प्राकृतिक पूंजी लेखांकन (NCA) की अवधारणा : रणनीति और व्यापक नीतिगत दिशानिर्देश

प्रश्न:भारत में संधारणीय आर्थिक विकास के लिए प्राकृतिक पूंजी की वृद्धि अपरिहार्य है। इस संदर्भ में, प्राकृतिक संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन के लिए प्राकृतिक पूंजी लेखांकन (NCA) की अवधारणा, रणनीति और व्यापक नीतिगत दिशानिर्देशों का वर्णन कीजिए।

दृष्टिकोण

  • प्राकृतिक पूंजी क्या है, संक्षिप्त वर्णन कीजिए। 
  • प्राकृतिक पूंजी लेखांकन (NCA) की अवधारणा, रणनीति और व्यापक नीतिगत दिशानिर्देश पर चर्चा कीजिए।
  • उल्लेख कीजिए कि यह किस प्रकार अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को संतुलित करने में सहायता करता है।

उत्तर

प्राकृतिक पूंजी को प्राकृतिक संपत्ति के भंडार के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें भू-तत्व, मृदा, वायु, जल और सभी जैविक तत्व शामिल हैं। प्राकृतिक पूंजी का एक स्वरूप जो मनुष्य को सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला के रूप में प्राप्त होता है, प्रायः पारिस्थितिक तंत्र सेवाएं कहा जाता है, यह मानव जीवन को संभव बनाती हैं।

वित्तीय पूंजी के समान ही, जब हम अपने प्राकृतिक पर्यावरण से भंडार (प्राकृतिक संसाधन) का अत्यधिक दोहन करते हैं, तो हम यह सब एक प्रकार से ऋण के रूप में प्राप्त करते हैं, जिसका पुनर्भुगतान किए जाने की आवश्यकता होती है, जैसे पुनर्वनीकरण करके, कचरे का पुनर्चक्रण करके आदि। अत: प्राकृतिक पूंजी लेखांकन (NCA) आवश्यक है।

प्राकृतिक पूंजी लेखांकन (Natural Capital Accounting: NCA) प्राकृतिक पूंजी लेखांकन (NCA) उन प्राकृतिक पूंजी भंडारों और सेवा प्रवाह की मात्रा निर्धारित करने की एक प्रक्रिया है जो समयानुसार उनकी प्रकृति और भिन्नता का निर्धारण करता है। यह आकलन करने में सहायता करता है कि उपलब्ध प्राकृतिक पूंजी का प्रबंधन और उपयोग संधारणीय रूप से किया गया है अथवा नहीं। NCA को पारंपरिक आर्थिक खातों के साथ संबद्ध कर, यह पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के मध्य संबंधों को समझने में सहायता करता है।

  • भारत संयुक्त राष्ट्र के सांख्यिकी प्रभाग, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), संयुक्त राष्ट्र जैवविविधता अभिसमय (CBD) द्वारा समर्थित और यूरोपीय संघ (EU) द्वारा वित्त पोषित पारिस्थितिकी तंत्र सेवा परियोजना के प्राकृतिक पूंजी लेखांकन और मूल्यांकन परियोजना (Natural Capital Accounting and Valuation of Ecosystem Services Project) में भागीदार देश है

रणनीति 

  • इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था को बढ़ावा प्रदान करने के लिए विभिन्न पारिस्थितिकी प्रणालियों द्वारा उत्पन्न पारिस्थितिकी तंत्र वस्तुओं एवं सेवाओं के योगदान के संबंध में जानकारी एकत्र करना है।
  • यह बेहतर निर्णयन हेतु राष्ट्रीय खातों में प्राकृतिक पूंजी को शामिल करता है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रबंधन के लिए जल, ऊर्जा आदि के क्षेत्रक आगत खाते से संबंधित विस्तृत आँकड़े प्रदान करता है।

नीतिगत दिशानिर्देश

  •  राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के आधार पर, भौतिक और मौद्रिक खातों में पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित विभिन्न खातों का चयन तथा एक राष्ट्रीय योजना का विकास।
  • दिशानिर्देशों और कार्यप्रणाली का विकास जो परियोजना के राष्ट्रीय स्तर पर कार्यान्वयन तथा पर्यावरण आर्थिक लेखांकन एवं प्रायोगिक पारिस्थितिकी तंत्र लेखांकन प्रणाली (System of Environmental Economic Accounting Experimental Ecosystem Accounting: SEEA EEA) के संदर्भ में वैश्विक अनुसंधान लक्ष्यों में योगदान देता है।
  • सतत विकास लक्ष्य 2030, आइची लक्ष्यों (Aichi target) और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के संदर्भ में संकेतकों के एक समुच्चय को विकसित करना।
  • SEEA और कॉर्पोरेट सततता रिपोर्टिंग के मध्य संरेखण में योगदान करना।
  • प्राकृतिक पूंजी लेखांकन पेशेवर समुदाय के परिवर्द्धन के लिए एक क्षमता के रूप में संवर्द्धित क्षमता निर्माण और ज्ञान साझा करना।

यद्यपि, यह रणनीति आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के मध्य संतुलन स्थापित करने में सहायता करेगी। यह भारत को एक प्रबंधन रणनीति तैयार करने में सहायता करेगी, जो अन्य पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं जैसे बाढ़ से सुरक्षा, भूजल पुनर्भरण आदि मुद्दों के मध्य संतुलन स्थापित करते हुए आर्थिक विकास में योगदान को अधिकतम करती है।

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