निवारक सतर्कता। (Preventive Vigilance)
निवारक सतर्कता के बारे में
- भ्रष्टाचार को समाप्त करने/कम करने, पारदर्शिता को बढ़ावा देने और व्यवसाय में सुगमता लाने के लिए प्रणाली एवं प्रक्रियाओं में सुधार के उपायों को अपनाना ही निवारक सतर्कता है। सतर्कता को सावधानी और सजगता के रूप में परिभाषित किया जाता है। इस प्रकार, सतर्कता प्रशासन में प्रायः निवारक और दंडकारी भ्रष्टाचार रोधी उपायों को अपनाने और प्रणाली का प्रभावी रूप कार्य करना सुनिश्चित करने के लिए एक निरीक्षण तंत्र शामिल होता है।
- जैसा कि संथानम समिति की रिपोर्ट (1964) में भी उल्लेख किया गया है, “भ्रष्टाचार को तब तक समाप्त या पर्याप्त रूप से कम नहीं किया जा सकता है जब तक निवारक उपायों को सतत और प्रभावी रूप से नियोजित एवं क्रियान्वित नहीं किया जाता है। निवारक
कार्रवाई में प्रशासनिक, विधिक, सामाजिक, आर्थिक और इस सम्बन्ध में शिक्षित करने वाले उपायों को शामिल करना चाहिए।” |
संबंधित तथ्य
संथानम समिति रिपोर्ट (1964) ने भ्रष्टाचार के निम्नलिखित चार प्रमुख कारणों की पहचान की –
- प्रशासनिक विलंब
- सरकार विनियामक कार्यों के माध्यम से अपनी प्रबंधन क्षमता की तुलना में अधिक कार्यों की ज़िम्मेदारी ले रही है।
- सरकारी कर्मचारियों की विभिन्न श्रेणियों में शक्तियों के प्रयोग में स्वेच्छा के प्रयोग की अन्तर्निहित संभावना और
- नागरिकों के लिए उनके दैनिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण विभिन्न मामलों के समाधान की दुष्कर प्रक्रियाएं।
भ्रष्टाचार के संभावनाओं वाले कुछ क्षेत्र हैं –
- सरकारी खरीद एक बृहद क्षेत्र है जिसकी परिधि में स्टोर सामग्री और सेवाओं की खरीद से लेकर अवसंरचना परियोजनाएँ तक
सम्मिलित हैं। - दुर्लभ और/या बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन के साथ माल और सेवाओं की बिक्री भी भ्रष्टाचार का एक क्षेत्र है।
- मानव संसाधन प्रबंधन सभी संगठनों के लिए सामान्य है और भर्ती, पदोन्नति, स्थानान्तरण और पोस्टिंग से संबंधित प्रक्रियाएं हेरफेर और भ्रष्टाचार के प्रभाव में आ सकती हैं।
- सार्वजनिक रूप से सेवाओं का वितरण भी भ्रष्टाचार का संभावित क्षेत्र है हालांकि सभी लोक सेवा क्षेत्रों के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है।
- मुख्यतः नागरिकों के मध्य जागरूकता की कमी और अप्रभावी शिकायत निवारण तंत्र के कारण अधिनियमों, नियमों और विनियमों
का प्रवर्तन भी भ्रष्टाचार के लिए सुभेद्य क्षेत्र है।
निवारक सतर्कता के उपाय
चूंकि भ्रष्टाचार के विभिन्न संभावित क्षेत्र हैं, जैसे कि खरीद, मानव संसाधन प्रबंधन, सेवाओं का वितरण, वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री, नियमों और विनियमों का प्रवर्तन आदि। अतः निम्नलिखित निवारक सतर्कता उपाय अपनाने की आवश्यकता है।
- वर्तमान नियमों और विनियमों की पूरी समीक्षा कर नियमों का सरलीकरण और मानकीकरण करने से स्पष्टता और उत्तरदायित्व में
सुधार आएगा और विवेकाधिकार और स्वेच्छाचारिता का उन्मूलन होगा, इस प्रकार भ्रष्टाचार में कमी आएगी। - तकनीक का लाभ उठाना – जैसे ई-खरीद, ई-भुगतान, सूचना प्रसार और जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न वेबसाइट, पब्लिक डीलिंग वाले स्थानों पर CCTV, GPS क्षम युक्तियां | RFID, धोखाधड़ी आदि पता लगाने के लिए कंप्यूटर सहायतित लेखा परीक्षण तकनीकें आदि।
- पारदर्शिता, जवाबदेही और जागरूकता: पारदर्शिता से जनता और लोक अधिकारियों के बीच सूचना अंतराल समाप्त हो जाता है, जिससे भ्रष्टाचार कम होता है। कदाचार की स्थिति में प्रभावी दण्डात्मक कार्रवाई के साथ स्पष्ट उत्तरदायित्व की प्रणाली सुचारु कामकाज और दक्षता के लिए आवश्यक है। साथ ही लोक अधिकारियों को भी उनके कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों, आचार संहिता, नियमों, प्रक्रियाओं आदि से अवगत कराया जाना चाहिए।
- नियंत्रण और पर्यवेक्षण: नियमित और नित्य निरीक्षण, औचक निरीक्षण, लेखापरीक्षण और समीक्षाएं निरंकुश और भ्रष्ट व्यवहार पर नियंत्रण रखते हैं। साथ ही कदाचार का शीघ्र पता लगने से हानि की क्षतिपूर्ति करना संभव हो सकता है। आगे और भी नुकसान नियंत्रित करने में सहायता मिल सकती है।
- सहायक कार्य वातावरण – संवेदनशील पदों की पहचान करना और ऐसे पदों पर सत्यनिष्ठा वाले व्यक्ति को रखना, व्हिसल ब्लोअर का संरक्षण करना आदि।
- नैतिक मूल्य पैदा करना – जनता, विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच नैतिक व्यवहार पैदा करना निवारक सतर्कता का महत्वपूर्ण उपकरण है।
- सत्यनिष्ठा समझौता – सरकार/ सरकारी विभागों/ सरकारी कंपनियों आदि के द्वारा स्वयं को रिश्वतखोरी, टकराव आदि से दूर रखने के लिए सहमत सभी बोली लगाने वालों (Bidders) के बीच लिखित समझौता। इसे cvC द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। और समझौते का उल्लंघन करने पर प्रतिबंध लगाया जाता है। निगरानी CVC द्वारा नामित IEM (स्वतंत्र बाहरी निगरानीकर्ता) के माध्यम से की जाती है।
- इंटीग्रिटी इंडेक्स (इसे शीघ्र ही आरम्भ किया जाएगा) के माध्यम से CVC सार्वजनिक संगठनों की दीर्घकालिक दक्षता, लाभप्रदता
और संधारणीयता के साथ सतर्कता के अनिवार्य संचालकों को जोड़कर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, वित्तीय संस्थानों, विभागों और मंत्रालयों की वार्षिक स्कोररैंकिंग प्रस्तुत करेगा। यह किसी संगठन के अंदर आंतरिक प्रक्रियाओं और नियंत्रणों की बेंच मार्किंग के
साथ-साथ बाह्य हितधारकों के साथ संबंधों एवं उनकी अपेक्षाओं के प्रबंधन पर आधारित होगी।