साख सृजन : प्रक्रिया व महत्वपूर्ण कारक

प्रश्न: अर्थव्यवस्था में बैंकिंग प्रणाली द्वारा साख सृजन की क्रियाविधि को स्पष्ट कीजिए। ऐसे कौन-से कारक हैं जो इस तरह के साख सृजन को सीमित करते हैं?

दृष्टिकोण:

  • साख सृजन पर संक्षिप्त टिप्पणी करते हुए उत्तर आरंभ कीजिए।
  • साख सृजन के निर्धारण से संबद्ध महत्वपूर्ण कारकों की विवेचना कीजिए।
  • साख सृजन की प्रक्रिया की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  • बैंकों द्वारा किए जाने वाले साख सृजन को सीमित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।

उत्तरः

साख सृजन वाणिज्यिक बैंकों द्वारा जमाओं का निर्माण करके ऋणों और अग्रिमों में वृद्धि की क्षमता को संदर्भित करता है। वाणिज्यिक बैंक ऋण प्रदान करके और प्रतिभूतियों की खरीद करके साख सृजन करते हैं। व्यक्तियों और व्यवसायों को प्रदत्त की जाने वाली ऋण की राशि इन बैंकों द्वारा धारित जनता की जमा राशि से प्राप्त होती है। बैंकों के लिए अनिवार्य है कि वे इन जमाराशिओं के एक निश्चित भाग को जमाकर्ताओं की नकद संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु आरक्षित रखें और सार्वजनिक जमाओं के केवल शेष भाग को ही ऋण के रूप में दें।

साख सृजन की क्रियाविधि:

मान लीजिए कि बैंक X का ग्राहक इस बैंक में 1000 रुपये जमा करता है। बैंक X 20 प्रतिशत का नकद भंडार अर्थात 200 रुपये आरक्षित रखता है और शेष धनराशि अर्थात 800 रुपये का उपयोग अपने किसी ग्राहक को ऋण प्रदान करने हेतु करता है। बैंक X से प्राप्त इस राशि का उपयोग उधारकर्ता किसी व्यापारी से वस्तुओं को खरीदने में करता है और बैंक X पर चेक जारी करके भुगतान करता है। मान लीजिए कि इस व्यापारी का बैंक Y में खाता है। यह 800 रुपये के इस चेक को बैंक X से एकत्र किए जाने के लिए बैंक Y में जमा करेगा।

इस प्रकार, 800 रुपये बैंक X से बैंक Y में स्थानांतरित किए जाएंगे। बैंक Y भी 20 प्रतिशत अर्थात 160 रुपये आरक्षित रखता है और उसके पास 640 रुपये की शेष धनराशि बच जाती है, जो यह किसी अन्य ग्राहक को ऋण के रूप में दे देता है। इस तरह के एक अन्य लेन-देन में, बैंक Z के पास 512 रुपये ऋण हेतु शेष रह जाएंगे। इस प्रकार 1000 रुपये की प्रारंभिक जमा राशि के परिणामस्वरूप तीन बैंकों द्वारा (1000+800+640+512)= 2952 रुपये की जमा राशि का सृजन किया गया है। इस प्रकार संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली नई जमाओं का निर्माण करने में सक्षम होगी। इस प्रक्रिया के माध्यम से साख सृजन होता है।

बैंक की साख सृजन प्रक्रिया इस धारणा पर आधारित है कि किसी भी समय अंतराल के दौरान, इसके ग्राहकों में से केवल कुछ को वास्तव में नकदी की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, बैंक मानता है कि इसके सभी ग्राहक एक ही समय बिंदु पर अपनी जमा राशि के विरुद्ध नकदी की मांग नहीं करेंगे।

साख सृजन को सीमित करने वाले कारक:

  • वाणिज्यिक बैंकों के पास लोगों की जमा के रूप में नकदी की मात्रा जितनी अधिक होगी उतना ही अधिक साख सृजन होगा। अतः उपलब्ध जमा राशि की कम मात्रा साख सृजन को सीमित करती है।
  • नकद आरक्षित अनुपात साख सृजन को प्रभावित करता है। अनुपात जितना कम होता है, साख सृजन की क्षमता उतनी ही अधिक होती है।
  • साख सृजन की प्रक्रिया तभी आरम्भ होती है जब उधारकर्ता ऋण प्रयोजनों के लिए बैंक से मांग करते हैं। इसलिए विश्वसनीय उधारकर्ताओं की संख्या साख सृजन को प्रभावित करती है।
  • एक वाणिज्यिक बैंक स्वीकृत प्रतिभूतियों के विरुद्ध ऋण प्रदान करता है। साथ ही, प्रतिभूतियों का मूल्य ऋण की राशि के बराबर होना चाहिए। यहां तक कि यदि बैंक के पास साख सृजन करने के लिए एक व्यापक नकद आधार है, तो भी वह स्वीकार्य प्रतिभूति प्राप्त न होने पर उधार नहीं देगा।
  • साख सृजन प्रक्रिया अतिरिक्त आरक्षित निधि या मुद्रा अपवाह के रूप में नकदी की निकासी से प्रभावित हो सकती है।
  • मुद्रास्फीति, मंदी आदि बैंकों की व्यावसायिक स्थितियां भी साख सृजन प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं।

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