राज्यों में केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती के कारणों का संक्षेप में उल्लेख

प्रश्न: राज्य में केंद्रीय सशक्त बलों की तैनाती एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। इसमें सम्मिलित मुद्दों का उल्लेख कीजिए और कुछ सुधारात्मक उपायों का सुझाव दीजिए।

दृष्टिकोण

  • राज्यों में केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती के कारणों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  • उन कारणों पर चर्चा कीजिए जिनसे राज्यों में केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती का मुद्दा विवादास्पद बना हुआ है।
  • सुधारात्मक उपायों का सुझाव दीजिए।

उत्तर

राज्यों में केन्द्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती मुख्यतः अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा करने, विद्रोह से निपटने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए या तो स्वतः संज्ञान से अथवा संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत राज्यों के अनुरोध पर की जाती है। यह एक विवादास्पद मुद्दा सिद्ध हुआ है क्योंकि: 

  • राज्यों का कहना है कि बिना अनुरोध के स्वतः संज्ञान से इन बलों की तैनाती, संघवाद की भावना और शक्तियों के उर्ध्वाधर पृथक्करण के विरुद्ध है।
  • कभी-कभी केंद्र सरकार द्वारा आरोप लगाया जाता है कि राज्यों द्वारा अपर्याप्त राज्य पुलिस कार्रवाई को कवर करने के रूप में केंद्रीय बलों को तैनात करने की मांग की जाती है। उदाहरण के लिए गोरखालैंड आंदोलन के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार ने अधिक CAPF कर्मियों की तैनाती के लिए अनुरोध किया था।
  • इससे राज्य सरकारों की अपनी सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए केंद्र सरकार पर निर्भरता, निरंतर बढ़ती जा रही है।
  • कुछ पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर के अशांत क्षेत्रों में AFSPA, 1958 को लागू करने का राज्य सरकारों, निवासियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा निरंतर विरोध किया गया है। उनके अनुसार इससे स्थानीय लोगों के मध्य भय की भावना व्याप्त होती है जोकि आगे चलकर मुद्दों के राजनीतिकरण का कारण बनती है।
  • केंद्रीय सशस्त्र बलों का प्राथमिक कार्य बाह्य आक्रमण से रक्षा करना है; आंतरिक अशांति के किसी भी रूप के विरुद्ध उनकी तैनाती विवादास्पद रही है।

इस सन्दर्भ में निम्नलिखित सुधारात्मक उपाय किए जा सकते हैं:

  • राज्यों में केंद्रीय सशस्त्र बलों के परिचालन हेतु मानक परिचालन प्रक्रिया का निर्माण किया जाना चाहिए।
  • केंद्रीय सशस्त्र बलों को केवल सुरक्षा संबंधी चिंताओं को समाप्त करने के लिए ही नियोजित किया जाना चाहिए, क्योंकि कानून व्यवस्था मुख्य रूप से राज्यों के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आती है।
  • राज्य पुलिस बलों को अधिक कुशल और विश्वसनीय बनाने के लिए उनका आधुनिकीकरण अधिक तीव्र गति से किया जाना चाहिए।
  • कानून व्यवस्था की स्थितियों में केंद्रीय पुलिस बलों की आवश्यकता और संख्या निर्धारित करने के लिए सुरक्षा लेखा परीक्षा (सिक्योरिटी ऑडिट) संपन्न की जानी चाहिए।
  • आंतरिक सुरक्षा खेतरों से निपटने के लिए राज्यों द्वारा उग्रवाद का सामना करने हेतु विशेष बलों जैसे अंतक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का सृजन किया जाना चाहिए।

इस प्रकार सदैव उपस्थित रहने वाली और विकसित होती आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए किसी भी स्थायी समाधान में राज्यों की क्षमता का सुदृढ़ीकरण और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की न्यायसंगत तैनाती को सम्मिलित किया जाना चाहिए।

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