष्य हैं।
हालांकि, वेगनर के विपरीत,अब प्लेट-विवर्तनिकी सिद्धांत से यह स्पष्ट हो गया है कि संचलन महाद्वीपों के बजाय स्थलमण्डलीय प्लेटों का हुआ था तथा महाद्वीप इन प्लेटों के भाग हैं। विवर्तनिक प्लेटें संचलन करने में इसलिए सक्षम हैं ,क्योंकि आधारिक दुर्बलता-मण्डल की तुलना में पृथ्वी के स्थलमण्डल में अधिक यांत्रिक शक्ति है।
इसकी व्याख्या हैरी हैस के सागरीय अधस्तल सिद्धांत द्वारा की गयी है जिसके अनुसार मध्य महासागरीय कटकों पर ज्वालामुखी गतिविधियों के कारण नई महासागर भूपर्पटी का निर्माण होता है जो धीरे-धीरे कटक से दूर चली जाती है। महासागरों के मध्य में ये कटक मैग्मा पार-भेदन का परिणाम हैं जो सागरीय अधस्तल के अलग होने के स्थान पर अपसारी सीमा का निर्माण करते हैं।
पृथ्वी के आंतरिक भाग में गहराई पर तत्वों के रेडियोधर्मी क्षय से उत्पन्न होने वाली ऊष्मा दुर्बलता-मण्डल में मैग्मा (पिघले हुए शैल) का निर्माण करती है। दुर्बलता-मण्डल में विशाल संवहनी धाराएँ सतह पर ऊष्मा को स्थानांतरित करती हैं, जहां कम सघन मैग्मा के स्तंभ (plumes)विस्तारण केंद्रों(spreading centers)पर प्लेटों को तोड़ देते हैं और इस प्रकार अपसारी प्लेट सीमाओं का निर्माण होता है।
जब महासागरीय प्लेटें अपसरित या अभिसरित होती हैं तो तनाव से स्थलमण्डल में भ्रंशन होने लगता है। यह विवर्तनिक गतिविधि भूकंप के रूप में प्रकट होती है। पृथ्वी पर अधिकांश भूकंपता प्लेट सीमाओं पर उत्पन्न होती हैं। हालांकि जब प्लेट में तनाव उत्पन्न होता है तो अंत: प्लेट भूकम्पता का सृजन भी हो सकता है। भूकंपीय आंकड़ों से इस संबंध में हमें महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है कि क्या प्लेटों का संचलन अभिसारी है, अर्थात, क्या वे एक-दूसरे की ओर बढ़ रही हैं; या अपसारी है, अर्थात, क्या वे दूर जा रही हैं अथवा संरक्षी है अर्थात, क्या वे परस्पर घर्षण कर रही हैं।
इस प्रकार, प्लेट विवर्तनिकी का सिद्धांत, वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत तथा हैस के सागरीय अधस्तल विस्तार सिद्धांत का अभिसरण एवं भूकंपीय आँकड़ों का संश्लेषण है। इसके अंतर्गत महाद्वीपों और महासागरों के ऐतिहासिक भूगोल और भू-आकृतियों के निर्माण एवं विनाश को नियंत्रित करने वाली प्रक्रियाओं को व्यापक रूप से समझाया गया है।
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