राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम (National Quality Assurance Program: NQAP)

विगत एक वर्ष में राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम (National Quality Assurance Program: NQAP) के तहत महत्वपूर्ण प्रगति हुई है और राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाणित सुविधा केन्द्रों (National quality certified facilities) की संख्या एक वर्ष (2016-2017) में 13 से बढ़कर 59 अर्थात् तीन गुना से अधिक हो गई है।

गुणवत्ता आश्वासन के लिए संगठनात्मक संरचना:

  • कई राज्यों में राज्य गुणवत्ता आश्वासन समितियों का गठन किया गया है, लेकिन अभी तक जिला स्तरीय समितियों का
    गठन नहीं किया गया है।
  • समितियों की नियमित बैठकें नहीं हो रही हैं।
  • इसके अतिरिक्त, रिक्त पद और समर्पित मानव संसाधनों की नौकरी छोड़ने की उच्च दर कार्यक्रम के कार्यान्वयन को
    प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं।

मुख्य प्रदर्शन संकेतकों (KPI) का मापन : विगत वर्ष की तुलना में, संकेतकों में शामिल किये जाने वाले सुविधा केन्द्रों की संख्या में वृद्धि हुई है। हालांकि, महत्वपूर्ण समस्या यह है कि इन संकेतकों का उपयोग करके किसी कार्य योजना का निर्माण
नहीं किया जा रहा है।

वैधानिक और विधिक अनुपालन: NQAS के अनुसार किसी सुविधा केंद्र के लिए कुछ महत्वपूर्ण अनुमोदन या प्रमाणन प्राप्त
करना अनिवार्य है। सामान्यतः यह पाया गया है कि फायर सेफ्टी का अनुपालन (फायर विभाग से NoC), AERB विनियमन और कुछ मामलों में BMW (उदाहरण के लिए नागालैंड) और PCPNDT (उदाहरण के लिए मणिपुर) के लिए प्राधिकारिता
मौजूद नहीं है।

संबंधित पहले

  • कायाकल्प: यह सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में स्वच्छता, साफ-सफाई और संक्रमण नियंत्रण कार्यप्रणाली को बढ़ावा देने हेतु एक पहल है। इस पहल के तहत, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का मूल्यांकन किया जाएगा और ऐसी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं जो स्वच्छता, साफ-सफाई और संक्रमण नियंत्रण के प्रोटोकॉल के अनुकरणीय प्रदर्शन मानकों को प्रदर्शित करेंगी उन्हें पुरस्कार और प्रशस्ति प्रदान किया जायेगा। राज्यों ने इस कार्यक्रम के प्रति विशेष रूचि प्रदर्शित की है।
  • स्वच्छ स्वस्थ सर्वत्र: राज्यों ने ODF ब्लॉक की पहचान की प्रक्रिया आरंभ की है और इस कार्यक्रम की शुरुआत के लिए फण्ड प्राप्त कर रहे हैं। हालांकि, बिहार और नागालैंड जैसे राज्यों में कार्यक्रम के बारे में कोई जागरूकता नहीं देखी गई है। तथा साथ ही फण्ड के संवितरण में अधिक समय लग रहा है।
  • निःशुल्क औषधि सेवा पहल: कई राज्यों द्वारा अभी तक इस योजना का प्रतिपादन नहीं किया गया है।
  • आकलन और प्रमाणन: वर्तमान वित्तीय वर्ष में राष्ट्रीय और राज्य प्रमाणन में वृद्धि हुई है। हालांकि, सामान्य अवलोकन यह है कि अंतराल के प्राथमिकीकरण, कार्य योजना के विकास और अंतराल समाप्ति के संदर्भ में आकलन/अंतराल विश्लेषण के पश्चात प्रगति धीमी है।
  • कई राज्यों में रोगी संतुष्टि सर्वेक्षण (PSS) नहीं किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, रोगी संतुष्टि में वृद्धि करने के लिए किसी भी प्रकार के विश्लेषण और कार्रवाई योजना का निर्माण नहीं किया जा रहा है।
  • राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (NHUM) के तहत गुणवत्ता आश्वासन: वित्तीय वर्ष 2016-17 में, DLI लक्ष्य के अनुसार आधारभूत आकलनों को समयसीमा के भीतर प्राप्त कर लिया गया था। यह वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक निर्धारित लक्ष्य, अर्थात् परिभाषित 15 राज्यों में चयनित UPHCs के 50%, से अधिक था। वित्तीय वर्ष 2017-18 में मूल्यांकन रिपोर्ट जारी रखने के लिए DLI-ADB मानकों के अनुसार लक्ष्य प्राप्त करने और NQAS प्रमाणीकरण के लिए आवेदन करने हेतु आधारभूत मूल्यांकन प्रक्रिया निरंतर जारी है।

जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन और संक्रमण नियंत्रणः

  • सामान्यत: कर्मचारियों में अपशिष्ट प्रबंधन और संक्रमण नियंत्रण के लिए जागरूकता, ज्ञान और अभिप्रेरणा का अभाव
    होता है।
  • इसके अतिरिक्त, सामान्य मुद्दे जैसे अपशिष्ट पृथक्करण प्रोटोकॉल का गैर-अनुपालन, परिवहन ट्रॉली का अभाव, भंडारण क्षेत्र  का अभाव, सुविधा क्षेत्र से कॉमन वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी (CWTF) तक कचरे का नियमित परिवहन न किया जाना (विशेष रूप से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और द्वितीयक केंद्र से), निपटान गड्डों का अत्यधिक भरा होना और BMW को जलाना आदि भी
    उपस्थित हैं।

अनुशंसाएँ

  • गुणवत्ता आश्वासन के लिए संगठनात्मक संरचना – राज्यों को जिला स्तरीय गुणवत्ता आश्वासन समिति (DQAC) का शीघ्र गठन करना चाहिए और पहले से गठित राज्य
    और जिला गुणवत्ता आश्वासन समितियों और इकाइयों को परिचालित करना चाहिए।
  • प्रशिक्षण और कौशल निर्माण- राज्यों को अपने स्तर पर प्रशिक्षण और रिफ्रेशर ट्रेनिंग के लिए अपने प्रशिक्षित मानव संसाधन का उपयोग करना  चाहिए।
  • रोगी शिकायत निवारण (रोगी संतुष्टि सर्वेक्षण (PSS) और “मेरा अस्पताल” का एकीकरण) – राज्यों को प्रत्येक सुविधा केंद्र पर रोगी शिकायत समिति के गठन को सुनिश्चित करना चाहिए और PSS का आवधिक
    संचालन सुनिश्चित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त राज्य को “मेरा अस्पताल” के साथ सुविधा केन्द्रों के नामांकन को तीव्र करना चाहिए। साथ ही, विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार अंतराल को समाप्त करने के लिए विश्लेषण और कार्रवाई करना भी
    उतना ही महत्वपूर्ण हो जाता है।
  • जैव चिकित्सा अपशिष्ट (BMW) प्रबंधन और संक्रमण नियंत्रण: – राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक सुविधा केंद्र निकटतम CWTF के साथ संबद्ध हो या उनके पास उचित निस्तारण गड्डे (जिसके संबंध में उचित स्वीकृति प्राप्त की गयी हो) होने चाहिए। इसे BMW प्रबंधन नियम 2016 और संक्रमण नियंत्रण प्रोटोकॉल के अनुसार कर्मचारियों के नियमित प्रशिक्षण को भी सुनिश्चित करना चाहिए।

अस्पतालों के प्रदर्शन की निगरानी हेतु सूचकांक

  • नीति आयोग द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर ‘हेल्थ ऑफ़ अवर हॉस्पिटल’ सूचकांक के माध्यम से जिला अस्पतालों की रैंकिंग शुरू की गयी है।
  • इसका लक्ष्य जिले के लोगों को उचित गुणवत्ता वाली व्यापक द्वितीयक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करना और लोगों एवं रेफेरिंग केंद्रों की आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी और संवेदनशील होना है।

अस्पतालों का आकलन निम्न आधारों पर किया जाता है

  •  प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर अस्पतालों में उपयोग के लिए उपलब्ध बिस्तरों की संख्या,
  • डॉक्टरों, नर्मों और पैरामेडिकल कर्मचारियों का अनुपात,
  • आवश्यक दवाओं की स्टॉक आउट दर,
  • ब्लड बैंक प्रतिस्थापन दर और
  • पोस्ट-सर्जिकल इन्फेक्शन रेट

पहल का महत्व

  • स्वास्थ्य परिणामों पर ध्यान केंद्रित करना: अस्पतालों को अत्यधिक मात्रा में आवंटित धन के बावजूद उनके प्रदर्शन का आकलन करने के लिए कोई व्यापक प्रणाली नहीं थी। यह पहल उनके परिणामों की माप कर बेहतर स्वास्थ्य देखभाल वितरण सुनिश्चित करने में सहायक होगी।
  • सरकारी अस्पतालों के मध्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए बेहतर प्रदर्शन करने वाले अस्पतालों को प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • एक बार सरकारी अस्पतालों में कुशल स्वास्थ्य देखभाल वितरण की सुविधाएं हो जाने के पश्चात्स्वा स्थ्य देखभाल तक पहुंच में क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना।
  • निजी क्षेत्र पर निर्भरता को कम करना, जिससे रोगियों के आउट ऑफ़ पॉकेट व्यय को कम किया जा सके।
  • अस्पतालों का उन्नत डेटाबेस जो नीति निर्माताओं को विभिन्न अस्पतालों की अवसंरचना, कर्मचारियों और वित्तपोषण में निवेश पर बेहतर तरह से ध्यान केंद्रित करने में सहायता कर सकता है।
  • रोगी फीडबैक: सूचकांक रोगियों से फीडबैक प्राप्त करेगा और इसमें रोगी की संतुष्टि के लिए उच्च भार निर्धारित किया
    गया है। इस प्रकार उन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में एक हितधारक बनाया गया है।

मुफ्त दवा सेवा पहल (Free Drug Service Initiative: FDSI)

  • उन राज्यों को, जहां FDSI का क्रियान्वयन नहीं किया गया है, रोगियों को गुणवत्तापूर्ण मुफ्त दवाओं का वितरण
    सुनिश्चित करने हेतु इस योजना को अपनाना चाहिए।
  • पारदर्शिता और दवा खरीद की एक समान प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए एक केंद्रीकृत खरीद निकाय का गठन किया
    जा सकता है।
  • ऐसे राज्य जहां सुविधा केंद्र के अनुसार आवश्यक औषधि सूची (EDL) मौजूद नहीं हैं, वहां प्रत्येक सुविधा केंद्र पर इन्हें
    पहुँचाया जाना चाहिए और प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
  • राज्य की आवश्यकता के अनुसार आवश्यक दवा के भंडारगृहों का क्षेत्रीय, जिला और सुविधा केंद्र स्तर पर गठन किया
    जा सकता है।
  • राज्यों को दवाओं की गुणवत्ता परीक्षण के लिए प्रयोगशालाओं को सूचीबद्ध करना चाहिए।
  • राज्यों के अंदर रोगियों के लिए शिकायत निवारण फोरम और प्रेस्क्रिप्शन ऑडिट को भी लागू किया जाना चाहिए।

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