उन्नीसवीं शताब्दी में राष्ट्रवाद की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन

प्रश्न: उन विभिन्न प्रक्रियाओं की चर्चा कीजिए जिनके माध्यम से उन्नीसवीं शताब्दी के यूरोप में राष्ट्र-राज्य और राष्ट्रवाद अस्तित्व में आया। (250 शब्द)

दृष्टिकोण

  • उन्नीसवीं शताब्दी में राष्ट्रवाद की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  • उन सभी कारकों की चर्चा कीजिए जिनके कारण यूरोप में उन्नीसवीं शताब्दी में राष्ट्र-राज्यों और राष्ट्रवाद का उदय हुआ।

उत्तर

उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान राष्ट्रवाद एक मुख्य प्रेरक शक्ति के रूप विकसित हुआ, जिसने न केवल यूरोप के राजनीतिक तथा बौद्धिक दृष्टिकोण में व्यापक परिवर्तन किया बल्कि तत्कालीन राजवंशात्मक साम्राज्यों के स्थान पर आधुनिक राष्ट्र-राज्यों के उदय में भी सहायता प्रदान की। उन्नीसवीं शताब्दी में यूरोप में राष्ट्र-राज्यों एवं राष्ट्रवाद के उद्भव के लिए उत्तरदायी विभिन्न प्रक्रियाएं निम्नलिखित हैं

  • फ्रांसीसी क्रांति 1789: यह राष्ट्रवाद की प्रथम स्पष्ट अभिव्यक्ति थी, जिसके द्वारा संप्रभुता राजा से फ्रांसीसी नागरिकों में स्थानांतरित हो गई तथा सभी के लिए एक समान विधियों एवं अधिकारों सहित लोगों में सामूहिक पहचान की भावना का विकास हुआ। लोगों की इन मांगों ने, फ्रांस की सेना के लिए ऐसे विभिन्न शहरों में प्रवेश कर राष्ट्रवाद की भावना के प्रसार का मार्ग प्रशस्त किया।
  • नए मध्यम वर्ग का उदय: उन्नीसवीं शताब्दी में, अभिजात्य वर्ग के विशेषाधिकारों के समापन के पश्चात, एक सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से प्रबुद्ध वर्ग का विकास हुआ। इसने औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप उभरे नए उदार शिक्षित मध्यम वर्ग में राष्ट्रीय एकता का विचार उत्पन्न किया। इस नए मध्यम वर्ग ने राजनीतिक तथा वित्तीय क्षेत्रों में सुधार यथा सहमति के माध्यम से सरकार का संचालन, निजी संपत्तियों की अनुल्लंघनीयता एवं बाजारों की स्वतंत्रता आदि पर बल दिया।
  • नया वाणिज्यिक वर्ग: इस वर्ग द्वारा वस्तुओं और पूंजी के मुक्त आवागमन के लिए एकीकृत आर्थिक क्षेत्र की स्थापना पर बल दिया गया। आर्थिक राष्ट्रवाद की इस लहर और रेलवे नेटवर्क द्वारा वृद्धिशील गतिशीलता ने संयुक्त रूप से तत्कालीन राष्ट्रवादी भावनाओं को अत्यधिक सशक्त किया।
  • नेतृत्व की भूमिका: उदाहरण के लिए, नेपोलियन द्वारा सम्पूर्ण यूरोप को अपने सैन्य अभियानों के द्वारा एकीकृत स्वरूप प्रदान किया गया। इस नवीन अवधारणा ने लोगों में संबद्धता एवं एकता की भावना उत्पन्न की, जिसने राष्ट्रवाद को प्रोत्साहन प्रदान किया।
  • क्रांतिकारियों की भूमिका: दमन के भय से कई उदार राष्ट्रवादी भूमिगत हो गए। इन्होंने अनेक गुप्त संगठनों का निर्माण किया और क्रांतिकारियों को प्रशिक्षित किया। इन क्रांतिकारियों ने राष्ट्र राज्य के निर्माण को अपने संघर्ष के एक आवश्यक अंग के रूप में स्वीकार किया। इन क्रांतिकारियों द्वारा यूरोप के अनेक भागों यथा इटली और जर्मनी के राज्यों, आयरलैंड एवं तुर्की साम्राज्य के प्रांतों आदि में विभिन्न क्रांतियों का नेतृत्व किया गया।
  • इटली एवं जर्मनी का एकीकरण: इन दोनों देशों ने स्वतंत्रता और राष्ट्रवाद के क्रांतिकारी आदर्शों को आत्मसात किया और ये अपने राष्ट्रीय एकीकरण की आवश्यकता के प्रति सजग हो गये। इसने राष्ट्रवाद की अवधारणा का प्रसार किया और सम्पूर्ण यूरोप के मानचित्र को परिवर्तित कर दिया।
  • संस्कृति की भूमिका: कला, कविताओं, कथाओं एवं संगीत आदि ने भी सामूहिक विरासत तथा एक साझे सांस्कृतिक अतीत की भावना को उत्पन्न कर राष्ट्रवादी भावनाओं को आकार प्रदान किया। रूस के वर्चस्व के विरुद्ध पोलैंड में राष्ट्रीय प्रतिरोध के अस्त्र के रूप में भाषा का प्रयोग किया गया था।
  • कुछ अन्य कारकों जैसे निर्धनों, बेरोजगारों एवं भूखे कृषकों तथा श्रमिकों के विद्रोहों ने भी इस संघर्ष को तीव्रता प्रदान की।

इस प्रकार इन सभी कारकों ने निरंकुश राजतंत्रों की समाप्ति और एक नवीन उदारवादी राष्ट्रवादी व्यवस्था का मार्ग प्रशस्त किया।

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