राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) : इसके समक्ष उपस्थित चुनौतियों पर चर्चा
प्रश्न: जहां राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण भारत की प्रमुख आतंक अन्वेषण अभिकरण के रूप में उभर रही है, वहीं इसके समक्ष बहुआयामी चुनौतियां भी हैं। चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण
- राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA), इसके अधिदेश और उद्देश्यों का संक्षिप्त परिचय देते हुए उत्तर का आरम्भ कीजिए।
- अभिकरण की कुछ उपलब्धियों के संबंध में चर्चा कीजिए।
- इसके समक्ष उपस्थित चुनौतियों पर चर्चा कीजिए और बताइए कि उन चुनौतियों का समाधान किस प्रकार किया जा सकता है।
उत्तर
26 नवंबर, 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद दिसंबर, 2008 में भारतीय संसद द्वारा NIA अधिनियम, 2008 पारित किया गया तथा इस प्रकार राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) की स्थापना की गयी। इसे भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने वाले अपराधों के अन्वेषण और अभियोजन के लिए गठित किया गया है। NIA, राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन अभिकरण की भूमिका निभाता है।
इसकी स्थापना के बाद से ही, NIA को एक नई संस्था के निर्माण तथा आतंकवाद, उग्रवाद, आतंकवाद के वित्तपोषण (भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक जटिल प्रभाव) से संबंधित मामलों के अन्वेषण की दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ा है। हालाँकि इसके बाद भी NIA भारत में आतंकवाद से जुड़े मामलों के अन्वेषण हेतु एक प्रमुख अभिकरण के रूप में उभरा है।
यह निम्नलिखित उपलब्धियों से परिलक्षित होता है:
- अभिकरण द्वारा जिन मामलों का अन्वेषण किया गया है उनमें दोषसिद्धि की दर 95 प्रतिशत रही है।
- NIA द्वारा 185 मामलों का अन्वेषण पूरा किया गया और 148 मामलों में आरोप पत्र (चार्ज शीट) दायर किए गए हैं।
- अलगाववादी समूहों और नेताओं के वित्त पोषण के पता लगाने एवं निगरानी के माध्यम से इसने अलगाववादी समूहों को होने वाली धन की आपूर्ति को सफलतापूर्वक बाधित किया है।
- आरंभ में यह दिल्ली आधारित संगठन था, परन्तु वर्तमान में NIA की हैदराबाद, गुवाहाटी, मुंबई, कोच्चि, लखनऊ, कोलकाता, रायपुर और जम्मू में पूर्ण संचालित शाखाएं स्थापित हो चुकी हैं।
- इसने नवंबर, 2008 के मुंबई हमलों के पीछे की बड़ी साजिश का पता लगाने में सहायता की थी।
- एजेंसी ने नकली भारतीय मुद्रा (FICN) और आतंकी वित्त पोषण के मामलों से निपटने के लिए TFFC सेल के रूप में एक अलग पृथक विशेषीकृत इकाई की भी स्थापना की है।
- पूर्वोत्तर में चरमपंथी प्रवृतियों और जम्मू-कश्मीर में पत्थर-बाजी की घटनाओं में कमी के लिए भी NIA को श्रेय दिया गया
- यह नेपाल में एक कुख्यात संदिग्ध आतंकवादी को ट्रैक करने और पकड़ने के लिए खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय करने में सफल रही है।
NIA द्वारा अनुभव की जाने वाली चुनौतियां
- उच्चस्तरीय पेशेवर कार्यबल की कमी, अभिकरण के एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है।
- प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया, आतंकवाद से निपटने में नई चुनौतियां उत्पन्न कर रहे हैं।
- राज्यों में स्थानीय पुलिस के साथ समन्वय के मुद्दे को और अधिक सुव्यवस्थित किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि कानून और व्यवस्था राज्य सूची का विषय है।
- कभी-कभी, आतंकवादी मामलों की विदेशों से संलग्नता होती है। विदेशी खुफिया एजेंसियों के साथ सहयोग न होने की स्थिति में ये NIA के नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं।
- कुशल खुफिया एजेंसियों की अनुपस्थिति में, NIA का अन्वेषण संबंधी कार्य कठिन हो गया है।
आगे की राह
आतंकवादी मामलों के संदर्भ में NIA वास्तविक रूप में एक राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण के रूप में उभर रहा है। इसे और अधिक सशक्त बनाया जाना समय की आवश्यकता है।
- जटिल आतंकवादी मामलों से प्रभावी ढंग से निपटने हेतु NIA को पर्याप्त सक्षम कार्यबल की आवश्यकता है।
- आसूचना संग्रह, समन्वय और परिचालन को सुदृढ़ बनाने हेतु राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र (NCTC) की स्थापना पर विचार किया जाना चाहिए।
- उचित रूप से आतंकवादी मामलों की जांच और अभियोजन के लिए अधिक अनुकूल तंत्र विकसित करने हेतु इसे एक स्पष्ट एवं अनन्य चार्टर प्रदान किया जाना चाहिए तथा नए कानूनों को लागू अथवा मौजूदा कानूनों को संशोधित किया जाना चाहिए।
- NIA को साइबर स्पेस से उत्पन्न होने वाले खतरों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी और क्षमता का विकास करना चाहिए।
- यह पेशेवर और वैज्ञानिक अन्वेषण उपकरण के विकास में सहायक होगा।
- सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को सीखने और साझा करने के लिए अन्य देशों की संघीय अन्वेषण अभिकारणों के साथ NIA के सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
- साथ ही आतंकवाद से संबंधित आसूचना साझाकरण समझौते पर अन्य देशों के साथ हस्ताक्षर किए जाने चाहिए।
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