सामाजिक वानिकी : सामाजिक-आर्थिक महत्व

प्रश्न : सामाजिक वानिकी से आप क्या समझते हैं? भारत के लिए इसके सामाजिक-आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालिए।

दृष्टिकोण:

  • सामाजिक वानिकी के संक्षिप्त विवरण के साथ उत्तर आरंभ कीजिए।
  • साथ ही सामाजिक वानिकी के विभिन्न प्रकारों को रेखांकित कीजिए।
  • भारत के लिए इसके सामाजिक-आर्थिक महत्व की चर्चा कीजिए।

उत्तर:

सामाजिक वानिकी का तात्पर्य पर्यावरणीय, सामाजिक और ग्रामीण विकास में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से वनों का संरक्षण एवं प्रबंधन तथा ऊसर भूमि पर वनीकरण से है। राष्ट्रीय कृषि आयोग ने सामाजिक वानिकी को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया है:

  • शहरी वानिकी- इसके अंतर्गत शहरों और उसके निकट निजी व सार्वजनिक भूमि जैसे- हरित पट्टी, पार्कों, सड़कों के किनारे, औद्योगिक व व्यापारिक स्थलों पर वृक्षारोपण एवं उनका प्रबंधन शामिल किया जाता है।
  • ग्रामीण वानिकी– इसमें कृषि-वानिकी तथा सामुदायिक-वानिकी को बढ़ावा दिया जाता है।
  • कृषि वानिकी– इसके अंतर्गत कृषि योग्य और बंजर भूमि पर वृक्ष एवं फसलों को एक साथ उगाया जाता है।
  • सामुदायिक वानिकी- इसके अंतर्गत सार्वजनिक अथवा सामुदायिक भूमि जैसे गाँव चारागाह, मंदिर भूमि, सड़कों के किनारे, रेलवे लाइन के किनारे पट्टी के रूप में तथा विद्यालयों इत्यादि में वृक्षारोपण करना सम्मिलित है।
  • फार्म वानिकी- इसमें किसानों द्वारा अपनी कृषि भूमि पर वाणिज्यिक एवं गैर-वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए वृक्ष लगाए जाते हैं।

सामाजिक-आर्थिक महत्व

  • यह किसानों को आय का अतिरिक्त स्रोत प्रदान करेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसरों में वृद्धि करेगा। 
  • सामुदायिक वानिकी भूमिहीन वर्गों के लोगों को वृक्षारोपण में संलग्न करके उनके हितों को बढ़ावा देती है तथा इस प्रकार उन्हें उन लाभों को प्राप्त करने में सहायता प्रदान करती है जो अन्यथा भूस्वामियों तक ही सीमित रहते हैं।
  • इसके अतिरिक्त, व्यावसायिक उद्देश्यों हेतु वृक्षारोपण से कृषि-व्यवसायों के लिए भोजन, चारा, ईंधन, लकड़ी व फल इत्यादि जैसे कच्चे माल की आपूर्ति में वृद्धि होगी।
  • इससे मनोरंजक गतिविधियों तथा सुख-सुविधाओं के महत्व में वृद्धि होगी या ग्रामीण जीवन के अनुरक्षण के संदर्भ में लाभ प्राप्त होगा।
  • यह लोगों को वनों के साथ सद्भावनापूर्वक निवास करने को प्रोत्साहित करती है; संधारणीय कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है तथा इस प्रकार, हमें जलवायु परिवर्तन का सामना करने में सक्षम बनाती है।
  • यह स्थान के वातावरण को संतुलित करके लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करती है। उदाहरण के लिए, शहरी वानिकी ऊष्मा द्वीपों (heat islands) की बढ़ती संख्या आदि को कम करने में सहायता प्रदान करेगी।

सामाजिक वानिकी के महत्व को पहचानते हुए सरकार वर्ष 2014 में राष्ट्रीय कृषि नीति को लेकर आई। साथ ही, गुजरात जैसे कुछ राज्यों द्वारा इस संबंध में कुछ अन्य पहले भी की गई हैं। इसके द्वारा वर्ष 1969-70 में सामाजिक वानिकी कार्यक्रम आरंभ किया गया और सामाजिक वानिकी प्रभाग स्थापित किए गए। भारत में सामाजिक वानिकी की संभावनाओं को साकार बनाने हेतु जमीनी स्तर की भागीदारी के साथ-साथ ऐसी कई पहले भी की जानी चाहिए।

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