पूर्व-विधायी जांच में नागरिक समाज को सम्मिलित करने के महत्व पर चर्चा

प्रश्न: पूर्व-विधायी जांच में नागरिक समाज को सम्मिलित करने के महत्व पर चर्चा कीजिए और इसमें जन भागीदारी बढ़ाने हेतु सरकार द्वारा उठाए जा सकने वाले कदमों का उल्लेख कीजिए। (150 शब्द)

दृष्टिकोण

  • सभी हितधारकों, विशेष रूप से नागरिकों को नीति निर्माण में भागीदारी करने की आवश्यकता को बताते हुए परिचय दीजिए।
  • नीतियों की पूर्व-विधायी जांच में नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सुझाव दीजिए। 
  • संक्षिप्त निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

नागरिकों और नीति निर्माण की प्रक्रिया के बीच संबंधों को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता, अधिक पारदर्शिता और समानता को प्राप्त करने की सभी हितधारकों की आवश्यकताओं के कारण उत्पन्न हुई है और यह लोकतांत्रिक ढांचे का आधार है। पूर्व-विधायी जांच, कानून या विधि निर्माण से पूर्व ही लोगों से फीडबैक प्राप्त करने की एक प्रक्रिया है।

संसद द्वारा अधिनियमित कानूनों का नागरिकों के जीवन पर एक गहरा प्रभाव पड़ सकता है। अत: एक गहन सार्वजनिक जांच यह सुनिश्चित कर सकती है कि उद्देश्यों और प्रस्तावों की व्यापक स्वीकृति है। नागरिक समाज द्वारा तैयार किये गये सूचना का अधिकार अधिनियम और जन लोकपाल विधेयक इसके उदाहरण हैं।

वर्तमान में, यद्यपि मसौदा विधेयकों के संबंध में जन-भागीदारी वैधानिक रूप से अनिवार्य नहीं है। भारत सरकार जनभागीदारी बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की विभिन्न सर्वोत्तम प्रथाओं को अपना सकती है, जैसे:

  • विधेयक को विधायिका में पेश करने से पूर्व एक निर्धारित अवधि के लिए पब्लिक डोमेन में रखना चाहिए।
  • विधेयक द्वारा संबोधित विधायी प्राथमिकताओं पर एक ग्रीन पेपर जारी करना चाहिए और उसे नागरिकों को उपलब्ध कराना चाहिए
  • आने वाले वर्ष में पेश किए जाने वाले प्रस्तावित विधेयकों की एक सूची प्रकाशित करना और इन विधेयकों के प्रारूप संस्करण को एक संसदीय समिति को भेजना चाहिए, जो इन विधेयकों पर सार्वजनिक टिप्पणियाँ और विशेषज्ञों की सलाह लेगी – जैसा कि वर्तमान में ब्रिटेन में प्रचलित है।

इसके अतिरिक्त, सरकार जन-भागीदारी बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठा सकती है:

  • विधेयक द्वारा निर्मित प्रक्रिया निकायों हेतु बजटीय आवंटन को निर्दिष्ट करने वाले प्रत्येक विधेयक के लिए वित्तीय ज्ञापन प्रदान करना चाहिए।
  • अधिक से अधिक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया फ़ोरम का उपयोग करना चाहिए।
  • विधायी प्रस्तावों पर अपने प्रतिनिधियों को याचिका भेजने के लिए नागरिकों के अधिकारों के दायरे का विस्तार करना चाहिए।
  • विधेयक पर सुझाव आमंत्रित करने के लिए MyGov मंच का उपयोग करना चाहिए।

पूर्व में, सरकार ने जनता की सक्रिय भागीदारी के लिए कदम उठाए हैं, जैसे कि डायरेक्ट टैक्स कोड का ड्राफ्ट और इलेक्ट्रॉनिक सर्विस डिलीवरी बिल का ड्राफ्ट आदि। संविधान समीक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग की सिफारिशों से संबंधित मसौदा विधेयकों का विशेषज्ञों और आम जनता द्वारा विस्तृत और कठोर परीक्षण किया जाना चाहिए, इस प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चोहिए।

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