रहस्योद्घाटन के गुणों की व्याख्या : कैसे रहस्योद्घाटन लोकतंत्र का एक भाग है ?
प्रश्न: जहाँ कुछ लोग यह तर्क देते हैं कि रहस्योद्घाटन से लोकतंत्र का निरादर होता है, वहीं अन्य लोगों का मत है कि रहस्योद्घाटन लोकतंत्र का एक भाग है। सरकारी कार्यालयों और व्हिसल ब्लोअरों द्वारा किये जाने वाले रहस्योद्घाटनों से सम्बद्ध जानकारी के सन्दर्भ में इन दोनों तर्कों के गुणों का परीक्षण कीजिए।
दृष्टिकोण
- संक्षेप में सूचनाओं के रहस्योद्घाटनों को समझाइए।
- उदाहरण के साथ सूचनाओं के रहस्योद्घाटन के गुणों की व्याख्या कीजिए कि कैसे रहस्योद्घाटन लोकतंत्र का एक भाग है।
- इसके अतिरिक्त उदाहरण के साथ इसके अवगुणों को समझाइए कि कैसे यह लोकतंत्र के लिए ख़तरा है।
- निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर
एक सूचनात्मक रहस्योद्घाटन को लोगों के बीच गोपनीय सूचना के स्वैच्छिक प्रकटीकरण के रूप में परिभाषित किया जाता है। यद्यपि व्हिसल ब्लोअर द्वारा सुरक्षित निर्दिष्ट चैनलों के माध्यम से ऐसी सूचना का रहस्योद्घाटन विधिक है, लेकिन नैतिकता का प्रश्न तब उठता है जब सूचना मीडिया के माध्यम से सीधे सार्वजनिक रूप से रहस्योद्घाटित हो जाती है।
इससे सम्बंधित कई मुद्दे हो सकते हैं जिनके आधार पर यह तर्क दिया जाता है कि यह एक अच्छा रहस्योद्घाटन है या बुरा। इन मुद्दों में लोगों के जानने के अधिकार से सम्बंधित चिंताएं, आर्थिक लाभ प्राप्त करना या किसी व्यक्ति या किसी समूह को शर्मिंदा या परेशान करना आदि शामिल होते हैं। यदि सूचना का प्रकटीकरण बिना किसी को नुकसान पहुचाएं सार्वजनिक हित के किसी मुद्दे पर लोगों की समझ में विस्तार करता है, तब इस प्रकटीकरण को इसके द्वारा प्राप्त किए जाने वाले उद्देश्य को देखते हुए नैतिक या अच्छा रहस्योद्घाटन माना जाएगा।
यदि महत्वपूर्ण सार्वजनिक हित संकटग्रस्त हो, जीवन एवं स्वास्थ्य के लिए जोखिम हो, धोखाधड़ी जैसे अपराध को अंजाम दिया जा रहा हो या सार्वजनिक संपत्ति का गलत तरीके से व्यय किया जा रहा हो, तब भी किसी महत्वपूर्ण मुद्दे की समझ को उजागर करने वाला एक रहस्योद्घाटन अच्छा हो सकता है, भले ही यह किसी को नुकसान पहुंचाता हो।
- कंप्यूटर विश्लेषक हर्वे फालसिआनी द्वारा किये गए स्विस लीक तथा पनामा एवं पैराडाइज पेपर लीक द्वारा काले धन के बारे में जन जागरुकता में वृद्धि हुई है। इसने कर कानूनों में व्याप्त कमियों को उजागर किया है, जिनका प्रयोग वैधानिक करों का भुगतान न करने के लिए किया गया।
- CIA कर्मचारी एडवर्ड स्नोडेन द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यापक निगरानी कार्यक्रम (PRISM प्रोजेक्ट) और क्रिस्टोफर वाइली द्वारा कैम्ब्रिज एनालिटिका के डेटा स्कैंडल के बारे में रहस्योद्घाटन और यहां तक कि आधार लीक व्हिसल ब्लोअर द्वारा किए गए रहस्योद्घाटन ने निजता संबंधी अधिकार, डेटा सुरक्षा और चुनावों की निष्पक्षता से संबंधित बहस को आधार प्रदान किया है।
यह तर्क दिया जा सकता है कि इस प्रकार के रहस्योद्घाटन लोकतंत्र के लिए अच्छे होते हैं क्योंकि व्यवस्था में कई समस्याएं होती हैं और ये व्यवस्था को स्वयं में सुधार करने का अवसर प्रदान करते हैं। आधिकारिक मामलों के रहस्योद्घाटन को तभी उचित ठहराया जा सकता है, जब इसे सार्वजनिक हित में किया जाए, निजी या विभागीय हित से संबंधित मामलों में नहीं। लोकतांत्रिक संस्थानों और सरकार को “रहस्योद्घाटन” के प्रति उन्मुख होने की आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार, किसी राज्य के प्रमुख हितों एवं व्यापक सार्वजनिक हितों में संतुलन, सभी पक्षों (विशेष रूप से सरकारी कर्मचारियों) और मीडिया द्वारा स्वयं पर प्रतिबन्ध आरोपित करने की मांग करता है।
गोपनीय सूचनाओं के सार्वजनिक डोमेन में रहस्योद्घाटन में यह भाव समाहित होता है कि राज्य द्वारा कोई नुकसान पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा था। इसमें यह पूर्व अनुमान भी निहित होता है कि किसी व्यक्ति द्वारा लिया गया निर्णय राज्य द्वारा लिए गए सामूहिक निर्णय से बेहतर है। इस प्रकार, कई बार रहस्योद्घाटित सूचना प्राप्त किए जाने वाले व्यापक उद्देश्यों को संकट में डाल देती है। उदाहरण के लिए, आंतरिक स्रोतों के माध्यम से विकीलीक्स द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के राजनयिक संदेशों के रहस्योद्घाटन से मध्य पूर्व में अमेरिकी सैन्य मिशन के समक्ष संकट उत्पन्न हो सकता था और यह उसके सैनिकों के जीवन को खतरे में डाल सकता था।
आमतौर पर, सूचनात्मक रहस्योद्घाटन सदैव एक खुले समाज का हिस्सा होता है। हालांकि, एक सुदृढ़ आंतरिक व्हिसल ब्लोइंग को प्रोत्साहित करना रहस्योद्घाटन को रोकने के एक प्रभावी तरीके के रूप में कार्य कर सकता है। लोग प्रायः व्यवस्था के भीतर कार्य करने का प्रयास करते हैं, लेकिन जब उच्च अधिकारी किसी अवैध आचरण को स्वीकार करते हैं और इसके बारे में कुछ भी करने से इनकार कर देते हैं, या जब किसी व्यक्ति को मुद्दों को संज्ञान में लाने के लिए प्रतिशोध का सामना करना पड़ता है, तब उसके पास एकमात्र विकल्प शेष रहता है वह है जनता के बीच जाना। इस मुद्दे का समाधान करने के लिए सार्वजनिक एजेंसियों को RTI अधिनियम, 2005 के प्रासंगिक खंडों के तहत अग्रसक्रिय रूप से सूचना के प्रकटीकरण का सहारा लेना चाहिए।
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