प्रधानमंत्री आवास योजना : इस योजना के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ

प्रश्न: प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत हुई प्रगति का विवरण प्रस्तुत करते हुए, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में इस योजना के समक्ष आने वाली चुनौतियों का उल्लेख कीजिए। इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन को किस प्रकार त्वरित किया जा सकता है? (250 words)

दृष्टिकोण

  • प्रधानमंत्री आवास योजना के उद्देश्यों का संक्षिप्त वर्णन करते हुए उत्तर का प्रारंभ कीजिए।
  • इसके दो घटकों PMAY(U) एवं PMAY(R) की प्रगति पर चर्चा कीजिए।
  • इस फ्लैगशिप आवास पहल के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों को सूचीबद्ध कीजिए।
  • इस योजना के कार्यान्वयन में तीव्रता लाने हेतु उपाय सुझाइए।

उत्तर

प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) का उद्देश्य वर्ष 2022 तक सभी के लिए आवास’ (housing for all) के लक्ष्य को साकार करना है। यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) एवं निम्न-आय वर्ग (LIG) के अतिरिक्त मध्यम आय वर्ग की आवासीय आवश्यकताओं की पूर्ति करती है। इसके दो घटक हैं: शहरी निर्धनों के लिए ‘प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) या PMAY(U)’ और ग्रामीण निर्धनों के लिए ‘प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) या PMAY (G)।

दोनों घटकों के अंतर्गत की गई प्रगति निम्नलिखित है:

PMAY(U):

वर्ष 2018 के अंत तक, PMAY(U) के तहत 68.5 लाख से अधिक आवासों के निर्माण को वित्त पोषित करने हेतु स्वीकृति प्रदान की गई है। निर्माण हेतु स्वीकृत 35.67 लाख आवासों में से 12.45 लाख आवासों का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है। 2014 और 2017 के मध्य प्रत्येक वर्ष लगभग 3.5 लाख आवासों का निर्माण किया गया। अनुमोदित किए गए आवासों के निर्माण में तीव्रता लाने हेतु, मंत्रालय ने सामूहिक आवास निर्माण के लिए 24 नई तकनीकों की पहचान की है। PMAY(U) के त्वरित क्रियान्वयन हेतु चरणबद्ध रीति से अतिरिक्त बजटीय संसाधन जुटाने तथा संसाधनों की अबाधित उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय शहरी आवास कोष (National Urban Housing Fund) की स्थापना की गई है।

PMAY (G):

इसका प्रारंभ नवंबर 2016 में किया गया था। इसके प्रथम चरण का लक्ष्य मार्च 2019 तक एक करोड़ आवासों के निर्माण को पूरा करना था। अभी तक PMAY-G के तहत लगभग 92.6 लाख आवासों (2017-19 के दौरान) का निर्माण पूर्ण किया किया जा चुका है। अधिकांश आवासों का निर्माण पूर्ण होने वाला है तथा बिहार और असम जैसे राज्यों में भी निर्माण पूर्ण होने की गति में उल्लेखनीय रूप से सुधार हुआ है। IT/DBT, निष्पक्ष लाभार्थी चयन, MIS आधारित प्रभावी ट्रांजेक्शन इत्यादि उपायों के कारण, धन के दुरूपयोग में कमी के कारण आवासों के निर्माण को पूरा करने में तीव्रता आई है।

PMAY के समक्ष व्याप्त चुनौतियाँ:

  • शहरी क्षेत्रों में भूमि का अभाव: उच्च जनसंख्या घनत्व भूमि संसाधनों पर अत्यधिक दबाव उत्पन्न करता है। इसके अतिरिक्त PMAY के तहत, भूमिहीन व्यक्तियों को आवास आबंटन, राज्य सरकारों द्वारा किए गए भूमि आबंटन पर निर्भर होता है।
  • संपत्ति रिकॉर्ड: भारत में भूमि एवं संपत्ति रिकॉर्डों की स्थिति काफी निराशाजनक हैं, जिसके कारण अस्पष्ट भू-स्वामित्व की समस्या उत्पन्न होती है। इससे आवेदकों को PMAY के अंतर्गत लाभार्थी-आधारित निर्माण (BLC) के तहत सरकारी अनुदान प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
  • परियोजनाओं की अवस्थिति: कई आवासीय इकाइयां उन शहरों की परिधि तथा बाह्य क्षेत्रों में अवस्थित हैं, जिन्हें सरकार द्वारा ‘शहरी’ के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया है। इसके परिणामस्वरूप, ये PMAY (U) योजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता के लिए पात्र नहीं हैं।
  • CLS घटक का निम्नस्तरीय कार्यान्वयन: कई लाभार्थियों को इस योजना के तहत ब्याज सब्सिडी घटक के बारे में सूचित नहीं किया गया था। कई व्यक्ति ऋण प्राप्त करने के पश्चात् इस प्रावधान से अवगत होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे इस छूट से लाभान्वित नहीं हो पाते हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि की खरीद में कठिनाइयाँ: चूँकि हरित अथवा चारे वाले क्षेत्रों को आवास हेतु आबंटित नहीं किया जा सकता है, अतः सरकार को भूमि खरीदनी पड़ती है जिसके परिणामस्वरूप अत्यधिक विलंब होता है।
  • इसके अतिरिक्त विभिन्न एजेंसियों के मध्य स्पष्ट संचार एवं समन्वय का अभाव, और चिन्हित लाभार्थियों को भूमि के आबंटन में विलंब होना प्रमुख चुनौतियां है।

इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन में तीव्रता लाने हेतु निम्नलिखित उपायों को अपनाया जा सकता है:

  • भूमि संबंधी रिकॉर्ड को बेहतर बनाना: इससे सभी नागरिक PMAY की सब्सिडी सुविधाओं को पूर्ण रूप से समझने और वहनीय आवास हेतु ऋण प्राप्त करने के लिए सक्षम हो सकेंगे।
  • आर्थिक रूप से व्यवहार्य मॉडल के रूप में मलिन बस्तियों (slums) का उन्नयन: ट्रांसफर ऑफ़ डेवलपमेंट राइट्स (TDR) का अन्वेषण किया जाना चाहिए ताकि स्व-स्थाने (in-situ) पुनर्वास हेतु डेवलपर्स को प्रोत्साहित किया जा सके तथा इन स्थानों को व्यवहार्य रूप से वित्तीय मॉडल के रूप में उन्नत किया जा सके।
  • परियोजनाओं के कार्यान्वयन की प्रभावी निगरानी: PMAY के तहत परियोजनाओं हेतु समय-सीमा की प्रभावी निगरानी करने और अनावश्यक विलंब करने वाले राज्यों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाना चाहिए।
  • कार्यकाल की सुरक्षा प्रदान करना: “नो इविक्शन गारंटी” प्रावधान के माध्यम से व्यक्तिगत आवासों का पता लगाया जा सकता है ताकि ऐसे लोग विधिक स्वत्वाधिकार (legal titles) के बिना भी वहनीय आवास के अंतर्गत निवेश करने हेतु रुचि प्रकट सकें।
  • विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के मध्य वृहत समन्वय: राज्य सरकारों और केंद्रीय प्राधिकरणों के मध्य बेहतर समन्वय के माध्यम से सहयोग स्थापित करना आवश्यक है, ताकि उनके संसाधनों का उपयोग कर वर्ष 2022 तक सभी के लिए आवास के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।

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